आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव (फाइल फोटो)
पटना:
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 50 प्रतिशत के आरक्षण के प्रावधान को बढ़ाए जाने के संविधान संशोधन और निजी क्षेत्र में भी आरक्षण की वकालत किए जाने के एक दिन बाद आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी रविवार को कहा कि इसके लिए शुरू से वे संघर्ष कर रहे हैं।
पटना में पत्रकारों से बातचीत के दौरान लालू ने कहा कि शुरू से वे संघर्ष करते रहे हैं कि निजी क्षेत्रों में भी आरक्षण को लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए कितनी बैठकें हुई, लेकिन उद्योगपतियों ने बहाना बनाकर इससे इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि नौकरी की संभावना सबसे अधिक निजी क्षेत्र में है, इसलिए उसमें आरक्षण मिलना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि शनिवार को नीतीश ने कहा था कि आज की परिस्थिति में 50 प्रतिशत के आरक्षण के प्रावधान को संविधान संशोधन कर बढ़ाया जाना चाहिए और केवल सरकारी क्षेत्र में ही क्यों, निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू होना चाहिए।
वहीं, बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने रविवार को कहा कि निजी क्षेत्र में आरक्षण को लेकर वे सिद्धांत रूप से सहमत हैं, लेकिन इसमें कई कानूनी पेचीदीगियां हैं। उन्होंने कहास आप इसके लिए निजी क्षेत्र को बाध्य कर सकते हैं या नहीं, पर सरकार जिन लोगों को ऋण एवं अनुदान देती है और सरकारी जमीन पर जिनका उद्योग लगा हुआ है, वहां शायद कानून और संविधान के जरिये आपको ऐसा करने का अधिकार प्राप्त हो सकता है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
पटना में पत्रकारों से बातचीत के दौरान लालू ने कहा कि शुरू से वे संघर्ष करते रहे हैं कि निजी क्षेत्रों में भी आरक्षण को लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए कितनी बैठकें हुई, लेकिन उद्योगपतियों ने बहाना बनाकर इससे इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि नौकरी की संभावना सबसे अधिक निजी क्षेत्र में है, इसलिए उसमें आरक्षण मिलना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि शनिवार को नीतीश ने कहा था कि आज की परिस्थिति में 50 प्रतिशत के आरक्षण के प्रावधान को संविधान संशोधन कर बढ़ाया जाना चाहिए और केवल सरकारी क्षेत्र में ही क्यों, निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू होना चाहिए।
वहीं, बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने रविवार को कहा कि निजी क्षेत्र में आरक्षण को लेकर वे सिद्धांत रूप से सहमत हैं, लेकिन इसमें कई कानूनी पेचीदीगियां हैं। उन्होंने कहास आप इसके लिए निजी क्षेत्र को बाध्य कर सकते हैं या नहीं, पर सरकार जिन लोगों को ऋण एवं अनुदान देती है और सरकारी जमीन पर जिनका उद्योग लगा हुआ है, वहां शायद कानून और संविधान के जरिये आपको ऐसा करने का अधिकार प्राप्त हो सकता है।
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