झारखंड के बाद दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के खिलाफ मैदान में होगी नीतीश की पार्टी

जनता दल यूनाइटेड की पूर्वांचली वोटों पर नजर, सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला

झारखंड के बाद दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के खिलाफ मैदान में होगी नीतीश की पार्टी

पीएम नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो).

खास बातें

  • नीतीश पार्टी की दिल्ली इकाई के अनुरोध पर चुनाव लड़ने पर सहमत
  • मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी प्रचार करने के लिए दिल्ली आएंगे
  • नीतीश कुमार शुक्रवार को दिल्ली में पार्टी की बैठक करेंगे
नई दिल्ली:

दिल्ली विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. राष्ट्रीय राजधानी में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस के बीच मुकाबला है. इस बीच जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है. पार्टी ने फैसला किया है कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव वह अपने बलबूते लड़ेगी. बिहार में जद(यू) के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार में मंत्री संजय झा ने बताया है कि पार्टी नेतृत्व ने दिल्ली विधानसभा चुनाव पूरे दमखम से लड़ने का फैसला किया है. इस बाबत पार्टी ने रणनीति बना ली है. गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने दिल्ली में आठ फरवरी को विधानसभा चुनाव कराने की घोषणा की है, जिसके नतीजे 11 फरवरी को आएंगे.

जद(यू) के दिल्ली प्रभारी संजय झा ने कहा, "पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली प्रदेश इकाई के अनुरोध पर राज्य में अपने बलबूते चुनाव लड़ने पर सहमति जताई है." सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल यह तय नहीं किया गया है कि पार्टी विधानसभा की 70 में से कितनी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी.

दिल्ली में बड़ी संख्या में पूर्वाचल के लोग रहते हैं और जद(यू) की नजर इन्हीं वोटों पर है. सूत्रों के मुताबिक, इस चुनाव में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी प्रचार करने आएंगे. यह भी बताया गया है कि नीतीश का चुनाव प्रचार का कार्यक्रम तय किया जा रहा है. नीतीश चार-पांच सभाओं को संबोधित कर सकते हैं. जद(यू) पूर्वाचल के मतदाताओं की अनदेखी का मुद्दा उठाकर मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश करेगी.

सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार शुक्रवार को दिल्ली आ रहे हैं और इस दौरान वह सीटों के निर्धारण और उम्मीदवारों के चयन के लिए दिल्ली प्रदेश इकाई के साथ बैठक करेंगे.

गौरतलब है कि जद (यू) बिहार में भाजपा के साथ मिलकर सरकार चला रहा है. लेकिन पार्टी झारखंड विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरी थी. अब उसने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी अकेले उतरने का निर्णय लिया है.

उल्लेखनीय है कि 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में जद(यू) ने तीन विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन पार्टी को जीत नसीब नहीं हुई. जद(यू) को इस चुनाव में हर विधानसभा क्षेत्र में 10 से 12 हजार वोट मिले थे. वहीं 2017 के नगर निगम चुनाव में जद(यू) ने 98 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए. लेकिन उसे एक भी सीट नहीं मिली. 94 सीटों पर जद(यू) की जमानत तक जब्त हो गई थी.

दरअसल, दिल्ली की 15 विधानसभा सीटों पर पूर्वाचली मतदाता अच्छी तादाद में हैं. इन सीटों पर इनकी मौजूदगी 30 फीसदी तक है, जो किसी भी दल का खेल बिगाड़ सकती है.

2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 54.3 प्रतिशत मतों के साथ 67 सीटों पर रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी. आप ने मतों में 2013 के मुकाबले 24.8 प्रतिशत मतों का इजाफा दर्ज किया गया था. वहीं, 32.3 प्रतिशत मतों के साथ भाजपा दूसरे नंबर पर रही थी.

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गौरतलब है कि 2013 की तुलना में भाजपा के मतों में 0.8 प्रतिशत मतों की कमी आई. लेकिन 29 सीटे घट गईं. हालांकि, वोट प्रतिशत 32.3 रहा था. कांग्रेस पार्टी की बात करें तो 9.7 प्रतिशत मतों के वह साथ तीसरे नंबर पर रही थी. हालांकि, एक भी सीट जीतने में सफल नहीं रही थी. कांग्रेस के मतों में 14.9 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी. जबकि बहुजन समाज पार्टी को 5.3 फीसदी वोट मिले थे.