गुजरात मॉडल के बाद अब केजरीवाल का दिल्ली मॉडल

अरविंद केजरीवाल की फाइल फोटो

नई दिल्‍ली:

अरविंद केजरीवाल ने अपना विकास का दिल्ली मॉडल दिखाने की शुरुआत कर दी है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इसकी शुरूआत बजट से की है। दिल्ली विधानसभा में अपने पहले ही भाषण में सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस बार बजट सरकार के मंत्री या अधिकारी नहीं बनाएंगे बल्कि आम लोग बनाएंगे।

इस मॉडल में शुरू में पांच से दस विधानसभा को मोहल्ले में बांटा जाएगा, एक विधानसभा में तकरीबन चालीस मोहल्ले होंगे और हर मोहल्ले में लोगों से पूछा जाएगा कि वे क्या काम अपने इलाके में कराना चाहते हैं। लोग जैसा कहेंगे वैसा ही बजट में डालकर काम कराया जाएगा यानी इस मॉडल में काम जनता बताएगी और सरकार बस पैसा आवंटित करके काम कराएगी।

अगर ये तरीका कामयाब रहा तो इसको पूरी दिल्ली में लागू किया जाएगा और इस तरीका से केजरीवाल दावा कर रहे हैं कि जो अभी तक संस्कृति चली आ रही है जिसमें नेता जीतने के पांच साल बाद ही नज़र आता है, वो खत्म होगी और आप के विधायक हमेशा जनता के बीच बने रहेंगे।

वैसे ये लोगों से पूछने वाला काम सुनने में तो अच्छा लगता है लेकिन ज़मीन पर जब लागू करना होता है तो पसीने छूट जाते हैं।
केजरीवाल जानते है कि ऐसा या कोई भी प्लान बिना अफसरों की मदद लिए कामयाब नहीं हो सकता इसलिए अफसरों के लिए भी एक आईडिया लाया गया है। अफसर अच्छी जगह पोस्टिंग और बड़े विभाग में तैनाती चाहते हैं साथ में अहम और इच्छाओं की पूर्ति भी उनके ज़हन में रहती है।

इसलिए केजरीवाल ने बताया कि जल्द एक स्कीम के तहत दिल्ली में जैसे कोई प्रोजेक्ट या काम निकालेंगे तो अफसरों से उसपर प्लान या रोडमैप मांगेंगे।

जिस अफसर के पास अच्छा प्लान होगा उसको वो काम दिया जाएगा और फिर उसके काम में ना तो कोई रोकटोक होगी और ना बीच में काम से हटाया जाएगा लेकिन काम पर निगरानी रखी जाएगी और काम होने पर उसकी समीक्षा भी की जाएगी।

काम अच्छा रहेगा तो आगे और अच्छी पोस्टिंग के साथ प्रोमोशन मिलेगा लेकिन प्रदर्शन अच्छा ना रहा तो उसका भी हिसाब होगा। असल में इसके ज़रिए केजरीवाल अफसरशाही को सरकारी और उदासीन माहौल से निकालकार प्रतिस्पर्धात्मक माहौल देने की कोशिश में है जिससे सिस्टम बदलेगा और जनता में भी सरकार की इमेज बनेगी।

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केजरीवाल ने असल में ऐसी और ऐसी ही दूसरी लॉन्ग टर्म प्लानिग और अपना विकास मॉडल दिखाने के लिए ही इस बार बिना मंत्रालय के सीएम बने हैं। जिस तरह नरेंद्र मोदी दुनिया को विकास का गुजरात मॉडल दिखाया था ठीक वैसे ही अरविंद केजरीवाल दुनिया को विकास का दिल्ली मॉडल दिखाना चाहते हैं जिसकी केवल झलक अभी मिल पाई है। लेकिन जल्दी इस बार ना केजरीवाल को जल्दी है और ना ही हमको इसलिए देखते रहिए पांच साल केजरीवाल।