एम. वेंकैया नायडू (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाना अस्थायी उपाय है और राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर विधानसभा को बहाल किया जा सकता है। उच्च न्यायालय द्वारा राज्य में राष्ट्रपति शासन रद्द करने के एक दिन बाद आज (शुक्रवार) यह बात केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने कही। नायडू ने कहा कि केंद्र सरकार का स्पष्ट मानना है कि उत्तराखंड में संवैधानिक संकट था, क्योंकि विधानसभा में विनियोग विधेयक पारित नहीं किया गया।
हम संविधान का सम्मान करते हैं...
संसदीय मामलों के केंद्रीय मंत्री नायडू ने कहा, 'हमारा मानना है कि अनुच्छेद-356 के प्रयोग के अलावा कोई रास्ता नहीं था। विधानसभा को भंग नहीं किया गया, क्योंकि संवैधानिक संकट खड़ा हो गया था, अस्थायी रूप से राष्ट्रपति शासन लगाया गया और किसी भी वक्त विधानसभा को बहाल किया जा सकता था।' उन्होंने कहा, 'यह राज्यपाल की रिपोर्ट और वहां की स्थिति पर निर्भर करता। जहां तक हमारी बात है तो हम हमेशा कानून का सम्मान करते हैं। हम संविधान का सम्मान करते हैं।'
राष्ट्रपति शासन लागू करने का निर्णय किया गया था...
उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा राज्य में राष्ट्रपति शासन को रद्द करने और हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को पुनर्बहाल करने के एक दिन बाद उनकी यह टिप्पणी आई है। रावत को 29 अप्रैल को विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा गया है। नायडू ने कहा कि एक तरफ तत्कालीन सरकार ने कहा कि विनियोग विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया और दूसरी तरफ विधानसभा अध्यक्ष ने कुछ विधायकों को अयोग्य करार देते हुए कहा कि वे सरकार का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'ये दोनों बातें एक साथ कैसे हो सकती हैं? एक भ्रम और विरोधाभास है जिसे दूर करना होगा।' पिछले महीने संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में राष्ट्रपति शासन लागू करने का निर्णय किया गया।
हम संविधान का सम्मान करते हैं...
संसदीय मामलों के केंद्रीय मंत्री नायडू ने कहा, 'हमारा मानना है कि अनुच्छेद-356 के प्रयोग के अलावा कोई रास्ता नहीं था। विधानसभा को भंग नहीं किया गया, क्योंकि संवैधानिक संकट खड़ा हो गया था, अस्थायी रूप से राष्ट्रपति शासन लगाया गया और किसी भी वक्त विधानसभा को बहाल किया जा सकता था।' उन्होंने कहा, 'यह राज्यपाल की रिपोर्ट और वहां की स्थिति पर निर्भर करता। जहां तक हमारी बात है तो हम हमेशा कानून का सम्मान करते हैं। हम संविधान का सम्मान करते हैं।'
राष्ट्रपति शासन लागू करने का निर्णय किया गया था...
उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा राज्य में राष्ट्रपति शासन को रद्द करने और हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को पुनर्बहाल करने के एक दिन बाद उनकी यह टिप्पणी आई है। रावत को 29 अप्रैल को विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा गया है। नायडू ने कहा कि एक तरफ तत्कालीन सरकार ने कहा कि विनियोग विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया और दूसरी तरफ विधानसभा अध्यक्ष ने कुछ विधायकों को अयोग्य करार देते हुए कहा कि वे सरकार का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'ये दोनों बातें एक साथ कैसे हो सकती हैं? एक भ्रम और विरोधाभास है जिसे दूर करना होगा।' पिछले महीने संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में राष्ट्रपति शासन लागू करने का निर्णय किया गया।
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