केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के घर जासूसी का संदेह था और अब सूत्रों के हवाले से एनडीटीवी को खबर मिली है कि बीजेपी के कुछ और वरिष्ठ नेताओं के घर जासूसी हो रही थी, हालांकि बीजेपी ने इन खबरों को बेबुनियाद बताया है।
सूत्रों के मुताबिक, सुषमा स्वराज और राजनाथ सिंह उन बीजेपी नेताओं में से हैं, जिनके घर से जासूसी से जुड़े उपकरण मिले हैं, जिसके बाद आज भी एनडीटीवी से बात करते हुए बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि पार्टी इस तरह की खबरों से पूरी तरह इनकार कर रही है और किसी तरह के उपकरण उनके नेताओं के घर से नहीं मिले हैं। वहीं कांग्रेस इस मामले में जांच की मांग कर रही है।
उधर, नितिन गडकरी के घर जासूसी के मामले में बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने बाकायदा अपनी जांच रिपोर्ट पेश कर दी है। उनका कहना है कि ये बीते साल अक्तूबर के बाद नहीं हुआ हो सकता। उस समय जब यूपीए सत्ता में थी, तब एनएसए ने इसकी मार्फत सीधे बीजेपी को लक्ष्य बनाया और गडकरी एक बहुत अहम शख्सियत थे। उन्हें आरएसएस का भरोसा भी हासिल था।
वैसे, मुश्किल यह है कि खुद गडकरी ने यह थ्यौरी खारिज कर दी है। सोमवार को ट्वीट कर उन्होंने कहा कि जैसा कि मैं पहले कह चुका हूं फिर से कह रहा हूं कि मेरे किसी भी आवास से कोई उपकरण नहीं मिला है, लेकिन एक अखबार में छपी खबर के मुताबिक, गडकरी के तीन मूर्ति वाले घर से करीब छह ऐसे अत्याधुनिक उपकरण मिले हैं, जिनसे वहां होने वाली बातचीत सुनी जा सके। जानकारी के मुताबिक, पहला उपकरण बेडरूम से मिला, जिसके बाद पूरे घर की जांच कराई गई, जिसमें ऑफिस और ड्राइंग रूम से पांच और उपकरण मिले।
गडकरी के करीबी सूत्रों के हवाले से यहां तक कहा जा रहा है कि यह उपकरण अक्तूबर में ही लगाए गए थे। इसके बाद मुंबई की एक प्राइवेट एंजेसी को बुलाकर पूरे घर की पड़ताल कराई गई और इस बात की जानकारी पीएमओ की भी दे दी गई, लेकिन केन्द्रीय मंत्री के घर की जासूसी के मसले पर घिर रही सरकार गडकरी के बयान को ही ढाल बना रही है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि गडकरी जी ने खुद ही साफ कर दिया है कि उनके घर से ऐसा कुछ नहीं मिला। इसके बाद इस मामले में कोई विवाद नहीं होना चाहिए। लेकिन कांग्रेस सरकार के साथ-साथ बीजेपी को भी घेरने की कोशिश में है।
कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि विपक्षी पार्टियां सरकार से यह साफ करने को कह रही हैं कि आखिर जासूसी में अंदरूनी ताकतों का हाथ है या फिर बाहरी ताकतों का, लेकिन जाहिर है सरकार की नजर में जब कोई जासूसी हुई ही नहीं तो वह विपक्ष की मांग कहां सुनने वाली है।
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