जवानों को एयरलिफ्ट कर जम्मू-कश्मीर पहुंचाया जा रहा है. (प्रतीकात्मक फोटो)
खास बातें
- पहले से मौजूद 30 हजार जवानों के अतिरिक्त है ये तैनाती
- देश के अलग-अलग हिस्सों से एयरलिफ्ट कर लाया जा रहा
- शांति और सुरक्षा बनाए रखने के मद्देनजर लिया गया फैसला
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Article-370) हटाने की केंद्र की घोषणा के बाद राज्य में 8000 और अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई है. देश के अलग-अलग हिस्सों से इन जवानों को एयरलिफ्ट कर जम्मू-कश्मीर ले जाया जा रहा है. भारतीय वायुसेना का सी -17 परिवहन विमान जवानों को श्रीनगर ला रहे हैं. ये उन 30,000 सैनिकों के अतिरिक्त हैं जिन्हें पिछले सप्ताह राज्य में लाया गया था. अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि देश में, विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में सभी सुरक्षा बल, "हाई अलर्ट" पर हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि गृह मंत्रालय ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों से कहा है कि वे "आवश्यक सावधानी बरतें" और अपने कैंपसों और आंदोलनों की सुरक्षा के लिए विशेष सलाह जारी करें.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, " देश भर के सभी सुरक्षा बलों, विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में स्थित उनकी इकाइयों को अलर्ट मोड पर रखने के लिए एडवाइजरी जारी की गई है."
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सूत्रों ने कहा कि सैनिकों की भारी तैनाती जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए है क्योंकि विशेष दर्जे का मुद्दा भावनाओं से जुड़ा है. पिछले हफ्ते सरकार द्वारा तीर्थयात्रा अचानक रद्द कर दिए जाने के बाद से हजारों अमरनाथ यात्रा के तीर्थयात्री और पर्यटक पहले से ही घर पर हैं.
बता दें अनुच्छेद 370 रक्षा, संचार और विदेशी मामलों को छोड़कर सभी मामलों के लिए जम्मू और कश्मीर को अपना संविधान और निर्णय लेने का अधिकार देता है. संविधान के इस हिस्से को हटाने से कश्मीर के लिए विशेष दर्जा समाप्त हो जाता है. सरकार ने कहा है कि वह चाहती है कि संसद एक प्रस्ताव को मंजूरी दे, जो जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करता है, जो प्रभावी रूप से अर्ध-राज्य हैं. जम्मू और कश्मीर, दिल्ली की तरह ही एक राज्य क्षेत्र होगा, जिसका अपना विधानमंडल होगा जबकि अपनी विधानसभा के बिना लद्दाख दूसरा राज्य होगा. वहीं राज्य में बड़े पैमाने पर सेना की तैनाती को लेकर सरकार ने कहा कि ऐसा उच्च स्तर के आतंकी खतरे के जवाब में किया गया था.
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खुफिया सूत्रों ने कहा कि 29 जुलाई से 31 जुलाई तक नियंत्रण रेखा पार करने के लिए आतंकवादियों ने तीन दिनों में कई प्रयास किए हैं. उनमें से चार से पांच सफल भी हुए हैं. सूत्रों ने कहा कि उनकी योजना अमरनाथ यात्रियों पर एक आतंकी हमला करने की थी. सूत्रों ने कहा कि इन परिस्थितियों में तीर्थयात्रियों को यात्रा जारी रखने की अनुमति देना ठीक नहीं था.
(इनपुट ANI से...)