बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2020) के तीसरे चरण में बड़े दलों के भी ज्यादातर प्रत्याशी साफ-सुथरी छवि वाले नहीं हैं. ADR की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि बिहार चुनाव के तीसरे चरण में भाजपा और कांग्रेस के दो तिहाई से ज्यादा प्रत्याशियों पर आपराधिक केस (Criminal Case) हैं. राजद के भी 73 फीसदी उम्मीदवार दागी हैं. तीसरे चरण में सिर्फ नौ फीसदी महिला उम्मीदवारों को टिकट दिए गए हैं.
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नेशनल इलेक्शन वॉच / ADR के संस्थापक जगदीप चोकर ने सोमवार को यह रिपोर्ट जारी की. इसमें बताया गया कि बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों में से 1,195 का अध्ययन किया गया. कुल 31 फीसदी उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक केस दर्ज होने की बात घोषित की है. इनमें से 24 फीसदी उम्मीदवारों ने हत्या, अगवा और बलात्कार जैसे गंभीर केस दर्ज होना घोषित किया है.
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एडीआर (Association For Democratic Reforms) चौंकाने वाली बात है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) तथा कांग्रेस द्वारा तीसरे चरण में उतारे गए 76 प्रतिशत प्रत्याशियों के विरुद्ध आपराधिक मामले दर्ज हैं, जबकि राष्ट्रीय जनता दल (RJD) द्वारा तीसरे चरण में मैदान में उतारे गए 73 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं
नेशनल इलेक्शन वॉच / ADR के संस्थापक जगदीप चोकर ने कहा कि बिहार चुनाव के दौरान आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों के बारे में जानकारी सार्वजनिक करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का बिल्कुल पालन नहीं किया गया. उनके हिसाब से बहुत कम ही पार्टियों ने सार्वजनिक तौर पर कारण बताए हैं कि क्यों उन्होंने आपराधिक मामलों वाले नेताओं को अपना उम्मीदवार बनाया है.
कोविड में अच्छा काम करने पर दागी प्रत्याशियों को टिकट
चोकर के मुताबिक, पांच से सात उम्मीदवारों के बारे में कहा गया है कि उन्होंने कोविड के दौर में अच्छा काम किया है इसलिए उन्हें उम्मीदवार बनाया गया है ... लेकिन आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों को टिकट देने का यह कारण कैसे हो सकता है?
चुनाव के बाद मामले को फिर कोर्ट ले जाएंगे
चुनावों के बाद हम सुप्रीम कोर्ट के सामने इस मामले को फिर रखेंगे विशेषकर गंभीर आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों को चुनाव में टिकट देने का जो मामला है ... यह कोशिश फिर की जाएगी कि गंभीर आपराधिक मामलों वाले लोगों के चुनाव में भाग लेने पर रोक लगे. सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी के अपने फैसले में कहा था कि राजनीतिक दलों को यह सार्वजनिक तौर पर बताना होगा कि क्यों उन्होने आपराधिक छवि वाले नेताओं को टिकट दिया औऱ क्यों साफ-सुथरी छवि वाले प्रत्याशी उनकी जगह टिकट नहीं पा सके.
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