खस्ताहाल शौचालय
वाराणसी:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के जयापुर गांव को आदर्श गांव बनाने की होड़ अर्द्ध-सरकारी, निजी संस्थाएं और कारपोरेट घरानों में लगी है। इस होड़ में कई चीजे जमीन पर नज़र भी आने लगी हैं जिनमें सड़क, सोलर लाईट, मुसहरों के लिए घर, आँगनबाड़ी, स्कूल आदि। प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान की सबसे अहम कड़ी शौचालय भी बने। लेकिन यही कड़ी सबसे कमजोर साबित हो रही है। तकरीबन 4०० शौचालय बने हैं लेकिन ज्यादातर काम में नहीं आ रहे हैं और कई तो टूट भी गए हैं।
प्रधानमंत्री के आदर्श गांव जयापुर में बने इन शौचालय में शौच करने के लिए कमोड के साथ एक यूरिनल भी है। हांथ धोने के लिए नल के साथ पानी आने के लिए बगल में टंकी भी बनाई गई है। पर गौर से देखेंगे तो इसमें पाइप के कनेक्शन की जगह तो बनी है पर पानी का कनेक्शन नहीं हैं। लिहाजा पानी के बिना गांव वालों के लिए ये बेकार ही साबित हो रही है। गांव के रामजीत वर्मा से जब इन टायलेट के बारे में पूछा तो फ़ौरन बोले कि "ये जो टॉयलेट बना है केवल खड़ा कर दिया गया है इसमें जल की व्यवस्था नहीं है। छोटे-छोटे बच्चे जाते हैं तो पानी नहीं ले जा पाते इसलिए उसमें बड़ी गन्दगी रहती है। इसमे पानी कि कमी है इसलिए लोग नहीं जाते।
सिर्फ पानी ही नहीं इसमें और भी कई कमियां है। जैसे शौचालय तो बना दिया गया पर मल जाने के लिये जो गड्ढा बनाया गया है उसमे ढक्कन ही नहीं बना। और गड्ढे भी सिर्फ पांच पांच फुट के बनाए गए हैं। लिहाजा गांव वाले इसे शौच के लिये तो नहीं यूज कर रहे पर डब्बा खड़ा है लिहाजा बरसात से अपने कंडे (उपले) की ही रक्षा कर रहे हैं उसमे रख कर। क्योंकि उनकी निगाह में ये शौचालय किसी काम के नहीं।
गांव वालों की ये भावना राजकुमार बाखूबी बयान करते हैं " सर ये लेट्रिन जो बना ये बहुत बेकार बना है कोई उपयोग करने लायक नहीं है अगर उपयोग करना है तो दो की जगह एक ही बनाइए।
कुछ लोगों ने बताया कि फाइबर और टीन से बने ये शौचालय जमीन पर बस खड़े ही हैं। लिहाजा तेज आंधी में कई इनमें से गिर भी गए थे। जिन्हें बाद में खड़ा किया गया।
गांव के प्रधान कहते हैं कि कुछ ही शौचालय खराब हैं और उनकी शिकायत कार्यदायी संस्था से कर दी गई है। और उन लोगों ने सर्वे कराकर इसे ठीक करने का आश्वासन भी है।
यहां पर कई चीजे अच्छी भी बनी है जिनमे सड़क, सोलर लाईट, बस स्टैंड, आंगनबाड़ी के कमरे, लड़कियों का छोटा स्कूल और मुसहरों के लिये अटल नगर जिनमे तकरीबन दस मकान बने है।
प्रधानमंत्री के आदर्श गांव जयापुर में बने इन शौचालय में शौच करने के लिए कमोड के साथ एक यूरिनल भी है। हांथ धोने के लिए नल के साथ पानी आने के लिए बगल में टंकी भी बनाई गई है। पर गौर से देखेंगे तो इसमें पाइप के कनेक्शन की जगह तो बनी है पर पानी का कनेक्शन नहीं हैं। लिहाजा पानी के बिना गांव वालों के लिए ये बेकार ही साबित हो रही है। गांव के रामजीत वर्मा से जब इन टायलेट के बारे में पूछा तो फ़ौरन बोले कि "ये जो टॉयलेट बना है केवल खड़ा कर दिया गया है इसमें जल की व्यवस्था नहीं है। छोटे-छोटे बच्चे जाते हैं तो पानी नहीं ले जा पाते इसलिए उसमें बड़ी गन्दगी रहती है। इसमे पानी कि कमी है इसलिए लोग नहीं जाते।
सिर्फ पानी ही नहीं इसमें और भी कई कमियां है। जैसे शौचालय तो बना दिया गया पर मल जाने के लिये जो गड्ढा बनाया गया है उसमे ढक्कन ही नहीं बना। और गड्ढे भी सिर्फ पांच पांच फुट के बनाए गए हैं। लिहाजा गांव वाले इसे शौच के लिये तो नहीं यूज कर रहे पर डब्बा खड़ा है लिहाजा बरसात से अपने कंडे (उपले) की ही रक्षा कर रहे हैं उसमे रख कर। क्योंकि उनकी निगाह में ये शौचालय किसी काम के नहीं।
गांव वालों की ये भावना राजकुमार बाखूबी बयान करते हैं " सर ये लेट्रिन जो बना ये बहुत बेकार बना है कोई उपयोग करने लायक नहीं है अगर उपयोग करना है तो दो की जगह एक ही बनाइए।
कुछ लोगों ने बताया कि फाइबर और टीन से बने ये शौचालय जमीन पर बस खड़े ही हैं। लिहाजा तेज आंधी में कई इनमें से गिर भी गए थे। जिन्हें बाद में खड़ा किया गया।
गांव के प्रधान कहते हैं कि कुछ ही शौचालय खराब हैं और उनकी शिकायत कार्यदायी संस्था से कर दी गई है। और उन लोगों ने सर्वे कराकर इसे ठीक करने का आश्वासन भी है।
यहां पर कई चीजे अच्छी भी बनी है जिनमे सड़क, सोलर लाईट, बस स्टैंड, आंगनबाड़ी के कमरे, लड़कियों का छोटा स्कूल और मुसहरों के लिये अटल नगर जिनमे तकरीबन दस मकान बने है।
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