प्रतीकात्मक तस्वीर
मुंबई:
चमड़े का एक थैला लेकर ऑटो से जा रहे 24 साल के एक व्यक्ति को उस समय परेशानी का सामना करना पड़ा जब ऑटो के चालक को संदेह हुआ कि इस व्यक्ति का थैला गाय के चमड़े से बना हुआ है। यह घटना शुक्रवार को अंधेरी उपनगर में हुई। वरुण कश्यप नामक यह व्यक्ति ऑटो रिक्शा से अपने कार्यालय जा रहा था। उसके ड्राइवर को संदेह हुआ कि उसका थैला गाय के चमड़े से बना है।
एक निजी कंपनी में क्रिएटिव निदेशक के पद पर कार्यरत कश्यप ने अपने फेसबुक पोस्ट पर बताया, ''मैं आटो से काम पर जा रहा था। मेरे लंबे बालों और नाक में छेद देख कर ऑटो वाले को शुरू से ही मुझ पर संदेह हुआ और वह मुझसे पूछताछ करने लगा। फिर उसने ट्रैफिक सिग्नल पर ऑटो रोका और मेरे चमड़े के थैले को देखने लगा।''
असम निवासी कश्यप ने बताया कि फिर चालक ने उनका थैला छुआ और कहा कि यह गाय के चमड़े से बना है। कश्यप ने इससे इनकार किया और बताया कि यह थैला ऊंट के चमड़े से बना है और उन्होंने इसे पुष्कर से खरीदा है। लेकिन जवाब से असंतुष्ट चालक ने कार्यालय जाने के रास्ते में पड़ने वाले एक मंदिर पर गाड़ी रोक दी।
कश्यप के अनुसार, ''इससे पहले कि मैं कुछ कर पाता, चालक ने मंदिर के सामने धूम्रपान कर रहे तीन लोगों को इशारे से बुलाया। उनके आने पर सबने मराठी में बात की जो मैं नहीं समझ पाया। उन्होंने मुझे ऑटो से उतरने को कहा। मैंने मना किया। तभी उनमें से एक व्यक्ति ने मेरे थैले की जांच की। मेरा नाम पूछा गया और कश्यप सुन कर शायद उन्होंने मुझे ब्राह्मण समझा क्योंकि उनकी मराठी में हो रही बातचीत के दौरान मैं केवल 'ब्राह्मण' शब्द ही समझ पाया। फिर वह चले गए।''
उन्होंने बताया कि अगले यातायात सिग्नल पर वह ऑटो से उतर गए, उसका नंबर नोट किया और ऑटो चालक का फोन नंबर मांगा। चालक ने नंबर देते हुए गर्व से कहा, ''आज तो बच गए।'' कश्यप के मुताबिक, उन्होंने कल डीएन नगर पुलिस थाने में संदिग्ध गौरक्षकों (चालक और उसके तीन साथियों) के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ''शिकायतकर्ता को कोई शारीरिक नुकसान नहीं हुआ है, इसलिए हमने गैर संज्ञेय अपराध दर्ज किया है। मामले की जांच की जा रही है।''
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
एक निजी कंपनी में क्रिएटिव निदेशक के पद पर कार्यरत कश्यप ने अपने फेसबुक पोस्ट पर बताया, ''मैं आटो से काम पर जा रहा था। मेरे लंबे बालों और नाक में छेद देख कर ऑटो वाले को शुरू से ही मुझ पर संदेह हुआ और वह मुझसे पूछताछ करने लगा। फिर उसने ट्रैफिक सिग्नल पर ऑटो रोका और मेरे चमड़े के थैले को देखने लगा।''
असम निवासी कश्यप ने बताया कि फिर चालक ने उनका थैला छुआ और कहा कि यह गाय के चमड़े से बना है। कश्यप ने इससे इनकार किया और बताया कि यह थैला ऊंट के चमड़े से बना है और उन्होंने इसे पुष्कर से खरीदा है। लेकिन जवाब से असंतुष्ट चालक ने कार्यालय जाने के रास्ते में पड़ने वाले एक मंदिर पर गाड़ी रोक दी।
कश्यप के अनुसार, ''इससे पहले कि मैं कुछ कर पाता, चालक ने मंदिर के सामने धूम्रपान कर रहे तीन लोगों को इशारे से बुलाया। उनके आने पर सबने मराठी में बात की जो मैं नहीं समझ पाया। उन्होंने मुझे ऑटो से उतरने को कहा। मैंने मना किया। तभी उनमें से एक व्यक्ति ने मेरे थैले की जांच की। मेरा नाम पूछा गया और कश्यप सुन कर शायद उन्होंने मुझे ब्राह्मण समझा क्योंकि उनकी मराठी में हो रही बातचीत के दौरान मैं केवल 'ब्राह्मण' शब्द ही समझ पाया। फिर वह चले गए।''
उन्होंने बताया कि अगले यातायात सिग्नल पर वह ऑटो से उतर गए, उसका नंबर नोट किया और ऑटो चालक का फोन नंबर मांगा। चालक ने नंबर देते हुए गर्व से कहा, ''आज तो बच गए।'' कश्यप के मुताबिक, उन्होंने कल डीएन नगर पुलिस थाने में संदिग्ध गौरक्षकों (चालक और उसके तीन साथियों) के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ''शिकायतकर्ता को कोई शारीरिक नुकसान नहीं हुआ है, इसलिए हमने गैर संज्ञेय अपराध दर्ज किया है। मामले की जांच की जा रही है।''
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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