7वां वेतन आयोग : अलाउंस पर आज की कैबिनेट बैठक में नहीं हुई चर्चा

आज कैबिनेट की बैठक में अलाउंस से जुड़े कैबिनेट नोट पर चर्चा की जो उम्मीद की जा रही थी अब वह नहीं हुई. बैठक के एजेंडा में यह मुद्दा आज था ही नहीं. इस मामले में मीडिया में आई रिपोर्ट पर सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा आपत्ति भी जताई गई.

7वां वेतन आयोग : अलाउंस पर आज की कैबिनेट बैठक में नहीं हुई चर्चा

सातवां वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू हो चुकी हैं.

खास बातें

  • सातवां वेतन आयोग की रिपोर्ट 1 जनवरी 2016 से लागू है
  • कई मुद्दों पर कर्मचारियों का विरोध रहा
  • कर्मचारियों ने अलाउंस को लेकर हुए बदलाव का विरोध किया था.
नई दिल्ली:

देश के करीब 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के लिए इस हफ्ते होने वाली कैबिनेट की बैठक से एक बड़ी खुशखबरी मिल सकती थी, लेकिन अब इंतजार कुछ और बढ़ गया है. आज कैबिनेट की बैठक में अलाउंस से जुड़े कैबिनेट नोट पर चर्चा की जो उम्मीद की जा रही थी अब वह नहीं हुई. बैठक के एजेंडा में यह मुद्दा आज था ही नहीं. इस मामले में मीडिया में आई रिपोर्ट पर सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा आपत्ति भी जताई गई.

वहीं, एक यूनियन लीडर का कहना है कि सरकार की ओर आश्वासन दिया गया है कि इस हफ्ते ही इस मुद्दे को लिया जाएगा. इस आधार पर यह कहा जा रहा था कि सरकार इसी हफ्ते इस मद्दे का समाधान कर देगी. पिछले हफ्ते यह खबर आई थी कि आज की कैबिनेट बैठक में अलाउंसेस को लेकर कैबिनेट नोट पेश किया जा सकता है. 

कर्मचारी संघों के सूत्रों का कहना है कि सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति ने इस मुद्दे पर चर्चा के बाद कैबिनेट नोट तो तैयार कर लिया है. आज की बैठक में कैबिनेट नोट पेश नहीं किए जाने के पीछे कारण यह ज्ञात हुआ कि जिस अधिकारी को इसका जिम्मा दिया गया था वे दिल्ली में नहीं है. ऐसा माना जा रहा है कि उनके दिल्ली में होने पर ही यह नोट कैबिनेट में चर्चा के लिए लाया जाता. इसके पीछे यह कारण बताया जा रहा है कि यदि सरकार को जरूरत पड़ती तब इस बारे में उनसे कुछ सवाल पूछे जा सकते थे. 

बता दें कि केंद्रीय कर्मचारियों को अन्य अलाउंसेस के अलावा एचआरए के मुद्दे पर सरकार के फैसले का इंतजार है. यह इंतजार अब एक साल का होने जा रहा है. उल्लेखनीय है कि पिछले साल 28 जून को ही सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला लिया था. सरकार ने वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू करने का ऐलान किया था. लेकिन वेतन आयोग की कई सिफारिशों के बाद केंद्रीय कर्मचारियों ने कई मुद्दों पर अपनी आपत्ति जताई थी. इन मुद्दों में अलाउंसेस को लेकर विवाद भी था. 

सरकार ने इसके लिए एक समिति का गठन किया था. समिति ने अपनी रिपोर्ट 27 अप्रैल को वित्तमंत्री को सौंप दी थी. वित्तमंत्रालय की ओर से यह रिपोर्ट अधिकार प्राप्त सचिवों की समिति को भेजा गया था. अब इस रिपोर्ट पर चर्चा के बाद 1 जून को सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति ने एक कैबिनेट नोट तैयार किया है. अब माना जा रहा है कि हर बुधवार को होने वाली केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस बारे में फैसला हो सकता है. 

सूत्रों का कहना है कि कर्मचारियों से चर्चा के लिए बनी लवासा समिति ने सातवें वेतन आयोग की अलाउंसेस को लेकर की गई कुछ सिफारिशों में संशोधन के सुझाव दिए हैं. 

जानकारी के लिए बता दें कि सातवां वेतन आयोग से पहले केंद्रीय कर्मचारी 196 किस्म के अलाउंसेस के हकदार थे. लेकिन सातवें वेतन आयोग ने कई अलाउंसेस को समाप्त कर दिया या फिर उन्हें मिला दिया जिसके बाद केवल 55 अलाउंस बाकी रह गए. तमाम कर्मचारियों को कई अलाउंस समाप्त होने का मलाल है. 

बता दें कि सातवें वेतन आयोग (Seventh Pay Commission) द्वारा केन्द्रीय कर्मचारियों को दिए जाने वाले कई भत्तों को लेकर असमंजस की स्थिति है. नरेंद्र मोदी सरकार ने 2016 में सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की सिफारिशों को मंजूरी दी थी और 1 जनवरी 2016 से 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया था. लेकिन, भत्तों के साथ कई मुद्दों पर असहमति होने की वजह से इन सिफारिशें पूरी तरह से लागू नहीं हो पाईं. अब जब अशोक लवासा समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है और जल्द ही वित्तमंत्री अरुण जेटली इस रिपोर्ट पर कोई अंतिम फैसला सरकार की ओर से ले लेंगे.

बता दें कि वेतन आयोग (पे कमीशन) ने अपनी रिपोर्ट में एचआरए को आरंभ में 24%, 16% और 8% तय किया था और कहा गया था कि जब डीए 50 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा तो यह 27%, 18% और 9% क्रमश: हो जाएगा. इतना ही नहीं वेतन आयोग (पे कमिशन) ने यह भी कहा था कि जब डीए 100% हो जाएगा तब यह दर 30%, 20% और 10% क्रमश : एक्स, वाई और जेड शहरों के लिए हो जाएगी. कर्मचारियों का कहना है कि वह इस दर को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.


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