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This Article is From May 30, 2021

"बेरोजगारी अपरंपार, अर्थव्यवस्था का बंटाधार" : मोदी सरकार के 7 साल पर कांग्रेस का तंज

सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार के सात साल में हमने क्या पाया- सिर्फ नफरत और बंटवारे का साया, झूठी नोटबंदी और जीएसटी की माया, फरेब और जुमलों की छाया.

"बेरोजगारी अपरंपार, अर्थव्यवस्था का बंटाधार" : मोदी सरकार के 7 साल पर कांग्रेस का तंज
मोदी सरकार के सात साल पर कांग्रेस का हमला (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

केंद्र की मोदी सरकार के सात साल पूरे हो गए हैं. इस अवसर पर केंद्र सरकार और बीजेपी उपलब्धियां गिना रही है जबकि विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने मोदी सरकार को देश के लिए हानिकारक बताया गया है. कांग्रेस के महासचिव और मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मोदी सरकार ने सात साल में अनगिनत घाव दिए हैं, जो अब नासूर बन गए हैं. कांग्रेस नेता ने कहा कि सात सालों से बेरोजगारी अपरंपार है, कमरतोड़ महंगाई है, अर्थव्यवस्था का बंटाधार हो गया इसीलिए मोदी सरकार देश के लिए हानिकारक है. 

उन्होंने कहा कि सात सालों में हमने क्या खोया और क्या पाया? हमने खोई- लोकतंत्र की गरिमाएं, संवैधानिक संस्थाएं, शासन की मर्यादाएं, प्रधानमंत्री की संवेदनाएं और दर्द बांटने व वचन निभाने की मान्यताएं. हमने खोई इंसानियत और मानवता, आत्मनिर्भरता, वैश्विक मान. सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जनता का विश्वास और सम्मान खो दिया है, लेकिन आज भी वो कहते हैं केवल मैं ही महान. 

सात साल में क्या पाया? सुरजेवाला
सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार के सात साल में हमने क्या पाया- सिर्फ नफरत और बंटवारे का साया, झूठी नोटबंदी और जीएसटी की माया, फरेब और जुमलों की छाया. गंगा मैया में बहती हजारों लाशें. उन्नाव, प्रयागराज और कानपुर में मिट्टी के तले दबी सांसें, सरयू तट पर उतारी जा रही लाल चुन्नियां, श्मशान घाट की नई चुनी ऊंची ऊंची दीवारों के पीछे दहकती आग की चिमनियां. उन्होंने कहा कि क्या यह सब मेरी भारत मां के संस्कार और संस्कृति हो सकते हैं, नहीं. 

कांग्रेस नेता की ओर से जारी बयान- सात साल, सात अपराधिक भूल !

1. ‘अर्थव्यवस्था' बनी ‘गर्त व्यवस्था'
2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई, तो उसे विरासत में औसतन 8.1 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर मिली पर कोरोना महामारी से पहले ही मोदी सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन के चलते जीडीपी की दर साल 2019-20 में गिरकर 4.2 प्रतिशत रह गई. 73 साल में पहली बार देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. साल 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी की दर गिरकर माइनस 24.1 प्रतिशत (-24.1 प्रतिशत) हो गई. हाल में ही 2020-21 की दूसरी तिमाही में यह माइनस 7.5 प्रतिशत (-7.5 प्रतिशत) है. अनुमानों में मुताबिक, साल 2020-21 में जीडीपी दर माइनस 8 प्रतिशत (-8 प्रतिशत) रहेगी.

2. बेइंतहाशा बेरोजगारी, बनी है महामारी 
मोदी सरकार हर वर्ष दो करोड़ रोज़गार देने का वादा कर सत्ता में आई. सात साल में 14 करोड़ रोजगार देना तो दूर, देश में पिछले 45 वर्षों में सबसे अधिक चौतरफा बेरोजगारी है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकॉनॉमी (CMIE) के ताजे आंकड़ों के मुताबिक, देश में बेरोजगारी की दर डबल डिजिट का आंकड़ा पार कर 11.3 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है. आंकड़ों के मुताबिक, केवल कोरोना काल में ही 12.20 करोड़ लोगों ने अपना रोटी-रोजगार खो दिया.

3. कमर तोड़ महंगाई की मार, चारों तरफ हाहाकार
एक तरफ कोरोना महामारी और दूसरी तरफ मोदी निर्मित महंगाई, दोनों ही देशवासियों के दुश्मन बने. खााद्य पदार्थों से लेकर तेल के भाव आसमान छू रहे हैं. इसका सबसे ज्वलंत उदाहरण यह है कि कई प्रांतों में पेट्रोल 100 रुपया लीटर और सरसों का तेल 200 रुपया लीटर तक पार कर गया है.

4. किसानों पर अहंकारी सत्ता का प्रहार
आज़ाद भारत के इतिहास की पहली सरकार है जो न सिर्फ़ किसानों से उनकी आजीविका छीन कर पूंजीपति दोस्तों का घर भरना चाहती है अपितु अन्नदाता भाइयों की प्रतिष्ठा भी धूमिल कर रही है. कभी उन पर लाठी डंडे बरसाती है ,कभी उन्हें आतंकी बताती है, कभी राहों में कील और काँटे बिछाती है. 2014 में आते ही पहले अध्यादेश के माध्यम से किसानों की भूमि के ‘उचित मुआवज़ा कानून 2013' को बदल कर किसानों की ज़मीन हड़पने की कोशिश की.

5. गरीब व मध्यम वर्ग पर मार
कांग्रेस नेता ने बयान में कहा कि विश्व बैंक की रिपोर्ट ने यह बताया कि भारत में यूपीए-कांग्रेस के 10 साल के कार्यकाल में 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठ पाए. परंतु मोदी सरकार के 7 साल के बाद, PEW रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, अकेले 2020 में देश के 3.20 करोड़ लोग अब मध्यम वर्ग की श्रेणी से ही बाहर हो गए. यही नहीं, 23 करोड़ भारतीय एक बार फिर गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी में शामिल हो गए. गरीबी की बजाय मोदी सरकार ने गरीबों पर वार किया है.

6. महामारी की मार, निकम्मी व नाकारा सरकार
कोरोना महामारी के कुप्रबंधन के चलते देश में लाखों लोगों ने सिसक सिसक कर दम तोड़ दिया. हालांकि, मौत का सरकारी आंकड़ा 3,22,512 है, पर सच्चाई इससे कई गुना अधिक भयावह है. कोरोना महामारी ने गांव, कस्बों और शहरों में लाखों लोगों के प्रियजनों को छीन लिया पर मोदी सरकार देश के प्रति जिम्मेवारी से पीछा छुड़ा भाग खड़ी हुई. पूरे देश में ऑक्सीजन का गंभीर संकट है. देश की संसदीय समिति ने नवंबर, 2020 में इसकी चेतावनी दी. कांग्रेस व सारे एक्सपर्ट्स ने इसकी चेतावनी दी, पर मोदी सरकार जनवरी, 2021 तक 9000 टन ऑक्सीजन का निर्यात करती रही. देश के लोग रेमडिज़िविर के इंजेक्शन के लिए तिल तिल कर मरते रहे, पर मोदी सरकार ने 11 लाख से अधिक रेमडिज़िविर इंजेक्शन का निर्यात कर डाला.

7. राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ 
सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार देश की संप्रभुता और सीमाओं की रक्षा करने में पूरी तरह से फेल साबित हुई है. चीन को लाल आंख दिखाना तो दूर,भाजपा सरकार चीन को लद्दाख में हमारी सीमा के अंदर किए गए अतिक्रमण से वापस नहीं धकेल पाई. चीन ने आज भी डेपसांग प्लेंस में भारतीय सीमा के अंदर LAC के पार वाई-जंक्शन तक कब्जा कर रखा है, जिससे भारत की सामरिक हवाई पट्टी, दौलतबेग ओल्डी एयर स्ट्रिप को सीधे खतरा है पर मोदी सरकार चुप है. साफ है कि देश सात सालों की मोदी सरकार की नाकामयाबी को भुगत रहा है. इसीलिए, मोदी सरकार देश के लिए हानिकारक है.

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