मुंबई:
महाराष्ट्र में इस बार बिजली गिरने से हुई मौतों की घटनाओं में पिछले हफ्तेभर में अचानक इजाफ़ा देखने को मिला है। हफ्ते के महज 2 दिनों में इस आपदा में मरनेवालों की संख्या 50 को छूती नजर आयी। इन मौतों की ज्यादातर घटनाएं खानदेश, मराठवाड़ा और विदर्भ में हुई हैं। वैसे इस साल के मानसून में आपात स्थिति में 81 लोगों को अपनी जान गवांनी पड़ी। जिसमें से 69 लोग केवल बिजली गिरने से अब तक मारे जा चुके हैं।
महाराष्ट्र सरकार की आपदा निवारण समिति के सदस्य और पर्यावरणविद अतुल देऊलगावकर ने इसे गंभीर मामला बताया है। उन्होंने NDTV इंडिया को बताया कि इस आपदा में पिछले 5 सालों में मरनेवालों की तादाद 1000 के करीब है। सरकार को इसे संजीदगी से लेना चाहिए क्योंकि इस आपदा से लोगों को बचाना मुमकिन है।
अतुल के मुताबिक सूचना और प्रशिक्षण बिजली गिरने के मामले में सबसे प्रभावी तंत्र है जो इंसान की जान बचा सकता है। लोगों को इस बात को लेकर प्रशिक्षित किया जाए कि बिजली कडकड़ाने पर वे पेड़ का आसरा न लें।
उधर राज्य सरकार ने बिजली गिरने के मामले में मरनेवालों के परिजनों को 5 लाख रु का मुआवजा देने का ऐलान किया है। इसी के साथ इस घटना में जख्मी हुए या अपने मवेशियों को खोने पर मिलनेवाली मदद की राशि महाराष्ट्र सरकार ने बढ़ा दी है।
सरकार में मदद एवं पुनर्वास विभाग का जिम्मा संभाल रहे मंत्री एकनाथ खड़से का कहना है कि राज्य सरकार के पास मौजूद बिजली गिरने की सूचना देती तकनीक को अपडेट करने की जरूरत है।
जानकार बता रहे हैं कि भारत में इस समस्या का समाधान आज भी दूर की कौड़ी लग रहा है। इन मौतों को प्रकृति का प्रकोप मानकर सरकार भी चुप्पी में शायद ज्यादा यकीन करती है।
महाराष्ट्र सरकार की आपदा निवारण समिति के सदस्य और पर्यावरणविद अतुल देऊलगावकर ने इसे गंभीर मामला बताया है। उन्होंने NDTV इंडिया को बताया कि इस आपदा में पिछले 5 सालों में मरनेवालों की तादाद 1000 के करीब है। सरकार को इसे संजीदगी से लेना चाहिए क्योंकि इस आपदा से लोगों को बचाना मुमकिन है।
अतुल के मुताबिक सूचना और प्रशिक्षण बिजली गिरने के मामले में सबसे प्रभावी तंत्र है जो इंसान की जान बचा सकता है। लोगों को इस बात को लेकर प्रशिक्षित किया जाए कि बिजली कडकड़ाने पर वे पेड़ का आसरा न लें।
उधर राज्य सरकार ने बिजली गिरने के मामले में मरनेवालों के परिजनों को 5 लाख रु का मुआवजा देने का ऐलान किया है। इसी के साथ इस घटना में जख्मी हुए या अपने मवेशियों को खोने पर मिलनेवाली मदद की राशि महाराष्ट्र सरकार ने बढ़ा दी है।
सरकार में मदद एवं पुनर्वास विभाग का जिम्मा संभाल रहे मंत्री एकनाथ खड़से का कहना है कि राज्य सरकार के पास मौजूद बिजली गिरने की सूचना देती तकनीक को अपडेट करने की जरूरत है।
जानकार बता रहे हैं कि भारत में इस समस्या का समाधान आज भी दूर की कौड़ी लग रहा है। इन मौतों को प्रकृति का प्रकोप मानकर सरकार भी चुप्पी में शायद ज्यादा यकीन करती है।
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