गणतंत्र दिवस पर परेड...
नई दिल्ली:
68वें गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राजपथ पर तिरंगा फहराया और देश की सैन्य ताकत का प्रदर्शन हुआ. सेना के हवलदार हंगपन दादा को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति ने दादा की पत्नी को यह सम्मान दिया. इस बार परेड में सेना और अर्धसैनिक बलों के 15 मार्चिंग दस्तों ने अपने शौर्य और शक्ति का प्रर्दशन किया. आज की परेश की शुरुआत विंग कमांडर रमेश कुमार दूबे के नेतृत्व में हुई. चार एमआई-17 हेलीकॉप्टरों ने आकाश से पुष्प वर्षा की. इनमें से एक हेलीकॉप्टर तिरंगा लेकर उड़ा, जबकि तीन अन्य हेलीकॉप्टरों पर सेना, नौसेना और वायु सेना की पताका फहराया गया.
पहली बार परेड में संयुक्त अरब अमीरात के 144 जवानों का दस्ता भी सेना के जवानों के साथ परेड करता दिखाई दिया. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस साल गणतंत्र दिवस में मुख्य अतिथि अबु धाबी के शहजादे मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान रहे. इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. उनके साथ तीनों सेनाओं के प्रमुख भी मौजूद थे.
परेड से पहले परेड कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज नरवाने और उनके नायब मेजर जनरल राजेश सहाय ने सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर--भारत के राष्ट्रपति के प्रति सम्मान प्रकट किया. परमवीर चक्र और अशोक चक्र से सम्मानित सैनिकों ने भी परेड कमांडर का अनुसरण किया. परेड का सबसे बड़ा आकर्षण भारत के एकमात्र कैवेलरी का अपने प्रतापी घोड़ों के साथ मार्च रहा.
सेना अपने टैंक टी-90 और इन्फैन्ट्री कॉम्बैट व्हीकल और ब्रह्मोस मिसाइल, हथियार का स्थान बताने वाले रडार स्वाति, ढुलाई करने लायक उपग्रह टर्मिनल और आकाश हथियार प्रणाली को भी दर्शाया. एक और आकर्षण धनुष तोप प्रणाली रहा. इसके बाद एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर रूद्र सलामी उड़ान भरी. परेड में पहली बार देश में ही बनी तोप धनुष भी दिखाई दी.
रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) अपना एडवांस्ड टॉड आर्टिफिसियल गन सिस्टम (एटीएजीएस) और मध्यम क्षमता वाले रडार अरूद्र को प्रदर्शित किया. अर्धसैनिक बल की टुकड़ी का नेतृत्व बीएसएफ का ऊंट बैंड ने किया. इसके बाद भारतीय तटरक्षक बल, सीआईएसएफ, दिल्ली पुलिस, एनएसजी और एनसीसी की टुकड़ियों ने मार्च किया.
करीब 100 एनएसजी कमांडो का दस्ता भी पहली बार इस परेड में शामिल हुआ. एनएसजी कमांडो के दस्ते को देख कर देश आश्वस्त हो गया कि आतंकियों को करारा जवाब देने के लिए हमारे कमांडो पूरी तरह से मुस्तैद हैं.
देश में कहीं भी आतंकियों पर कार्रवाई के लिए एनएसजी कमांडो को ही तैनात किया जाता है. पठानकोट आतंकी हमले से निपटने में इन कमांडो ने ख़ास भूमिका निभाई थी. पाकिस्तान से सटी सीमा पर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देने वाले सेना के वीर कमांडो को शौर्य और वीर चक्र देने की सरकार ने भले ही घोषणा की हो लेकिन उनका दस्ता परेड में नहीं दिखाई दिया.
हालांकि पिछली बार पैरा कमांडो का दस्ता राजपथ पर कदमताल करते नजर आया और यह कितना आकर्षक था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोग इस बार भी इनकी प्रतीक्षा कर थे और उनकी याद में अब भी वह दृश्य था. देश में ही बना हल्का लड़ाकू विमान तेजस भी पहली बार दूसरे लड़ाकू विमानों के साथ आसमान में करतब दिखाता हुआ नज़र आएगा. इतना ही नहीं टी-90 टैंक, आकाश और ब्रह्मोस मिसाइल भी राजपथ पर नज़र आई. अर्धसैनिक बलों के मार्चिंग दस्ते में बीएएसएफ का ऊंट सवार दस्ता और बैंड भी अपने पुराने अंदाज में दिखा. 25 राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार पाए बच्चे भी गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बने.
गणतंत्र दिवस परेड में मेकैनाइज्ड इन्फैन्ट्री रेजीमेंट, बिहार रेजीमेंट, गोरखा ट्रेनिंग सेंटर और पंजाब रेजीमेंटल सेंटर, सिख रेजीमेंटल सेंटर, मद्रास इंजीनियरिंग ग्रुप, इन्फैन्ट्री, बटालियन (क्षेत्रीय सेना) सिख लाइट इन्फैन्ट्री का संयुक्त बैंड भी दिखा. इसके बाद नौसेना की मार्चिंग टुकड़ी और नौसेना की भी एक झांकी दिखी. वायु सेना के मार्चिंग टुकड़ी के बाद वायु सेना की भी एक झांकी दिखाई गई, जिसमें भारतीय वायुसेना के सैन्य कौशल को प्रदर्शित किया गया.
राजपथ पर 17 राज्यों और 6 मंत्रालयों की झांकियां भी प्रदर्शित की गईं.
ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, गुजरात, लक्षद्वीप, कर्नाटक, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, पंजाब, तमिलनाडु, त्रिपुरा, जम्मू कश्मीर, असम समेत अन्य राज्य अपनी-अपनी झांकियों के माध्यम से अपनी परंपरा और संस्कृति की झलक पेश की.
वित्त मंत्रालय के तहत केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सीमा शुल्क बोर्ड विभाग के साथ कौशल विकास मंत्रालय की भी झांकी गणतंत्र दिवस परेड में देखने को मिली.
पहली बार परेड में संयुक्त अरब अमीरात के 144 जवानों का दस्ता भी सेना के जवानों के साथ परेड करता दिखाई दिया. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस साल गणतंत्र दिवस में मुख्य अतिथि अबु धाबी के शहजादे मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान रहे. इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. उनके साथ तीनों सेनाओं के प्रमुख भी मौजूद थे.
परेड से पहले परेड कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज नरवाने और उनके नायब मेजर जनरल राजेश सहाय ने सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर--भारत के राष्ट्रपति के प्रति सम्मान प्रकट किया. परमवीर चक्र और अशोक चक्र से सम्मानित सैनिकों ने भी परेड कमांडर का अनुसरण किया. परेड का सबसे बड़ा आकर्षण भारत के एकमात्र कैवेलरी का अपने प्रतापी घोड़ों के साथ मार्च रहा.
सेना अपने टैंक टी-90 और इन्फैन्ट्री कॉम्बैट व्हीकल और ब्रह्मोस मिसाइल, हथियार का स्थान बताने वाले रडार स्वाति, ढुलाई करने लायक उपग्रह टर्मिनल और आकाश हथियार प्रणाली को भी दर्शाया. एक और आकर्षण धनुष तोप प्रणाली रहा. इसके बाद एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर रूद्र सलामी उड़ान भरी. परेड में पहली बार देश में ही बनी तोप धनुष भी दिखाई दी.
रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) अपना एडवांस्ड टॉड आर्टिफिसियल गन सिस्टम (एटीएजीएस) और मध्यम क्षमता वाले रडार अरूद्र को प्रदर्शित किया. अर्धसैनिक बल की टुकड़ी का नेतृत्व बीएसएफ का ऊंट बैंड ने किया. इसके बाद भारतीय तटरक्षक बल, सीआईएसएफ, दिल्ली पुलिस, एनएसजी और एनसीसी की टुकड़ियों ने मार्च किया.
करीब 100 एनएसजी कमांडो का दस्ता भी पहली बार इस परेड में शामिल हुआ. एनएसजी कमांडो के दस्ते को देख कर देश आश्वस्त हो गया कि आतंकियों को करारा जवाब देने के लिए हमारे कमांडो पूरी तरह से मुस्तैद हैं.
देश में कहीं भी आतंकियों पर कार्रवाई के लिए एनएसजी कमांडो को ही तैनात किया जाता है. पठानकोट आतंकी हमले से निपटने में इन कमांडो ने ख़ास भूमिका निभाई थी. पाकिस्तान से सटी सीमा पर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देने वाले सेना के वीर कमांडो को शौर्य और वीर चक्र देने की सरकार ने भले ही घोषणा की हो लेकिन उनका दस्ता परेड में नहीं दिखाई दिया.
हालांकि पिछली बार पैरा कमांडो का दस्ता राजपथ पर कदमताल करते नजर आया और यह कितना आकर्षक था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोग इस बार भी इनकी प्रतीक्षा कर थे और उनकी याद में अब भी वह दृश्य था. देश में ही बना हल्का लड़ाकू विमान तेजस भी पहली बार दूसरे लड़ाकू विमानों के साथ आसमान में करतब दिखाता हुआ नज़र आएगा.
गणतंत्र दिवस परेड में मेकैनाइज्ड इन्फैन्ट्री रेजीमेंट, बिहार रेजीमेंट, गोरखा ट्रेनिंग सेंटर और पंजाब रेजीमेंटल सेंटर, सिख रेजीमेंटल सेंटर, मद्रास इंजीनियरिंग ग्रुप, इन्फैन्ट्री, बटालियन (क्षेत्रीय सेना) सिख लाइट इन्फैन्ट्री का संयुक्त बैंड भी दिखा. इसके बाद नौसेना की मार्चिंग टुकड़ी और नौसेना की भी एक झांकी दिखी. वायु सेना के मार्चिंग टुकड़ी के बाद वायु सेना की भी एक झांकी दिखाई गई, जिसमें भारतीय वायुसेना के सैन्य कौशल को प्रदर्शित किया गया.
राजपथ पर 17 राज्यों और 6 मंत्रालयों की झांकियां भी प्रदर्शित की गईं.
ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, गुजरात, लक्षद्वीप, कर्नाटक, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, पंजाब, तमिलनाडु, त्रिपुरा, जम्मू कश्मीर, असम समेत अन्य राज्य अपनी-अपनी झांकियों के माध्यम से अपनी परंपरा और संस्कृति की झलक पेश की.
वित्त मंत्रालय के तहत केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सीमा शुल्क बोर्ड विभाग के साथ कौशल विकास मंत्रालय की भी झांकी गणतंत्र दिवस परेड में देखने को मिली.
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