प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
दिल्ली की एक अदालत ने आठ साल की बच्ची का यौन उत्पीड़न करने और उसे चुप रहने के लिए धमकाने के दोषी, 32 वर्षीय एक व्यक्ति को पांच साल कैद की सजा सुनाई है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अश्विनी कुमार सरपाल ने पूर्वी दिल्ली के निवासी दशरथ को 'यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा कानून' के तहत दोषी ठहराया और उसे पांच साल के सश्रम कारावास के साथ साथ 10,000 रुपये जुर्माने की सजा भी सुनाई.
अदालत ने कहा, ''पीड़ित और अन्य गवाहों के बयान भरोसे के लायक हैं. ऐसे में पुलिस को मामले की सूचना देने में विलंब गंभीर मुद्दा नहीं है. विलंब दो दिन का था जिसे वर्तमान तथ्यों और इन परिस्थितियों को देखते हुए माफ किया जा सकता है कि आठ साल की अवयस्क बच्ची के साथ यह जघन्य अपराध किया गया.''
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तीन साल पुराना केस
बच्ची की मां ने शिकायत दर्ज कराई है जिसके अनुसार, दशरथ ने 13 जून 2014 को बच्ची को पकड़ा और उसके कपड़े उतारने की कोशिश की. तब वह अपने घर की छत पर खेल रही थी. यह आरोप भी शिकायत में लगाया गया कि दशरथ ने बच्ची को चाकू दिखा कर धमकाया कि वह घटना के बारे में किसी से कुछ न कहे वरना वह उसकी जान ले लेगा.
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VIDEO: हत्या का आरोपी दिल्ली से गिरफ्तार
अदालत ने कहा, ''ऐसा लगता है कि पीड़ित ने भयभीत होने की वजह से अपने अभिभावकों को तत्काल कुछ नहीं बताया. दो दिन बाद घटना का पता चलने पर जब उसकी मां उसे आरोपी के घर ले कर गई तब पीड़ित ने जोर जोर से रोना शुरू कर दिया क्योंकि वह बुरी तरह डरी हुई थी.'' दशरथ ने खुद पर लगे आरोपों को नकारते हुए स्वयं को बेकसूर बताया. उसने अदालत में कहा कि बच्ची के मामा के साथ उसका कुछ विवाद होने की वजह से उसके खिलाफ यह मामला दर्ज कराया गया है.
अदालत ने कहा, ''पीड़ित और अन्य गवाहों के बयान भरोसे के लायक हैं. ऐसे में पुलिस को मामले की सूचना देने में विलंब गंभीर मुद्दा नहीं है. विलंब दो दिन का था जिसे वर्तमान तथ्यों और इन परिस्थितियों को देखते हुए माफ किया जा सकता है कि आठ साल की अवयस्क बच्ची के साथ यह जघन्य अपराध किया गया.''
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बच्ची की मां ने शिकायत दर्ज कराई है जिसके अनुसार, दशरथ ने 13 जून 2014 को बच्ची को पकड़ा और उसके कपड़े उतारने की कोशिश की. तब वह अपने घर की छत पर खेल रही थी. यह आरोप भी शिकायत में लगाया गया कि दशरथ ने बच्ची को चाकू दिखा कर धमकाया कि वह घटना के बारे में किसी से कुछ न कहे वरना वह उसकी जान ले लेगा.
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अदालत ने कहा, ''ऐसा लगता है कि पीड़ित ने भयभीत होने की वजह से अपने अभिभावकों को तत्काल कुछ नहीं बताया. दो दिन बाद घटना का पता चलने पर जब उसकी मां उसे आरोपी के घर ले कर गई तब पीड़ित ने जोर जोर से रोना शुरू कर दिया क्योंकि वह बुरी तरह डरी हुई थी.'' दशरथ ने खुद पर लगे आरोपों को नकारते हुए स्वयं को बेकसूर बताया. उसने अदालत में कहा कि बच्ची के मामा के साथ उसका कुछ विवाद होने की वजह से उसके खिलाफ यह मामला दर्ज कराया गया है.
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