ट्रेड यूनियनों की हड़ताल
श्रम क़ानूनों में बदलावों के ख़िलाफ़ आज देश के 10 ट्रेड यूनियन्स ने हड़ताल पर हैं, जिसका देश के कई हिस्सों में असर दिख रहा है। ये हैं वे पांच कारण जिनके चलते वे हड़ताल पर हैं।
10 ट्रेड यूनियन यह मांग कर रही हैं कि सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश पर रोक लगा दे। साथ ही अनप्रॉडक्टिव फैक्ट्रियों को बंद करने की किसी भी तरह की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दे। इसकी जगह बीमारू कंपनियों को अच्छा करने पर जोर दे।
ट्रेड यूनियनों का दावा है कि अगर सरकार फैक्ट्री एस्टेबलिशमेंट ऐक्ट, बोनस ऐक्ट और इंडस्ट्रियल रिलेशन्स जैसे प्रमुख कानून में संशोधन करती है तो 75 फीसदी वर्कफोर्स श्रम कानूनों से बाहर हो जाएंगे।
सरकरा छोटी फैक्ट्रियों को बेचने की योजना बना रही है जहां 40 से तक वर्कफोर्स है। यूनियन कह रही हैं कि इससे ज्यादातर वर्कफोर्स की जॉब सिक्यॉरिटी खत्म हो जाएगी।
बैंकिंग, निर्माण, मैन्युफैक्चरिंग, कोयला खदान सेक्टर्स से जुड़े कर्मी हैं हड़ताल पर। नए कानूनों से श्रम कानूनों का असर खत्म होगा।
हॉकरों, घरेलू कामगारों और डेली वेज पर काम करने वालों ने भी न्यूनतम वेतन को बढ़ाने को लेकर मांग की है और वे भी इस हड़ताल में शामिल हो गए हैं।
10 ट्रेड यूनियन यह मांग कर रही हैं कि सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश पर रोक लगा दे। साथ ही अनप्रॉडक्टिव फैक्ट्रियों को बंद करने की किसी भी तरह की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दे। इसकी जगह बीमारू कंपनियों को अच्छा करने पर जोर दे।
ट्रेड यूनियनों का दावा है कि अगर सरकार फैक्ट्री एस्टेबलिशमेंट ऐक्ट, बोनस ऐक्ट और इंडस्ट्रियल रिलेशन्स जैसे प्रमुख कानून में संशोधन करती है तो 75 फीसदी वर्कफोर्स श्रम कानूनों से बाहर हो जाएंगे।
सरकरा छोटी फैक्ट्रियों को बेचने की योजना बना रही है जहां 40 से तक वर्कफोर्स है। यूनियन कह रही हैं कि इससे ज्यादातर वर्कफोर्स की जॉब सिक्यॉरिटी खत्म हो जाएगी।
बैंकिंग, निर्माण, मैन्युफैक्चरिंग, कोयला खदान सेक्टर्स से जुड़े कर्मी हैं हड़ताल पर। नए कानूनों से श्रम कानूनों का असर खत्म होगा।
हॉकरों, घरेलू कामगारों और डेली वेज पर काम करने वालों ने भी न्यूनतम वेतन को बढ़ाने को लेकर मांग की है और वे भी इस हड़ताल में शामिल हो गए हैं।
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