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This Article is From Sep 03, 2018

कांग्रेस के आरोपों के बीच फ्रांस ने ग्वालियर एयरबेस पर उतरे 3 राफेल विमान

देश में राफेल की कीमतों को लेकर जारी राजनीति के बीच फ्रांस के 3 राफेल लड़ाकू विमान ग्वालियर एयरबेस पर उतरे हैं और अगले दो दिन तक ये विमान ग्वालियर में रहेंगे.

कांग्रेस के आरोपों के बीच फ्रांस ने ग्वालियर एयरबेस पर उतरे 3 राफेल विमान
फाइल फोटो
नई दिल्ली:

देश में राफेल की कीमतों को लेकर जारी राजनीति के बीच फ्रांस के 3 राफेल लड़ाकू विमान ग्वालियर एयरबेस पर उतरे हैं और अगले दो दिन तक ये विमान ग्वालियर में रहेंगे. माना जा रहा है कि इस दौरान भारतीय पायलट भी इस विमान को उड़ाने की ट्रेनिंग ले सकते हैं, जबकि फ्रांस के पायलट मिराज 2000 लड़ाकू विमान को उड़ाएंगे. माना जा रहा है कि जल्द ही राफेल की खेप भारत पहुंचने लगेगी. ऐसे में ये ट्रेनिंग भारतीय पायलटों के लिए काफी मददगार साबित होगी. आपको बता दें कि फ्रांस से 36 राफेल विमानों का सौदा भारत सरकार ने किया है.

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क्‍या है मामला 
रिपोर्ट्स की मानें तो 2012 से लेकर 2014 के बीच बातचीत किसी नतीजे पर न पहुंचने की सबसे बड़ी वजह थी विमानों की गुणवत्ता का मामला. कहा गया कि डसाल्ट एविएशन भारत में बनने वाले विमानों की गुणवत्ता की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं थी. साथ ही टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को लेकर भी एकमत वाली स्थिति नहीं थी. यूपीए सरकार और डसॉल्ट के बीच कीमतों और प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण पर लंबी बातचीत हुई थी. अंतिम वार्ता 2014 की शुरुआत तक जारी रही लेकिन सौदा नहीं हो सका. प्रति राफेल विमान की कीमत का विवरण आधिकारिक तौर पर घोषित नहीं किया गया था, लेकिन तत्कालीन संप्रग सरकार ने संकेत दिया था कि सौदा 10.2 अरब अमेरिकी डॉलर का होगा. कांग्रेस ने प्रत्येक विमान की दर एवियोनिक्स और हथियारों को शामिल करते हुए 526 करोड़ रुपये (यूरो विनिमय दर के मुकाबले) बताई थी.

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मोदी सरकार द्वारा किया गया सौदा क्या है?
फ्रांस की अपनी यात्रा के दौरान, 10 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि सरकारों के स्तर पर समझौते के तहत भारत सरकार 36 राफेल विमान खरीदेगी. घोषणा के बाद, विपक्ष ने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री ने सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की मंजूरी के बिना कैसे इस सौदे को अंतिम रूप दिया. मोदी और तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलोंद के बीच वार्ता के बाद 10 अप्रैल, 2015 को जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि वे 36 राफेल जेटों की आपूर्ति के लिए एक अंतर सरकारी समझौता करने पर सहमत हुए. अंतिम सौदा? 

भारत और फ्रांस ने 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए 23 सितंबर, 2016 को 7.87 अरब यूरो (लगभग 5 9,000 करोड़ रुपये) के सौदे पर हस्ताक्षर किए. विमान की आपूर्ति सितंबर 2019 से शुरू होगी. आरोप? कांग्रेस इस सौदे में भारी अनियमितताओं का आरोप लगा रही है. उसका कहना है कि सरकार प्रत्येक विमान 1,670 करोड़ रुपये में खरीद रही है जबकि संप्रग सरकार ने प्रति विमान 526 करोड़ रुपये कीमत तय की थी. पार्टी ने सरकार से जवाब मांगा है कि क्यों सरकारी एयरोस्पेस कंपनी एचएएल को इस सौदे में शामिल नहीं किया गया. 

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क्‍या है कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस ने विमान की कीमत और कैसे प्रति विमान की कीमत 526 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,670 करोड़ रुपये की गई यह भी बताने की मांग की है. सरकार ने भारत और फ्रांस के बीच 2008 समझौते के एक प्रावधान का हवाला देते हुए विवरण साझा करने से इंकार कर दिया है. 

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