प्रतीकात्मक तस्वीर...
मुंबई:
औरंगाबाद हथियार मामले में 26/11 हमले के आरोपी अबु जुंदाल और अन्य 11 दोषियों को आज सज़ा सुनाई जाएगी। कल महाराष्ट्र की मकोका कोर्ट ने इस मामले में 12 लोगों को दोषी ठहराया था, जबकि 8 को बरी कर दिया गया। हालांकि कोर्ट ने इस मामले में मकोका क़ानून को ग़लत बताते हुए इसे हटा दिया।
दोषी करार दिए गए लोगों में लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी और 26/11 का साजिशकर्ता सैयद जैबुद्दीन अंसारी उर्फ अबु जुंदाल भी शामिल है।
कोर्ट ने माना, पीएम मोदी और तोगड़िया को मारने की साजिश का हिस्सा था
विशेष मकोका न्यायाधीश एस. एल. अनेकर ने अभियोजन पक्ष की इस दलील को भी सही माना कि यह मामला 2002 के गुजरात सांप्रदायिक दंगों के बाद राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया को मारने की साजिश का हिस्सा था। इस मामले में कुल 22 आरोपी थे, जिन्होंने बड़े पैमाने पर विस्फोटक, हथियार और गोला बारूद इकट्ठा किए थे और 2002 के गुजरात दंगे में नेताओं की भूमिका के लिए उन्हें निशाना बनाने की कथित रूप से साजिश रची थी। जुंदाल की गिरफ्तारी के बाद 2013 में मामले की सुनवाई दोबारा शुरू की गई। सुनवाई इस साल मार्च में मकोका अदालत में पूरी हुई।
ये हैं मामले के 12 दोषी
अबु जुंदाल, असलम कश्मीरी, फैसल अताउर-रहमान शेख, अफरोज खान शाहिद पठान, सैयद अकीफ एस. जफरुद्दीन, बिलाल अहमद अब्दुल रजाक, एम. शरीफ शब्बीर अहमद, अफजल के. नबी खान, मुश्ताक अहमद एम. इसाफ शेख, जावेद ए. अब्दुल माजिद, एम. मुजफ्फर मोहम्मद तनवीर तथा मोहम्मद आमिर शकील अहमद
अदालत द्वारा दोषी करार दिए गए आरोपियों में से एक फैसल अताउर रहमान शेख को मुंबई श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट मामले में 11 जुलाई, 2006 को मौत की सजा सुनाई गई है।
बरी किए गए लोग
सबूतों की कमी सहित विभिन्न अन्य आधारों पर जिन आठ आरोपियों को बरी किया गया है, उनमें मोहम्मद जुबेर सैयद अनवर, अब्दुल अजीम अब्दुल जलील, रियाज अहमद एम.रमजान, खातिब इमरान अकील अहमद, विकार अहमद निसार शेख, अब्दुल समद शमशेर खान, मोहम्मद अकील इस्माइल मोमिन तथा फिरोज ताजुद्दीन देशमुख
दो अन्य आरोपियों, एक फरार आरोपी अब्दुल नईम तथा एक सरकारी गवाह बने महमूद सैयद के खिलाफ सुनवाई अलग-अलग होगी।
8 मई, 2006 को औरंगाबाद के पास एटीएस ने किया था गिरफ्तार
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र आतंकवाद-रोधी दस्ते (एटीएस) ने खुफिया सूचना के आधार पर आठ मई, 2006 को औरंगाबाद के पास चंदवाड़-मनवाड़ राजमार्ग पर टाटा इंडिका और टाटा सूमो का पीछा किया था। एटीएस ने टाटा सूमो से तीन संदिग्धों मोहम्मद आमिर शकील अहमद, जुबेर सैयद अनवर और अब्दुलाजीम अब्दुलजमीद शेख को गिरफ्तार किया, जबकि टाटा इंडिका, जिसे कथित रूप से अबु जुंदाल चला रहा था, में सवार आरोपी बच निकले। एटीएस ने इसके बाद दो अलग-अलग छापे के दौरान खुलताबाद, येओला और मालेगांव इलाकों से 43 किलोग्राम आरडीएक्स, 16 एके-47 आर्मी असॉल्ट राइफल, 3200 राउंड गोला बारूद और 50 हथगोले जब्त किए। जुंदाल वाहन छोड़कर अपने एक अन्य सहयोगी के साथ बांग्लादेश भाग गया और उसके बाद फर्जी पासपोर्ट से पाकिस्तान फरार हो गया।
सऊदी अरब से किया गया था जुंदाल का प्रत्यर्पण
महाराष्ट्र के बीड के रहने वाले जुंदाल को जून 2012 में सऊदी अरब से प्रत्यर्पण कर गिरफ्तार कर लिया गया। उसने एटीएस को अन्य ठिकानों के बारे में भी जानकारी दी, जहां से 13 किलोग्राम आरडीएक्स, 1,200 कारतूस, 50 हथगोले और 22 मैगजीन बरामद की गई। इस मामले में कुल 22 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। एटीएस ने वर्ष 2013 में जुंदाल सहित सभी आरोपियों के खिलाफ साल 2006 से ही विभिन्न मामलों की साजिश करने को लेकर आरोपपत्र दायर किए।
इससे पहले, एक आरोपी की याचिका पर मामले की सुनवाई पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी। आरोपी ने अपनी याचिका में मकोका के तहत अपने ऊपर लगे कुछ प्रावधानों की संवैधानिक मान्यता को चुनौती दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई पर लगी रोक को साल 2009 में हटा लिया। (इनपुट एजेंसी से भी)
दोषी करार दिए गए लोगों में लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी और 26/11 का साजिशकर्ता सैयद जैबुद्दीन अंसारी उर्फ अबु जुंदाल भी शामिल है।
कोर्ट ने माना, पीएम मोदी और तोगड़िया को मारने की साजिश का हिस्सा था
विशेष मकोका न्यायाधीश एस. एल. अनेकर ने अभियोजन पक्ष की इस दलील को भी सही माना कि यह मामला 2002 के गुजरात सांप्रदायिक दंगों के बाद राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया को मारने की साजिश का हिस्सा था। इस मामले में कुल 22 आरोपी थे, जिन्होंने बड़े पैमाने पर विस्फोटक, हथियार और गोला बारूद इकट्ठा किए थे और 2002 के गुजरात दंगे में नेताओं की भूमिका के लिए उन्हें निशाना बनाने की कथित रूप से साजिश रची थी। जुंदाल की गिरफ्तारी के बाद 2013 में मामले की सुनवाई दोबारा शुरू की गई। सुनवाई इस साल मार्च में मकोका अदालत में पूरी हुई।
ये हैं मामले के 12 दोषी
अबु जुंदाल, असलम कश्मीरी, फैसल अताउर-रहमान शेख, अफरोज खान शाहिद पठान, सैयद अकीफ एस. जफरुद्दीन, बिलाल अहमद अब्दुल रजाक, एम. शरीफ शब्बीर अहमद, अफजल के. नबी खान, मुश्ताक अहमद एम. इसाफ शेख, जावेद ए. अब्दुल माजिद, एम. मुजफ्फर मोहम्मद तनवीर तथा मोहम्मद आमिर शकील अहमद
अदालत द्वारा दोषी करार दिए गए आरोपियों में से एक फैसल अताउर रहमान शेख को मुंबई श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट मामले में 11 जुलाई, 2006 को मौत की सजा सुनाई गई है।
बरी किए गए लोग
सबूतों की कमी सहित विभिन्न अन्य आधारों पर जिन आठ आरोपियों को बरी किया गया है, उनमें मोहम्मद जुबेर सैयद अनवर, अब्दुल अजीम अब्दुल जलील, रियाज अहमद एम.रमजान, खातिब इमरान अकील अहमद, विकार अहमद निसार शेख, अब्दुल समद शमशेर खान, मोहम्मद अकील इस्माइल मोमिन तथा फिरोज ताजुद्दीन देशमुख
दो अन्य आरोपियों, एक फरार आरोपी अब्दुल नईम तथा एक सरकारी गवाह बने महमूद सैयद के खिलाफ सुनवाई अलग-अलग होगी।
8 मई, 2006 को औरंगाबाद के पास एटीएस ने किया था गिरफ्तार
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र आतंकवाद-रोधी दस्ते (एटीएस) ने खुफिया सूचना के आधार पर आठ मई, 2006 को औरंगाबाद के पास चंदवाड़-मनवाड़ राजमार्ग पर टाटा इंडिका और टाटा सूमो का पीछा किया था। एटीएस ने टाटा सूमो से तीन संदिग्धों मोहम्मद आमिर शकील अहमद, जुबेर सैयद अनवर और अब्दुलाजीम अब्दुलजमीद शेख को गिरफ्तार किया, जबकि टाटा इंडिका, जिसे कथित रूप से अबु जुंदाल चला रहा था, में सवार आरोपी बच निकले। एटीएस ने इसके बाद दो अलग-अलग छापे के दौरान खुलताबाद, येओला और मालेगांव इलाकों से 43 किलोग्राम आरडीएक्स, 16 एके-47 आर्मी असॉल्ट राइफल, 3200 राउंड गोला बारूद और 50 हथगोले जब्त किए। जुंदाल वाहन छोड़कर अपने एक अन्य सहयोगी के साथ बांग्लादेश भाग गया और उसके बाद फर्जी पासपोर्ट से पाकिस्तान फरार हो गया।
सऊदी अरब से किया गया था जुंदाल का प्रत्यर्पण
महाराष्ट्र के बीड के रहने वाले जुंदाल को जून 2012 में सऊदी अरब से प्रत्यर्पण कर गिरफ्तार कर लिया गया। उसने एटीएस को अन्य ठिकानों के बारे में भी जानकारी दी, जहां से 13 किलोग्राम आरडीएक्स, 1,200 कारतूस, 50 हथगोले और 22 मैगजीन बरामद की गई। इस मामले में कुल 22 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। एटीएस ने वर्ष 2013 में जुंदाल सहित सभी आरोपियों के खिलाफ साल 2006 से ही विभिन्न मामलों की साजिश करने को लेकर आरोपपत्र दायर किए।
इससे पहले, एक आरोपी की याचिका पर मामले की सुनवाई पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी। आरोपी ने अपनी याचिका में मकोका के तहत अपने ऊपर लगे कुछ प्रावधानों की संवैधानिक मान्यता को चुनौती दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई पर लगी रोक को साल 2009 में हटा लिया। (इनपुट एजेंसी से भी)
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