नई दिल्ली: नेपाल में नया संविधान लागू होने के बाद नाराज़ मधेशी आंदोलनकारियों ने रक्सौल में भारत-नेपाल सरहद पर जो जाम लगाया है, वो 20 किलोमीटर लंबा हो गया है। देश के इस सबसे लंबे जाम का असर दोनों देशों के संबंधों पर भी दिख रहा है और स्थानीय लोगों की परेशानी में भी।
इस जाम में फंसे ट्रक ड्राइवर अकबर खान बीते कई हफ्तों से रक्सौल शहर के बाहर NH-28 से सटे गांवों से खाने-पीने का सामान ख़रीद कर गुज़ारा कर रहे हैं। भारत-नेपाल सीमा पर मधेशी आंदोलन की वजह से लगा जाम अब 20 किलोमीटर लंबा हो चुका है। मजबूरी में अकबर खान ने अपने ट्रक के केबिन को ही अपना घर बना लिया है। उन्होंने एनडीटीवी से कहा, 'हम सात हफ्ते से फंसे हैं इस जाम में। अब दम घुटता है, हम घर एक रुपया भी नहीं भेज पाए हैं। जिन्दगी बद से बदतर हो गयी है हमारी।' उनके हेल्पर इरफान कहते हैं कि जाम में फंसे होने की वजह से उन्हें अब तक 25,000-26,000 का नुकसान हो चुका है।
इस सड़क में ठहरे हुए ट्रकों का सिलसिला जैसे ख़त्म ही नहीं हो रहा। वो और बड़ा होता जा रहा है। कई हज़ार ट्रक फंसे पड़े हैं- साथ में उनके ड्राइवर और सहयोगी भी।
इस जाम में फंसे हज़ारों ड्राइवरों को अब आए दिन नई-नई समस्याएं शुरू हो गई हैं। जम्मू से आए ट्रक ड्राइवर जिम्मी सिंह कहते हैं, 'डीज़ल की चोरी शुरू हो गयी है, अब वो रात को सो भी नहीं पाते हैं।' जिम्मी सिंह ने एनडीटीवी से कहा, 'अब हम ना आगे जा सकते हैं ना पीछे, रात भर चौकेदारी करनी पड़ती है क्योंकि डीज़ल की चोरी शुरू हो गयी है। अगर जागेंगे नहीं तो ट्रक का टायर भी नहीं बचेगा।'
बिहार में हो रहे चुनावों के दौरान हुए इस लंबे जाम में आम मतदाता भी फंसे हैं। छपरा के ट्रक ड्राइवर बलिराम राय तय कर चुके हैं कि अगर 28 अक्टूबर तक जाम नहीं खुला तो वो अपना मत डालने अपने गांव ज़रूर जाएंगे।
फिलहाल मधेशियों का आंदोलन जारी है और रक्सौल में भारत-नेपाल सीमा पर उनकी नाकेबंदी जारी है। इस जाम से करोड़ों-अरबों का जो नुकसान हो रहा है, वो अपनी जगह है - इसके अलावा भारत-नेपाल के रिश्तों पर भी इसका असर पड़ रहा है।