कोलकाता:
पश्चिम बंगाल में आज पंचायत चुनावों के पहले चरण के लिए वोट डाले जा रहे हैं। इस चरण में तीन जिलों पश्चिमी मिदनापुर, बांकुरा और पुरुलिया में वोटिंग हो रही है।
तीनों ही जिलों में मुख्य मुकाबला कांग्रेस टीएमसी और वामदलों के बीच ही है। कुल 58865 सीटों पर होने जा रहे चुनावों में से 6274 सीटों पर प्रत्याशियों का चयन निर्विरोध किया गया है, जिन तीन जिलों में आज मतदान हो रहा है, ये तीनों ही जिले नक्सल प्रभावित हैं, जिसके चलते सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
वहीं ममता बनर्जी और वामदलों के नेता पहले ही एक-दूसरे पर नक्सलियों से मदद लेने के आरोप लगा चुके हैं। ऐसे में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव कराना चुनाव आयोग के लिए एक बड़ी चुनौती है।
जहां एक तरफ वोटिंग हो रही है, वहीं दूसरी तरफ पुरुलिया जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहां के लोगों ने पंचायत चुनावों का बहिष्कार किया है।
बारगोरा गांव के लोगों का कहना है कि 2011 में सत्ता में आने के बाद भी ममता बनर्जी की सरकार ने उनके गांव में कोई विकास नहीं किया।
गांववालों का कहना है कि यहां सड़कों की हालत खस्ता है। पानी और बिजली की व्यवस्था भी अच्छी नहीं है। अस्पताल के लिए लोगों को 8 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। गांववालों के मुताबिक, चुनाव से पहले लोग वादे करते हैं, लेकिन बाद में भूल जाते हैं।
जहां एक ओर पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों में सीधा मुकाबला सीपीएम तृणमूल और कांग्रेस के बीच है वहीं कुछ नाम ऐसे भी हैं, जो राज्य के बड़े-बड़े नामों को भी एक बार चक्कर में डाल दें।
ऐसा ही एक नाम कामरेड ममता बनर्जी का है। यह महिला बांकुरा के बोरजोरा में सीपीएम की उम्मीदवार हैं। अपने नाम के बारे में बात करने पर ममता कहती हैं कि यह केवल एक इत्तेफाक है और इससे ज्यादा कुछ नहीं। राज्य में पंचायत चुनावों के पहले दौर में आज पुरुलिया, बांकुरा और पश्चिमी मिदनापुर में वोट डाले जा रहे हैं।
तीनों ही जिलों में मुख्य मुकाबला कांग्रेस टीएमसी और वामदलों के बीच ही है। कुल 58865 सीटों पर होने जा रहे चुनावों में से 6274 सीटों पर प्रत्याशियों का चयन निर्विरोध किया गया है, जिन तीन जिलों में आज मतदान हो रहा है, ये तीनों ही जिले नक्सल प्रभावित हैं, जिसके चलते सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
वहीं ममता बनर्जी और वामदलों के नेता पहले ही एक-दूसरे पर नक्सलियों से मदद लेने के आरोप लगा चुके हैं। ऐसे में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव कराना चुनाव आयोग के लिए एक बड़ी चुनौती है।
जहां एक तरफ वोटिंग हो रही है, वहीं दूसरी तरफ पुरुलिया जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहां के लोगों ने पंचायत चुनावों का बहिष्कार किया है।
बारगोरा गांव के लोगों का कहना है कि 2011 में सत्ता में आने के बाद भी ममता बनर्जी की सरकार ने उनके गांव में कोई विकास नहीं किया।
गांववालों का कहना है कि यहां सड़कों की हालत खस्ता है। पानी और बिजली की व्यवस्था भी अच्छी नहीं है। अस्पताल के लिए लोगों को 8 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। गांववालों के मुताबिक, चुनाव से पहले लोग वादे करते हैं, लेकिन बाद में भूल जाते हैं।
जहां एक ओर पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों में सीधा मुकाबला सीपीएम तृणमूल और कांग्रेस के बीच है वहीं कुछ नाम ऐसे भी हैं, जो राज्य के बड़े-बड़े नामों को भी एक बार चक्कर में डाल दें।
ऐसा ही एक नाम कामरेड ममता बनर्जी का है। यह महिला बांकुरा के बोरजोरा में सीपीएम की उम्मीदवार हैं। अपने नाम के बारे में बात करने पर ममता कहती हैं कि यह केवल एक इत्तेफाक है और इससे ज्यादा कुछ नहीं। राज्य में पंचायत चुनावों के पहले दौर में आज पुरुलिया, बांकुरा और पश्चिमी मिदनापुर में वोट डाले जा रहे हैं।
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