फाइल फोटो
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने 1997 के उपहार सिनेमा त्रासदी मामले में गोपाल अंसल को 1 साल की सजा और सुशील अंसल को राहत बरकरार रखी है. गोपाल को चार हफ्ते में सरेंडर करने का आदेश दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने पीडि़तों और सीबीआई की पुनर्विचार याचिका पर यह फैसला सुनाया है. हालांकि गोपाल पहले ही चार महीने की सजा काट चुके हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल साफ नहीं किया कि वो इस सजा में शामिल है या नहीं. इसके साथ ही पूर्व के निर्णय के तहत 30-30 करोड़ का जुर्माना बना रहेगा. दो जजों जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस कुरियन जोसफ का बहुमत से फैसला है, तीसरे जज जस्टिस आदर्श गोयल की राय हालांकि अलग रही. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सुशील अंसल जितनी सजा काट चुके हैं वो काफी है.
उपहार सिनेमा मामले में पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना था कि क्या सुशील अंसल और गोपाल अंसल को सजा दी जाए या जुर्माना लेकर जेल सजा माफ की जाए. इससे पहले उपहार पीड़ितों की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान अंसल बंधुओं ने सुप्रीम कोर्ट में अंडरटेकिंग दी थी कि वे मामले की सुनवाई पूरी होने तक देश से बाहर नहीं जाएंगे.
18 साल पुराने चर्चित उपहार सिनेमा अग्निकांड केस में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और पीड़ितों की पुनर्विचार याचिका पर 14 दिसंबर को सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिए थे. सीबीआई ने अपनी पुनर्विचार याचिका में कहा है कि कोर्ट में उसे अपना पक्ष रखने का पर्याप्त मौका नहीं मिला, इसलिए न्याय नहीं हुआ. इस आधार पर सीबीआई ने मांग की थी कि मामले पर दोबारा विचार किया जाए जबकि पीड़ितों की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को जुर्माना लगाकर छोड दिया जबकि देश के कानून के हिसाब से किसी भी अपराधी की सजा के साथ जुर्माना तो लगाया जा सकता है लेकिन सजा को जुर्माने में तब्दील नहीं किया जा सकता.
उल्लेखनीय है कि नवंबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया था तब सुप्रीम कोर्ट ने 1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में उन्हें तीन महीने के भीतर 30-30 करोड़ रुपये का जुर्माना अदा करने का निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने उम्र के आधार पर कहा था कि जुर्माना ना देने की सूरत में 2 साल जेल की सजा दी जाएगी. सुशील अंसल पांच महीने जबकि गोपाल अंसल चार महीने की सजा काट चुके हैं.
इससे पहले दो जजों की बेंच ने अलग अलग फैसले सुनाए जिसकी वजह से मामले को तीन जजों की बेंच में भेजा गया था. गौरतलब है कि 1997 में हिंदी फिल्म 'बार्डर' के प्रदर्शन के दौरान हुए इस अग्निकांड में 59 दर्शकों की मृत्यु हो गई थी.
उपहार सिनेमा मामले में पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना था कि क्या सुशील अंसल और गोपाल अंसल को सजा दी जाए या जुर्माना लेकर जेल सजा माफ की जाए. इससे पहले उपहार पीड़ितों की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान अंसल बंधुओं ने सुप्रीम कोर्ट में अंडरटेकिंग दी थी कि वे मामले की सुनवाई पूरी होने तक देश से बाहर नहीं जाएंगे.
18 साल पुराने चर्चित उपहार सिनेमा अग्निकांड केस में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और पीड़ितों की पुनर्विचार याचिका पर 14 दिसंबर को सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिए थे. सीबीआई ने अपनी पुनर्विचार याचिका में कहा है कि कोर्ट में उसे अपना पक्ष रखने का पर्याप्त मौका नहीं मिला, इसलिए न्याय नहीं हुआ. इस आधार पर सीबीआई ने मांग की थी कि मामले पर दोबारा विचार किया जाए जबकि पीड़ितों की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को जुर्माना लगाकर छोड दिया जबकि देश के कानून के हिसाब से किसी भी अपराधी की सजा के साथ जुर्माना तो लगाया जा सकता है लेकिन सजा को जुर्माने में तब्दील नहीं किया जा सकता.
उल्लेखनीय है कि नवंबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया था तब सुप्रीम कोर्ट ने 1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में उन्हें तीन महीने के भीतर 30-30 करोड़ रुपये का जुर्माना अदा करने का निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने उम्र के आधार पर कहा था कि जुर्माना ना देने की सूरत में 2 साल जेल की सजा दी जाएगी. सुशील अंसल पांच महीने जबकि गोपाल अंसल चार महीने की सजा काट चुके हैं.
इससे पहले दो जजों की बेंच ने अलग अलग फैसले सुनाए जिसकी वजह से मामले को तीन जजों की बेंच में भेजा गया था. गौरतलब है कि 1997 में हिंदी फिल्म 'बार्डर' के प्रदर्शन के दौरान हुए इस अग्निकांड में 59 दर्शकों की मृत्यु हो गई थी.
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