यह ख़बर 10 मई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

1993 के मुंबई धमाके : संजय दत्त की पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

खास बातें

  • 1993 के मुंबई धमाके से जुड़े मामले में संजय दत्त को पांच साल की सजा हुई है और शेष 42 महीने की सजा काटने के लिए उन्हें 16 मई को सरेंडर करना होगा।
नई दिल्ली:

वर्ष 1993 में मुंबई में हुए शृंखलाबद्ध धमाकों से जुड़े गैरकानूनी हथियार रखने के मामले में पांच साल की सजा पाने वाले बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त की पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है।

न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति डॉ बलबीर सिंह चौहान की खंडपीठ ने छह अन्य मुजरिमों की पुनर्विचार याचिकाएं भी खारिज कर दी हैं। इसी खंडपीठ ने 21 मार्च को इन लोगों को दोषी करार दिया था। अदालती फैसले पर पुनर्विचार के लिए संजय दत्त के अलावा यूसुफ मोहसिन नलवाला, खलील अहमद सैयद अली नाजिर, मोहम्मद दाऊद यूसुफ खान, शेख आसिफ यूसुफ, मुजम्मिल उमर कादरी और मोहम्मद अहमद शेख ने भी याचिकाएं दायर की थीं।

न्यायालय ने फैसला सुनाते वक्त संजय दत्त को चार सप्ताह के भीतर समर्पण करने का निर्देश दिया था, लेकिन यह अवधि पूरी होने से एक दिन पहले 17 अप्रैल को न्यायालय ने संजय दत्त को समर्पण करने के लिए चार सप्ताह का और वक्त दे दिया था। अब उन्हें 16 मई को सरेंडर करना होगा। संजय दत्त पहले ही 18 माह जेल में गुजार चुके हैं, इसलिए उन्हें अभी 42 महीने और जेल में गुजारने हैं।

दरअसल, संजय दत्त को मुंबई की टाडा अदालत ने छह साल की सजा सुनाई थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने इसे घटाकर पांच साल कर दिया था। न्यायालय ने उनके अपराध की गंभीरता को देखते हुए उन्हें परिवीक्षा (प्रोबेशन) पर रिहा करने से भी इनकार कर दिया था।

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संजय दत्त को गैरकानूनी तरीके से नौ एमएम की पिस्तौल और एके-56 राइफल रखने के जुर्म में टाडा अदालत ने दोषी ठहराया था। ये दोनों हथियार विस्फोटक सामग्री और हथियारों की उसी खेप का हिस्सा थे, जिनका इस्तेमाल मुंबई में हुए शृंखलाबद्ध बम विस्फोटों में किया गया था, जिनमें 257 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक जख्मी हो गए थे।