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This Article is From Jul 24, 2014

ड्राइवर के शॉर्ट कट न लेने से बच सकती थी 16 बच्चों की जान

तेलंगाना:

तेलंगाना के मेडक जिले में गुरुवार को मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग को पार करते वक्त हादसे का शिकार हुई स्कूल बस के ड्राइवर ने यदि शॉर्ट कट नहीं लिया होता तो 16 बच्चों सहित 18 लोगों की जान बचाई जा सकती थी।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि हादसे का शिकार हुई स्कूल बस नियमित ड्राइवर की जगह एक दूसरा ड्राइवर चला रहा था। मासायिपेट गांव में दो मानवयुक्त रेलवे क्रॉसिंग होने के बावजूद ड्राइवर ने मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग से रेलवे लाइन पार करने का फैसला किया।

सुबह करीब नौ बजे नांदेड़-सिकंदराबाद यात्री ट्रेन और बस के बीच पटरी पर हुई टक्कर में बस ड्राइवर और क्लीनर के साथ 16 बच्चे भी मारे गए।

यह हादसा इतना भयानक था कि थमने से पहले ट्रेन ने 36 बच्चों को लेकर जा रही बस को करीब 50 मीटर तक घसीटा।

अधिकारी ने बताया कि मारे गए बच्चे 5 से 15 साल की उम्र के थे और उनमें से कुछ तो नर्सरी कक्षा के छात्र थे।

मेडक जिले के प्रभारी कलक्टर ए शरत ने बताया कि गांव में मानवयुक्त रेलवे क्रॉसिंग होने के बावजूद ड्राइवर ने शॉर्ट कट लिया और बस को मानवरहित क्रॉसिंग से पार कराने का फैसला किया।

शरत ने कहा, 'ड्राइवर ने पटरी पार करने के लिए मानवरहित गेट को चुना क्योंकि मानवयुक्त गेट की दूरी थोड़ी लंबी थी। छात्रों के लिए यह जानलेवा साबित हुआ। हादसे में 13 बच्चों ने तो मौके पर ही दम तोड़ दिया जबकि तीन अन्य बच्चों की मौत अस्पताल ले जाते वक्त हुई। बस के ड्राइवर और क्लीनर की भी मौत हो गई जबकि जख्मी हुए 22 बच्चों का इलाज चल रहा है।'

कई बच्चों की हालत गंभीर बताई जा रही है।

दक्षिण मध्य रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गांव में 1.5 किलोमीटर की दूरी के अंदर तीन लेवल-क्रॉसिंग हैं जिनमें से दो मानवयुक्त और एक मानवरहित है।

राजकीय रेल पुलिस (जीआरपी) के एक अधिकारी के मुताबिक, निजी स्कूल बस का नियमित ड्राइवर छुट्टी पर था और भाड़े पर बुलाया गया एक ड्राइवर बस चला रहा था।

तेलंगाना जीआरपी के महानिरीक्षक (आईजी) कृपानंद त्रिपाठी उजेला ने बताया, 'आज नियमित ड्राइवर की जगह भाड़े पर बुलाया गया एक ड्राइवर बस चला रहा था। नियमित बस ड्राइवर चौकस रहता था और जिस जगह पर हादसा हुआ, वहां से गुजरते वक्त वह दोनों तरफ देखा करता था।'

दुर्घटनास्थल पर राहत एवं बचाव अभियान की निगरानी कर रहे उजेला ने कहा, 'बिक्षापति गौड़ नाम के एक अस्थायी ड्राइवर को शायद यह अहसास नहीं हुआ कि पटरी पर तेज रफ्तार से ट्रेन आ रही है। हादसे की एक प्रमुख वजह क्रॉसिंग का मानवरहित होना भी है।'

बच्चों के शव अलग-अलग अस्पतालों में भेजे गए हैं। पोस्ट मॉर्टम के बाद उनके शव उनके परिवार को सौंप दिए जाएंगे।

उन्होंने कहा, 'घटना में जख्मी हुए 20 से ज्यादा बच्चों को हैदराबाद के अलग-अलग अस्पतालों में इलाज के लिए भेजा गया है।' इस बीच, दुर्घटनास्थल पर सैकड़ों ग्रामीणों के जमा होने और पुलिस पर पत्थर फेंकने के कारण माहौल थोड़ा तनावपूर्ण हो गया। ग्रामीणों की मांग है कि इस हादसे के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

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