संसद में वर्ष 2010 में पूरे शीतकालीन सत्र के हंगामे की भेंट चढ़ जाने और वर्ष 2013 के बजट सत्र के दौरान केवल 19 घंटे और 36 मिनट काम किए जाने के विपरीत 16वीं लोकसभा के इस सत्र में निचले सदन में 167 घंटे काम किया गया।
7 जुलाई को शुरू हुए इस सत्र के कामकाज के पूरा होने पर आज लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों की बैठकें राष्ट्रगीत वंदे मातरम की धुन के साथ अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गईं।
भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार के पहले आम बजट और रेल बजट को पारित करने के अलावा करीब महीनेभर चले इस सत्र में ऐतिहासिक न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक और सेबी विधेयक पारित किए गए।
दूरसंचार नियामक ट्राई के पूर्व अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा को प्रधानमंत्री का प्रधान सचिव नियुक्त किए जाने के रास्ते में आ रही कानूनी अड़चन को दूर करने के लिए भी एक महत्वपूर्ण विधेयक को संसद ने अपनी मंजूरी दी।
संसद ने दिल्ली के बजट को भी पारित किया जहां इस समय राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है।
लोकसभा ने 13 अगस्त को अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरै के रूप में सर्वसम्मति से अपना उपाध्यक्ष चुना। इस दौरान सदन में 20 विधेयक पेश किए गए और 13 विधेयकों को सदन की मंजूरी मिली। पारित किए गए विधेयकों में न्यायपालिका में कोलेजियम व्यवस्था समाप्त करने संबंधी ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक और प्रशिक्षु विधेयक शामिल हैं।
लोकसभा ने 27 बैठकों में 167 घंटे और राज्यसभा में 142 घंटे काम हुआ। व्यवधान के कारण निम्न सदन ने लगभग 14 घंटे गंवाए जिसकी भरपाई 28 घंटे से अधिक अतिरिक्त बैठकर की गई। राज्यसभा में हंगामे के कारण 34 घंटे काम काज नहीं हो सका, लेकिन उसने 38 घंटे अतिरिक्त काम करके उसकी भरपाई की।
इस सत्र की सुखिर्यों में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का अन्य सदस्यों के साथ लोकसभा में आसन के सामने आकर साम्प्रदायिक हिंसा के मुद्दे पर चर्चा की मांग करना रहा। बाद में इस विषय पर नियम 193 के तहत चर्चा भी हुई।
दोनों सदनों में जजों की नियुक्ति संबंधी विधेयक पर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी दलों के बीच अनोखा सहयोग देखने को मिला और सभी ने एक स्वर से विधेयक का समर्थन किया।
इस सत्र में प्रश्नकाल के दौरान निचले सदन में कुल 540 तारांकित प्रश्न पूछे गए जिनमें से 126 के मौखिक जवाब मंत्रियों ने दिए। प्रति दिन लगभग पांच प्रश्नों के मौखिक जवाब दिए गए जो हाल के समय में अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इसके अलावा 5339 प्रश्नों के मंत्रियों ने लिखित उत्तर भी दिए।
नियम 377 के तहत सदस्यों ने 354 मामले और शून्यकाल में लोक महत्व के मामले उठाए जाने के दौरान 660 मामले उठाए।
इसके अलावा, मनरेगा में अनियमितताओं तथा दूध के दामों में वृद्धि को लेकर आधे घंटे की दो विशेष चर्चाएं हुई। नियम 193 के तहत बजट सत्र के दौरान पांच चर्चाएं हुई।
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत सदस्यों ने इराक में फंसे भारतीयों , गन्ना किसानों की समस्याओं, कश्मीर में कौसरनाग यात्रा और कश्मीरी पंडितों के विस्थापन, सरस्वती नदी के पुनरूद्धार आदि विषयों पर चर्चा की।
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रधानमंत्री, संसदीय कार्यमंत्री, विभिन्न दलों के नेताओं और पार्टी सचेतकों तथा सदन में कांग्रेस के नेता, लोकसभा महासचिव और वाच एंड वार्ड सहित सभी कर्मचारियों के प्रति आभार जताया।
उधर, राज्यसभा में इस सत्र के दौरान आंध्र प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मिजोरम, ओड़िशा, तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश से निर्वाचित या पुनर्निवाचित होकर आए 17 सदस्यों ने शपथ ली।
इस सत्र के दौरान आम बजट, रेलवे बजट तथा दिल्ली के बजट को चर्चा के बाद लोकसभा को लौटा दिया गया। सदन में बिजली, गृह मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा हुई। सत्र के दौरान 12 सरकारी विधेयकों को पारित किया गया या लोकसभा को लौटाया गया। इनमें आंध्रप्रदेश पुनर्गठन संशोधन विधेयक, राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान विधेयक, प्रतिभूति कानून संशोधन विधेयक, राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग और इससे संबंधित संविधान संशोधन विधेयक शामिल हैं।