राजस्थान विधानसभा (फाइल फोटो)
जयपुर:
राजस्थान विधानसभा में बुधवार को हुए अभूतपूर्व हंगामे के बाद अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने अनुशासनहीनता के आरोप में कांग्रेस के बारह सदस्यों समेत 14 विधायकों को एक साल के लिए विधानसभा की सदस्यता से निलंबित कर दिया. निलंबित विधायकों में कांग्रेस के गोविन्द डोटासरा, धीरज गुर्जर , शकुंतला रावत, अशोक चांदना, श्रवण गुर्जर, हीरा लाल , सुखराम विश्नोई, मेवा राम, रमेश मीणा, घनश्याम, राजेन्द्र सिंह, भजन लाल, निर्दलीय हनुमान बेनीवाल और बसपा के मनोज न्यागली शामिल हैं.
अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने सरकारी मुख्य सचेतक कालू लाल गुर्जर की ओर से सदन में अनुशासनहीनता के लिए इन 14 विधायकों को सदन की सदस्यता से एक साल के लिए निलंबित करने के लिए रखे गए प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कराया. राजपा के डॉ. किरोडी लाल मीणा और भाजपा के घनश्याम तिवाडी ने सरकारी मुख्य सचेतक की ओर से रखे गए प्रस्ताव का विरोध करते हुए कुछ बोलना चाहा लेकिन अध्यक्ष ने दोनों को बोलने की अनुमति नहीं दी.
अध्यक्ष मेघवाल ने दुखी होते हुए कहा कि प्रतिपक्ष के कुछ हुडदंगी विधायक सदन की परम्पराओं, नियमों और आसन के निर्देशों की पालना नहीं कर सदन में अनुशासनहीनता कर रहे थे. बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान प्रतिपक्ष के सदस्यों ने जो कुछ किया वह शर्मनाक था. अध्यक्ष ने कहा कि मैंने प्रतिपक्ष सदस्यों को बोलने का पूरा समय देकर गलती की ,लेकिन अब सदन में किसी को अनुशासनहीनता नहीं करने दी जाएगी.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने सरकारी मुख्य सचेतक कालू लाल गुर्जर की ओर से सदन में अनुशासनहीनता के लिए इन 14 विधायकों को सदन की सदस्यता से एक साल के लिए निलंबित करने के लिए रखे गए प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कराया. राजपा के डॉ. किरोडी लाल मीणा और भाजपा के घनश्याम तिवाडी ने सरकारी मुख्य सचेतक की ओर से रखे गए प्रस्ताव का विरोध करते हुए कुछ बोलना चाहा लेकिन अध्यक्ष ने दोनों को बोलने की अनुमति नहीं दी.
अध्यक्ष मेघवाल ने दुखी होते हुए कहा कि प्रतिपक्ष के कुछ हुडदंगी विधायक सदन की परम्पराओं, नियमों और आसन के निर्देशों की पालना नहीं कर सदन में अनुशासनहीनता कर रहे थे. बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान प्रतिपक्ष के सदस्यों ने जो कुछ किया वह शर्मनाक था. अध्यक्ष ने कहा कि मैंने प्रतिपक्ष सदस्यों को बोलने का पूरा समय देकर गलती की ,लेकिन अब सदन में किसी को अनुशासनहीनता नहीं करने दी जाएगी.
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