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This Article is From Oct 10, 2016

हैदराबाद : 13 साल की जैन लड़की अपनी क्षमताओं से वाकिफ थी, इसलिए लिया उपवास का निर्णय- जैन नेता

हैदराबाद : 13 साल की जैन लड़की अपनी क्षमताओं से वाकिफ थी, इसलिए लिया उपवास का निर्णय- जैन नेता
हैदराबाद: लंबा उपवास रखने और उसके खत्‍म होने के दो दिन बाद 13 साल की जैन लड़की की मौत के मामले में बोलते हुए यहां इस समुदाय के शीर्ष नेता ने कहा कि वह ''अपनी शारीरिक क्षमताओं से बखूबी वाकिफ थी.'' उन्‍होंने यह भी दावा किया, ''2014 में उसने आठ दिन उपवास रखा, 2015 में 34 दिन और इस साल 68 दिन उपवास रखा.''

जैन सेवा संघ के अध्‍यक्ष अशोक सांकलेचा जैन ने कहा कि किशोरी आराधना समदारिया को परिजनों ने अन्‍न का त्‍याग करने के लिए मजबूर नहीं किया था. उल्‍लेखनीय है कि परिजनों के खिलाफ गैर-इरादतन हत्‍या का मामला दर्ज किया गया है और मामले की जांच की जा रही है.

गौरतलब है कि आराधना ने 68 दिनों का उपवास रखा था और उसके खत्‍म होने के दो दिन बाद वह बेहोश हो गई थी और कोमा में चली गई थी. चार अक्‍टूबर को दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई. इस मामले में कई स्‍वयंसेवी संस्‍थाओं ने शिकायत की थी कि उसको जैन परंपरा के मुताबिक उपवास रखने के लिए परिजनों ने बाध्‍य किया. इसलिए परिजनों के खिलाफ गैर-इरादतन हत्‍या का मामला दर्ज कर मामले की पड़ताल की जा रही है.

शहर के जैन समुदाय के बीच एक वाट्सएप संदेश प्रसारित हो रहा है, जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि उनके धर्म को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है और इसमें यह जोर दिया जा रहा है कि उसकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई. आज सामुदायिक मीटिंग में भी इस पर जोर दिया गया.

इस मामले में आराध्‍या के पिता लक्ष्‍मीचंद समदारिया ने NDTV से कहा, ''51 दिन के बाद हमने उसको उपवास खत्‍म करने के लिए कहा लेकिन उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया.'' दरअसल आराधना जैन परंपरा के 'चतुर्मास' उपवास के तहत 68 दिन तक व्रत पर रही. उस दौरान वह दिन में केवल दो बार गर्म पानी ही ग्रहण करती थी.

इस मामले में बाल अधिकारों के कार्यकर्ता अच्‍युता राव ने कहा कि किसी बच्‍चे को इस तरह के निर्णय करने का अधिकार आखिर कैसे दिया जा सकता है. उनका कहना है,''परिजनों को उसे ऐसा करने के लिए प्रोत्‍साहित करने के बजाय रोकना चाहिए था.''

उल्‍लेखनीय है कि जब आराधना ने अपने उपवास को पूरा किया था तब बड़े पैमाने पर जश्‍न का आयोजन किया गया था. उसमें इस समुदाय के सैकड़ों लोगों ने शिरकत की थी और उसके साथ सेल्‍फी ली थी. एनडीटीवी के पास जो तस्वीरें उपलब्ध हैं उसमें आराधना काफी कमज़ोर लग रही है, वह दुल्हन की तरह सजकर एक विशाल रथ पर बैठी है और उसके पास कई लोगों की भीड़ है.

उल्‍लेखनीय है कि जैन समुदाय में 'संथारा' प्रथा प्रचलित है. उसमें बुजुर्ग लोग मुक्ति की आस में लंबा उपवास रखते हैं. पिछले साल राजस्‍थान हाई कोर्ट ने इस प्रथा पर पाबंदी लगा दी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को निरस्‍त कर दिया.

ताजा मामले में शहर के जैन समुदाय के अध्‍यक्ष का कहना है, ''परिवार और जैन समुदाय की तरफ से मैं, आपको आश्‍वस्‍त करना चाहता हूं कि हम कानून के खिलाफ कुछ नहीं करेंगे और मामले की जांच में पूरा सहयोग देंगे. लेकिन साथ ही मैं यह भी कहना चाहता हूं कि परिवार ने लड़की को ऐसा करने के लिए विवश नहीं किया.''

(एजेंसियों से भी इनपुट)

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