105 साल की एक महिला, जिन्हें इस महीने कोरोना पॉजिटिव पाया गया, आज उन्हें केरल के कोल्लम के सरकारी मेडिकल कॉलेज से छुट्टी दे दी गई. महिला को खांसी और बुखार के लक्षणों के साथ 20 जुलाई को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. राज्य की सबसे बुजुर्ग रोगी के इलाज के लिए एक विशेष चिकित्सा दल का गठन किया गया था. मेडिकल बोर्ड हर दिन महिला की स्वास्थ्य की स्थिति को परखता था.
अस्पताल का कहना है,' 105 साल की उम्र में भी महिला ने बहुत साहस का प्रदर्शन किया. जो निश्चित रूप से जीवन रक्षा का एक नया सबक सिखाता है. यह उन सभी स्वास्थ्यकर्मियों को विश्वास और आशा का संदेश भी देता है, जो Covid19 के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे हैं.'
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एक दूसरे केस में उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक नगरी झांसी की रहने वाली 95 वर्षीय मान कुंवर डॉक्टरों को डर के मारे ''बेताल'' बोलती थीं लेकिन उनके भीतर का डर धीरे-धीरे खत्म हुआ और उन्होंने कोरोना वायरस की महामारी को मात दे दी. महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के स्टाफ ने मान कुंवर की किसी भी बात का बुरा नहीं माना. मान कुंवर को ''झांसी की रानी'' बुलाने वाले स्टाफ का कहना है कि इस उम्र में अस्पताल के माहौल में ढलने में मरीज को समय लगता है.
कोविड-19 अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ. अंशुल जैन ने बताया कि मान कुंवर शुरू में चिन्तित थीं क्योंकि वह पहली बार अस्पताल आई थीं लेकिन धीरे-धीरे वह माहौल में ढल गईं. जूनियर डॉक्टरों ने मान कुंवर की परिवार वालों से बात करायी, वीडियो कॉल भी कराई. मानकुंवर को जब 19 जुलाई को भर्ती कराया गया था तो उनमें कोरोना वायरस संक्रमण के कोई प्रकट लक्षण नहीं थे लेकिन उनकी रिपोर्ट पाजिटिव थी. ठीक होने के बाद उन्हें 25 जुलाई को अस्पताल से छुट्टी मिल गई. सरकारी प्रोटोकॉल के अनुरूप उन्हें सात दिन के होम क्वारंटाइन में रहने को कहा गया है.
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अस्पताल से बाहर आईं तो एक महिला रेजीडेंट डाक्टर ने मजाक किया, ''अम्मा जी, हम लोग बेताल नहीं हैं.'' इस पर मान कुंवर बोलीं, ''तुम तो बेटा, परी सी हो.''''उनके अस्पताल से बाहर निकलने पर चिकित्साकर्मियों और अन्य मरीजों ने ताली बजाकर खुशी का इजहार किया.इस उम्र में कोरोना वायरस संक्रमण से जंग जीतकर सकुशल वापस घर जाना, उनकी उम्र के हजारों अन्य मरीजों के लिए प्रेरणादायी है.
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