
World Kidney Day 2025: विश्व किडनी दिवस एक वार्षिक वैश्विक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य ऑलओवर हेल्थ के लिए किडनी के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. यह किडनी रोग और उससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं की फ्रीक्वेंसी और प्रभाव को कम करने के तरीकों की भी वकालत करता है. विश्व किडनी दिवस लोगों को हेल्दी लाइफस्टाइल ऑप्शन्स चुनने के लिए भी प्रोत्साहित करता है जो किडनी को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं.
विश्व किडनी दिवस 2025 की थीम (World Kidney Day 2025 Theme)
विश्व किडनी दिवस 2025 की थीम है "क्या आपकी किडनी ठीक है? जल्दी पता लगाएं, किडनी हेल्थ को प्रोटेक्ट करें." यह थीम उन स्ट्रेटजी की जरूरत पर केंद्रित है जो किडनी रोगों का जल्दी पता लगाने में मदद कर सकती हैं. समय पर उपचार के बाद अर्ली डायग्नोस क्रोनिक किडनी रोग की प्रगति को रोकने में मदद कर सकता है, जिससे किडनी रोगों के कारण गंभीर जटिलताओं और समय से पहले मृत्यु दर के जोखिम को कम किया जा सकता है.
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मोटापा और किडनी रोग
डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज और बीमारी का पारिवारिक इतिहास क्रोनिक किडनी रोग के लिए कुछ जोखिम कारक हैं. इनके अलावा, मोटापा भी प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक है.
मोटापा हाई ब्लड प्रेशर, टाइप-2 डायबिटीज और हार्ट डिजीज के लिए एक सामान्य जोखिम कारक है. ये स्थितियां क्रोनिक किडनी रोग में योगदान कर सकती हैं. मोटापा सूजन का कारण भी बन सकता है और आपकी किडनी को ज्यादा मेहनत करने पर मजबूर कर सकता है. ये दो कारक सीधे किडनी रोग के जोखिम को भी बढ़ा सकते हैं.
बचपन का मोटापा और किडनी हेल्थ
बचपन का मोटापा पहले से कहीं ज्यादा आम हो गया है. मोटे और ज्यादा वजन वाले बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज, हार्ट रिलेटेड डिजीज और अन्य नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज के जल्दी शुरू होने का ज्यादा रिस्क होता है.
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बचपन में मोटापा किडनी रोग के जोखिम को भी बढ़ा सकता है.
"बच्चों में किडनी रोग मुख्य रूप से जन्मजात कारकों के कारण होते हैं. इन विकासात्मक असामान्यताओं के परिणामस्वरूप जन्म से ही यूरिन सिस्टम में दोष होते हैं, जो अंततः किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं और फेल्योर का कारण बन सकते हैं. मेडिकल लैंगुएज में, इन स्थितियों को किडनी और यूरिन ट्रैक्ट की जन्मजात विसंगतियां (CAKUT) कहा जाता है. CAKUT बच्चों में किडनी फेल्योर के सबसे आम कारणों में से एक है," मैक्स अस्पताल में नेफ्रोलॉजी और किडनी प्रत्यारोपण के प्रमुख निदेशक डॉ. मनोज के. सिंघल ने कहा.
"अन्य योगदान देने वाले कारकों में किडनी की पथरी शामिल है, जो किडनी फंक्शन्स को खराब कर सकती है. इसके अलावा, कुछ बच्चों में लंबे समय तक पेशाब रोकने जैसी आदतों के कारण वाटर रिटेंशन विकसित होता है. इससे यूरिन ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) हो सकते हैं, जिसका अगर इलाज न किया जाए, तो किडनी को नुकसान हो सकता है." डॉ. सिंघल ने कहा, "दूसरी ओर, मोटापा लाइफस्टाइल से जुड़ी एक बीमारी है, जो बच्चों में बड़े होने पर ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज, किडनी रोग और यूरिक एसिड लेवल में वृद्धि के जोखिम को बढ़ाती है. यह वयस्कता में मेटाबोलिक सिंड्रोम के अग्रदूत के रूप में कार्य करता है. मोटापे से ग्रस्त बच्चों में डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज होने का जोखिम ज्यादा होता है, जो बदले में किडनी रोग में योगदान कर सकता है. अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह प्रवृत्ति भविष्य में व्यापक स्वास्थ्य संकट का कारण बन सकती है."
(डॉ. मनोज के. सिंघल - प्रिंसिपल डायरेक्टर, नेफ्रोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांटेशन, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वैशाली)
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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