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This Article is From Sep 29, 2017

हार्ट अटैक या हार्ट फेलियर में फर्क को इस तरह पहचानें, ये हैं लक्षण

हार्ट फेल्यर में दिल की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं जिससे वह रक्त को प्रभावी तरीके से पंप नहीं कर पाता.

हार्ट अटैक या हार्ट फेलियर में फर्क को इस तरह पहचानें, ये हैं लक्षण
नई द‍िल्‍ली:

दूसरी ओर हार्ट फेल्यर (दिल का कमजोर हो जाना) भारत में महामारी की तरह फैलता जा रहा है जिसकी मुख्य वजह दिल की मांसपेशियों का कमजोर हो जाना है. 29 सितंबर को 'वर्ल्ड हार्ट डे' के मौके पर विशेषज्ञों ने कहा कि अब तक हार्ट फेल्यर की समस्या पर ज्‍यादा ध्यान नहीं दिया जाता था. इसलिए लोग इसके लक्षणों को पहचान नहीं पाते थे. कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. शिरीष (एम. एस.) हिरेमथ के मुताब‍िक, 'भारत में तेजी से हार्ट फेल्यर के बढ़ते मामलों को देखते हुए, इस पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत भी बढ़ती जा रही है. हम सभी को एकजुट होकर इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करना चाहिए.' उन्होंने बताया कि हार्ट फेल्यर को अमूमन हार्ट अटैक ही समझ लिया जाता है.

 
world heart day 2017

उम्र बढ़ने के साथ हमारा दिल भी बूढ़ा और कमजोर होने लगता है और उसके फेल होने का खतरा भी बढ़ जाता है. लेकिन पिछले कुछ सालों में लाइफस्‍टाइल और खानपान में आए बदलावों की वजह से न सिर्फ उम्रदराज बल्‍कि कम उम्र के लोग भी हार्ट अटैक का श‍िकार हो रहे हैं. हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों से डॉक्‍टर काफी परेशान हैं और वे लोगों को इसके लक्षणों को किसी भी कीमत पर नजरअंदाज न करने की सलाह देते हैं. इससे भी जरूरी है कि लाइफस्‍टाइल को ही सुधारा जाए. भारत में मौत की एक मुख्य वजह दिल से जुड़ी बीमारियां हैं. आंकड़ों के मुताब‍िक 99 लाख लोगों की मौत गैर-संचारी यानी कि नॉन कम्युनिकेबल बीमारियों की वजह हुई. इसमें से आधे लोगों की जान दिल के रोगों के कारण हुई.

 
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डॉ शिरीष ने कहा, 'हार्ट फेल्यर को समझना जरूरी है, अक्सर लोगों को लगता है कि हार्ट फेल्यर का मतलब दिल का काम करना बंद कर देने से है जबकि ऐसा कतई नहीं है. हार्ट फेल्यर में दिल की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं जिससे वह रक्त को प्रभावी तरीके से पंप नहीं कर पाता. इससे ऑक्सीजन और जरूरी पोषक तत्वों की गति सीमित हो जाती है.' कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सी ए डी), हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट वॉल्व बीमारी, कार्डियोमायोपैथी, फेफड़ों की बीमारी, डायबिटीज, मोटापा, शराब पीने, दवाइयों का सेवन और फैमिली हिस्ट्री के कारण भी हार्ट फेल होने का खतरा रहता है.

 
sex heart attack

डॉक्‍टर शिरीष ने कहा कि इस बीमारी के लक्षणों के प्रति जागरुकता बढ़ाना बहुत जरूरी है. उन्होंने बताया कि सांस लेने में तकलीफ, थकान, टखनों, पैरों और पेट में सूजन, भूख न लगना, अचानक वजन बढ़ना, दिल की धड़कन तेज होना, चक्कर आना और बार-बार पेशाब जाना इसके प्रमुख लक्षण हैं. दिल्ली एम्स के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. संदीप मिश्रा ने कहा, 'पश्चिमी देशों के मुकाबले भारत में यह बीमारी एक दशक पहले पहुंच गई है. बीमारी होने की औसत उम्र 59 साल है. बीमारी की जानकारी न होना, ज्यादा पैसे खर्च होना और बुनियादी ढ़ांचे की कमी के कारण हार्ट फेल्यर के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है. डॉ मिश्रा के अनुसार, साल 1990 से 2013 के बीच हार्ट फेल्यिर के मामलों में करीब 140 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है. लाइफस्‍टाइल में बदलाव और तनाव के कारण युवक भी तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं. अमेरिका और यूरोप की तुलना में भारत में रोगी 10 साल युवा हैं. 

 
heart attack

डॉ मिश्रा ने कहा कि लाइफस्‍टाइल में बदलाव लाकर इस बीमारी से बचा जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि इस बीमारी के लक्षणों को नजरअंदाज न करने और समय रहते बीमारी का पता लगा कर इलाज शुरू करने और लाइफस्‍टाइल में बदलाव से इस बीमारी का खतरा दूर हो सकता है.

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