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सेहत के लिए जोखिम से क्यों भरा है सैलून में बाल धुलवाना? जानिए क्या है ब्यूटी पार्लर स्ट्रोक सिंड्रोम और इससे कैसे बचें

Beauty Parlour Stroke Syndrome: कुछ लोगों के लिए सैलून में जाकर हेयरड्रेसर से शैम्पू करवाना यानी बाल धुलवाना सेहत के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है.

सेहत के लिए जोखिम से क्यों भरा है सैलून में बाल धुलवाना? जानिए क्या है ब्यूटी पार्लर स्ट्रोक सिंड्रोम और इससे कैसे बचें
ब्यूटी पार्लर स्ट्रोक सिंड्रोम या बीपीएसएस क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है? यहां जानें.

Beauty Parlour Stroke Syndrome: अपने पसंदीदा सैलून में हेयर ड्रेसर के पास जाना अक्सर एक आरामदेह और लाड़-प्यार से भरा अनुभव माना जाता है, लेकिन ब्यूटी पार्लर स्ट्रोक सिंड्रोम (बीपीएसएस) नाम के एक न्यूरोलॉजिकल दिक्कत ने लोगों को खबरदार करना शुरू कर दिया है. कुछ लोगों के लिए सैलून में जाकर हेयरड्रेसर से शैम्पू करवाना यानी बाल धुलवाना सेहत के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकती है. आइए, जानते हैं कि किसी भी शख्स के लिए सैलून में हेयरड्रेसर के पास जाना और शैम्पू करवाना कैसे हेल्थ इमरजेंसी में बदल सकता है? ब्यूटी पार्लर स्ट्रोक सिंड्रोम या बीपीएसएस क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है?

ब्यूटी पार्लर स्ट्रोक सिंड्रोम या बीपीएसएस क्या है? (What is Beauty Parlour Stroke Syndrome or BPSS?)

मेडिकल जगत के ज्यादातर रिसर्च बताते हैं कि कई सैलून में बाल धोने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बैकवॉश बेसिन पर अजीब एंगल में बैठने से गर्दन में दर्द होने लगता है. शैम्पू करवाने के दौरान कभी-कभार चोट लग सकती है. यहां तक कि कुछ लोगों को तो जानलेवा स्ट्रोक भी हो सकता है.सेहत से जुड़ी इसी दुर्लभ परिस्थिति को ब्यूटी पार्लर स्ट्रोक सिंड्रोम या बीपीएसएस कहते हैं. बीपीएसएस की पहचान सबसे पहले 1993 में अमेरिकी न्यूरोलॉजिस्ट माइकल वेनट्रॉब ने की थी. उन्होंने पाया था कि उनके कुछ रोगियों में हेयरड्रेसर के पास जाने के दौरान अपने बालों में शैम्पू करवाने के बाद स्ट्रोक से जुड़े गंभीर लक्षण सामने आए थे.

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ब्रेन के लिए क्यों और कैसे खतरनाक है स्ट्रोक? (How Is Stroke Extremely Dangerous For Brain?)

दरअसल, मस्तिष्क को पड़ने वाले आघात या दौरा को स्ट्रोक कहा जाता है. आमतौर पर यह मस्तिष्क में ब्लड सर्कुलेशन में अचानक कमी के कारण होता है. ज्यादातर समय खून के थक्के से रुकावट के कारण या मस्तिष्क में एक प्रमुख रक्त वाहिका (ब्लड वेसेल्स)) के फटने के कारण ही स्ट्रोक आता है. इससे मस्तिष्क में ऑक्सीजन, ग्लूकोज और पोषक तत्वों की कमी होती है, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है और उन्हें मार देती है.

किन कारणों से होता है ब्यूटी पार्लर स्ट्रोक सिंड्रोम? (What causes beauty parlor stroke syndrome?)

ब्यूटी पार्लर या सैलून में शैम्पू करने की प्रक्रिया के दौरान ग्राहकों को आमतौर पर बैठने और वाशबेसिन के किनारे पर अपना सिर पीछे लटकाने के लिए कहा जाता है. रिसर्च से पता चलता है कि सिंक के कठोर रिम पर सिर और गर्दन को ज़्यादा फैलाना बीपीएसएस का सबसे बड़ा कारण है. ज़ोरदार तरीके से शैम्पू करने के दौरान गर्दन की असामान्य स्थिति, गर्दन का घूमना या अचानक झटकेदार हरकतें उसके आसपास ऊपरी रीढ़ की हड्डी को ब्रेन के पीछे और नीचे ब्लड सप्लाय करने वाली प्रमुख ब्लड वेसल्स में से एक के खिलाफ ज्यादा ताकत से धक्का दे सकती हैं.

इसके अलावा, बीपीएसएस के कुछ मामले हड्डी के स्पर्स यानी रीढ़ की हड्डी पर गांठों से छोटे हड्डी के टुकड़े के कारण भी हुए हैं जो उनके बगल की धमनी को संकुचित करते हैं या फाड़ डालते हैं. क्योंकि शैम्पू करने के दौरान जिस गति से बाल धोए जाते हैं और उसमें जितना समय लगता है उस दौरान सिर और गर्दन पर ज्यादा जोर या झटकेदार हरकतें बीपीएसएस की जोखिम को बढ़ा देती हैं.

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बुजुर्ग महिलाओं में क्यों होता है बीपीएसएस का खतरा? (Why are older women at risk for BPSS?)

ब्यूटी पार्लर स्ट्रोक सिंड्रोम अक्सर हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज या हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं वाले बुजुर्ग लोगों को परेशान करता है,लेकिन युवा और सेहतमंद लोगों को भी स्ट्रोक हो सकता है. रिसर्च से पता चलता है कि 50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में बीपीएसएस होने की सबसे अधिक आशंका होती है. क्योंकि उनकी रक्त वाहिकाओं के बेहद तंग होने या पतले होने और गर्दन में रीढ़ की हड्डी के गठिया की मेडिकल हिस्ट्री खासतौर पर जोखिम बढ़ाने वाले फैक्टर हैं.हालांकि, बीपीएसएस उम्र या मेडिकल हिस्ट्री की परवाह किए बिना किसी को भी हो सकता है.

बीपीएसएस को कैसे पहचानें? (How To Identify BPSS)

हालांकि, पारंपरिक स्ट्रोक की तुलना में बीपीएसएस बहुत दुर्लभ है, फिर भी इसके लक्षणों के बारे में पता होना काफी जरूरी है.बीपीएसएस के लक्षणों में सिरदर्द, चक्कर आना, जी मिचलाना, आई साइट का धुंधला या संकुचित होना , मतली, उल्टी, गर्दन में दर्द और शरीर के एक तरफ कुछ लकवा जैसी हालत शामिल हैं. कुछ मरीजों में चेतना का भी नुकसान होता है. कई अध्ययनों से पता चलता है कि ये लक्षण देरी से हो सकते हैं, जिससे डॉक्टरों के लिए पारंपरिक स्ट्रोक के बजाय बीपीएसएस का इलाज करना मुश्किल हो जाता है. इसलिए, लक्षणों पर बारीकी से ध्यान देना चाहिए.

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बीपीएसएस से कैसे बचें, किन सावधानियों को अपनाएं? (How To Avoid BPSS)

बीपीएसएस के खतरनाक नतीजे और उसके लक्षणों के बारे में चिंतित होने से ज्यादा जरूरी है कि उसकी रोकथाम के तरीकों के बारे में जागरूक हो जाएं. बीपीएसएस से बचने के लिए ब्यूटी पार्लर या सैलूनों में जाने के बाद जरूरी सावधानियों को अपनाएं. बैकवॉश सिंक का इस्तेमाल करते समय दर्द और असुविधा का अनुभव करने पर हेयर ड्रेसर को तुरंत बताएं. बेसिन के किनारे पर अपना सिर पीछे की ओर बढ़ाने के बजाय सिंक पर आगे की ओर झुकाएं.

अगर सैलून में बैकवॉश से बचना संभव नहीं है, तो बाल धोने के दौरान गर्दन के लिए तकिए जैसे किसी सहारे की मांग करें. बाल धोने की गति और इसमें लगने वाले समय का ध्यान रखें. बाल धोते समय सिर और गर्दन पर कोई जोर या झटका लग रहा हो तो हल्के से धोने के लिए कहें.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)