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This Article is From Jan 04, 2022

WHO Chief Scientist ने बताया भारत कैसे निपट सकता है तीसरी लहर से, आप भी जानें

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, देश को कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर का सामना करना पड़ रहा है, मुंबई, दिल्ली और कोलकाता जैसे बड़े शहरों ने ओमिक्रोन के संक्रमणों का एक संयुक्त 75 फीसदी हिस्सा दर्ज किया है, जो हाइली ट्रांसमिसि‍बल कोरोनावायर वेरिएंट है

WHO Chief Scientist ने बताया भारत कैसे निपट सकता है तीसरी लहर से, आप भी जानें
"देश को कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर का सामना करना पड़ रहा है"

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, देश को कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर का सामना करना पड़ रहा है, मुंबई, दिल्ली और कोलकाता जैसे बड़े शहरों ने ओमिक्रोन के संक्रमणों का एक संयुक्त 75 फीसदी हिस्सा दर्ज किया है, जो हाइली ट्रांसमिसि‍बल कोरोनावायर वेरिएंट है, जो पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था. बढ़ते मामलों के बीच भारत को क्या करने की जरूरत है, यह जानने के लिए एनडीटीवी ने WHO की मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन से बात की. इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि तीसरी लहर अस्पतालों से बाहर के रोगी विभाग और आईसीयू यानी गहन चिकित्सा इकाई (ICUs, Intensive Care Unit) से घर-आधारित देखभाल पर बोझ को स्थानांतरित करेगी, डॉ स्वामीनाथन ने कहा कि भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी मेडिकल केयर की अचानक से ज्यादा जरूरत होगी. उन्होंने कहा,

''उछाल बहुत तेज होने वाला है और कई लोग बीमार होने वाले हैं. लोग चिंतित हैं. हो सकता है कि आपको लक्षण न हों, लेकिन आप डॉक्टर से बात करना चाहेंगे, आप किसी स्वास्थ्यकर्मी से मिलना चाहेंगे और आप सलाह चाहेंगे. इसके लिए हमें तैयारी करनी होगी.'' स्वामीनाथन ने ओमिक्रोन के चलते हुए उछाल से निपटने के लिए टेलीकंसल्टेशन सेवाओं को तत्काल बढ़ाने का आह्वान किया.

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''हो सकता है, यह असल में टेलीहेल्थ और टेलीमेडिसिन सेवाओं को बढ़ाने का समय है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारे पास आउट पेशेंट विभागों (ओपीडी, (OPDs) में पर्याप्त डॉक्टर और नर्स हैं, सुनिश्चित करें कि हम जितना संभव हो सके घर पर या प्राथमिक देखभाल आइसोलेशन सेंटर (Primary Care Isolation Center) में लोगों का इलाज कर सकते हैं जहां उन्हें बुनियादी देखभाल मिलती है. अगर उन्हें अग्रिम देखभाल की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि इस प्रकोप का पूरा बोझ गंभीर रूप से बीमार लोगों के लिए आईसीयू और अस्पताल के बेड्स के बजाय बाहरी रोगियों और घर-आधारित सेवाओं पर ज्यादा होगा.

डॉ स्वामीनाथन ने लोगों के आत्मसंतुष्ट होने पर भी चिंता जताई. उन्होंने जोर देकर कहा कि लोग इस वेरिएंट के बारे में सोच रहे हैं कि यह एक सामान्य सर्दी की तरह है और इसमें चिंता की कोई बात नहीं है. उन्होंने खतरों पर जोर दिया, जो आम धारणा से पैदा हुआ है कि ओमिक्रोन संक्रमण हल्के होते हैं. उन्होंने कहा-  

''हमने बहुत सारा डाटा देखा है. मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीका और यूनाइटेड किंगडम से. दक्षिण अफ्रीकियों ने जो दिखाया है, वह यह कि डेल्टा और अन्य सर्ज की तुलना में ओमिक्रोन के साथ उनके द्वारा अनुभव किए गए मामलों की संख्या चार गुना ज्यादा थी. यह इतना ज्यादा ट्रांसमिसिबल है. अपने पीक यानी चरम के दौरान पिछले आउटब्रेक्स ​​​​में वास्तविक संख्या 40,000 थी और ओमिक्रोन के दौरान यह तकरीबन 1,40,000 थी. लेकिन साथ ही, अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम एक चौथाई था. तो, यह बराबर हो जाता है - चार गुना ज्यादा संक्रमणीय, अस्पताल में भर्ती होने का एक चौथाई जोखिम.''

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डॉ स्वामीनाथन ने कहा कि एक बार जब कोई व्यक्ति किसी भी कारण से अस्पताल में होता है, कॉमरेडिटी के कारण या उन्हें देखा जाना चाहिए इसलिए, तब यह पाया गया है कि बहुत गंभीर रूप से बीमार होने, गंभीर देखभाल और वेंटिलेशन की जरूरत या असल में मरने का जोखिम बहुत कम था. अन्य वेरिएंट की तुलना में ओमि‍क्रोन के साथ. लेकिन, गंभीर संक्रमणों और मौतों के कम जोखिम का मतलब यह नहीं है कि डॉक्टरों, अस्पतालों, आउट पेशेंट विभागों, स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों और बुनियादी ढांचे पर बोझ नहीं पड़ेगा, उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकारों को इसके लिए तैयार रहना चाहिए.

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