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ये है खाने का सबसे खतरनाक इंग्रेडिएंट, बढ़ाता है कैंसर का खतरा, लेबल पर भी नहीं होता मेंशन...

ज्यादातर लोग बाजार से फूड आयटम्स खरीदते वक्त उस पर छपे बनने और एक्सपायरी की डेट पढ़ते हैं और कुछ लोग उसमें मौजूद इंग्रेडिएंट्स के बारे में भी पढ़कर संतुष्ट हो लेते हैं. लेकिन कोई शख्स तब क्या कर सकता है, जब किसी फूड में मौजूद सबसे खतरनाक इंग्रेडिएंट्स के बारे में लिखा ही न हो.

ये है खाने का सबसे खतरनाक इंग्रेडिएंट, बढ़ाता है कैंसर का खतरा, लेबल पर भी नहीं होता मेंशन...
आपके खाने में मौजूद सबसे खतरनाक इंग्रेडिएंट क्या है?

मॉडर्न लाइफस्टाइल में खानपान को लेकर सावधानी की जरूरत काफी बढ़ गई है.क्योंकि तमाम तरह की सरकारी उपायों और समाजसेवी संगठनों की ओर से किए जाने वाले जागरूकता अभियानों के बावजूद खानपान को लेकर लापरवाही सामने आ जाती है. इसके चलते सेहत से जुड़ी चुनौतियां भी काफी बढ़ गई हैं. ज्यादातर लोग बाजार से फूड आयटम्स खरीदते वक्त उस पर छपे बनने और एक्सपायरी की डेट पढ़ते हैं और कुछ लोग उसमें मौजूद इंग्रेडिएंट्स के बारे में भी पढ़कर संतुष्ट हो लेते हैं. लेकिन कोई शख्स तब क्या कर सकता है, जब किसी फूड में मौजूद सबसे खतरनाक इंग्रेडिएंट्स के बारे में लिखा ही न हो.

आपके खाने में मौजूद सबसे खतरनाक इंग्रेडिएंट क्या है? जिसके बारे में फूड इंटस्ट्री भी नहीं बताती, यहां तक कि लेबल पर भी नहीं होता मेंशन


सेहत के लिए काफी ज्यादा नुकसानदेह

दरअसल, हम जिसके बारे में बता रहे हैं वह हमारे फूड का सबसे खतरनाक इंग्रेडिएंट्स यानी घटक है. हैरत की बात यह है कि फूड इंडस्ट्री यानी खाद्य उद्योग को किसी प्रोडक्ट के लेबल पर यह बताने की कोई जरूरत नहीं है कि यह खतरनाक चीज उसमें मौजूद है. क्योंकि ज्यादातर लोग इसे इंग्रेडिएंट्स के बजाय बाय प्रोडक्ट के तौर पर बताते हैं.

कई फूड आयट्म्स की कुकिंग के दौरान यह चीज बढ़ जाता है. डॉक्टर्स के मुताबिक, यह चीज सेहत के लिए सीड ऑयल और शुगर से काफी ज्यादा नुकसानदेह हो सकता है. इससे कैंसर होने की आशंका के अलावा नर्व सिस्टम और बच्चा पैदा करने क्षमता पर बेहद बुरा असर पड़ता है.

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एक्रिलामाइड क्या है और कितना खतरनाक है ?

मेडिकल साइंस में इस चीज को एक्रिलामाइड या ऐक्रेलिक एमाइड कहते हैं. यह कार्बनिक कंपाउंड सफेद, बिना गंध का और घुलनशील होता है. फ्लोक्यूलेशन एजेंट के रूप में काम आने वाला यह केमिकल आमतौर पर यह हर किसी के खाने के सामान में छुपा होता है और ज्यादा देर पकाने या उसके जलने के बाद बढ़ जाता है.

इसलिए ज्यादातर कुरकुरी चीजों में मौजूद  इस न्यूरोटॉक्सिन और कार्सिनोजेन चीजों को खाने से कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. साल 2002 में इसकी पहचान के बाद से ही वैज्ञानिक और डॉक्टर इससे बचाव के तरीके तलाशने में जुटे हैं.

कैसे बढ़ता है एक्रिलामाइड?

डॉक्टर का कहना है कि रिफाइंड तेल, शुगर, आलू जैसे खाने के सामान को 285 डिग्री फॉरेनहाइट पर पकाए जाने के बाद अमीनो एसिड,एस्पराजीन, ग्लूकोज वगैरह के रिएक्शन से एक्रिलामाइड बढ़ जाता है. इस मैलार्ड रिएक्शन के चलते ही कोई फूड आइटम हमें कुरकुरा लगता है.

इसमें आलू चिप्स,  फ्रेंच फ्राईज,कॉर्न चिप्स, ब्रेड, कूकीज और बेक्ड सामान, क्रैकर्स और कॉफी तक में इसकी खतरनाक मौजूदगी होती है. हम इसे देख नहीं सकते, छू नहीं सकते और न ही इसका अलग से स्वाद ले सकते हैं.इसलिए कोई भी कंपनी इसके बारे में बताती भी नहीं है.

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एक्रिलामाइड से बचने के लिए क्या करें?

इसलिए, हेल्थ एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि लोगों को उनके फूड में मौजूद सबसे खतरनाक एक्रिलामाइड को लेकर सावधान रहना चाहिए. इससे बचने के लिए ज्यादा तापमान पर बने खाने के सामान यानी प्रोसेस्ड फूड, अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड और फास्ट फूड वगैरह से परहेज करना चाहिए.

साथ ही हरी सब्जियों, सलाद, स्प्राउट्स जैसी चीजों को अपनाना चाहिए. खासकर, अपने खाने के तेल को लेकर जागरूक होना चाहिए और चाय या कॉफी की जगह हर्बल या ग्रीन टी को प्राथमिकता देनी चाहिए.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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