
World Rabies Day: इस वर्ष 28 सितंबर को 19वां विश्व रेबीज दिवस मनाया जाएगा. इस बार का थीम 'एक्ट नाउ: यू, मी एंड कम्युनिटी' है. यानि सबको मिलजुलकर इस बीमारी का एक साथ समझदारी से सामना करना है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक अपने 19 साल के इतिहास में पहली बार, विश्व रेबीज दिवस की थीम में "रेबीज" शब्द शामिल नहीं है. रेबीज रोग कुत्ते के काटने से होता है. भारत की बात करें तो, रेबीज एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है. साल 2024 में, देश में 22 लाख से अधिक कुत्ते के काटने के मामले और 5 लाख से अधिक अन्य जानवरों के काटने के मामले दर्ज किए गए थे. इनमें से लगभग 20% मामले 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों के थे.
2030 तक "रेबीज मुक्त भारत"
देश की सरकार रेबीज की रोकथाम के लिए "वन हेल्थ अप्रोच" को बढ़ावा दे रही है, जिसमें मानव, पशु और पर्यावरण स्वास्थ्य के बीच सहयोग को प्राथमिकता दी जाती है. भारत सरकार ने 2030 तक "रेबीज मुक्त भारत" बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, और इसके लिए राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम (एनआरसीपी) के तहत टीकाकरण, नसबंदी, और जागरूकता अभियानों पर जोर दिया जा रहा है.
किसी जानवर के अटैक को हल्के में लेना बहादुरी नहीं बल्कि लापरवाही हो सकती है. हाल ही की एक दर्दनाक घटना इस पर रोशनी डालती है. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में रहने वाले 22 साल के ब्रजेश सोलंकी, जो कि स्टेट‑स्तर के कबड्डी खिलाड़ी थे, ने मार्च 2025 में एक पिल्ले को नाले से निकालने की कोशिश की थी. इस दौरान पिल्ले ने उन्हें काट लिया, लेकिन ब्रजेश ने इस काटने को मामूली समझ लिया और 'एंटी‑रेबीज' इलाज नहीं कराया.
इस दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय के कारण, जब लक्षण उभरे (पानी से डर, सांस लेने में दिक्कत आदि), तब बहुत देर हो चुकी थी. इलाज संभव नहीं हो पाया और 28 जून को उनका निधन हो गया. इससे स्पष्ट होता है कि जानवर भले ही छोटा हो लेकिन उसके अटैक को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। समय पर इलाज जरूरी है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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