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जो बिडेन की सेहत को लेकर ये कैसी अफवाहें चल रही है, यहां करते हैं सच की पड़ताल

Biden Health: अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) की गुरुवार को जुबान फिसल गई. उन्‍होंने नाटो शिखर सम्‍मेलन के दौरान यूक्रेन के राष्‍ट्रपति वोलोदिमर जेलेंस्‍की को 'राष्‍ट्रपति पुतिन' कह दिया. इस गलती को जल्‍द ही सुधार लिया गया. हालांकि बाइडेन की इस गलती ने उनके स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर चल रही अटकलों को और हवा दे दी है. 

जो बिडेन की सेहत को लेकर ये कैसी अफवाहें चल रही है, यहां करते हैं सच की पड़ताल
क्यों नाम भूल जाते हैं लोग?

Joe Biden Health Condition: दुनिया में जुबान का फिसलना कोई बड़ी बात नहीं है. अक्सर लोगों की बात करते-करते जुबान फिसल जाती है. ऐसा ही कुछ हुआ अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) के साथ जब गुरुवार को उनकी जुबान फिसल गई. उन्‍होंने नाटो शिखर सम्‍मेलन के दौरान यूक्रेन के राष्‍ट्रपति वोलोदिमर जेलेंस्‍की को 'राष्‍ट्रपति पुतिन' कह दिया. इस गलती को जल्‍द ही सुधार लिया गया. हालांकि बाइडेन की इस गलती ने उनके स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर चल रही अटकलों को और हवा दे दी है. 

बाइडेन की गलती के कारण जहां वहां पर मौजूद सभी लोग भौचक्‍के रह गए. वहीं जेलेंस्‍की ने इसे हंसी में उड़ा दिया. जेलेंस्‍की ने चुटकी लेते हुए कहा कि वह पुतिन से बेहतर हैं. 

बता दें कि इस वाक्ये के बाद एक बार फिर से लोगों के बीच बाइडेन के स्वास्थ्य को लेकर के सवाल खड़े हो गए हैं.  बाइडेन के इस बयान की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. लोग राष्ट्रपति के मानसिक स्वास्थ्य पर चिंता जता रहे हैं.

G-7 समिट में भटके बाइडेन

आइए जानते हैं क्या नाम भूलना कोई बीमारी है?

बता दें कि जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है हमारे शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं. जिसमें शारीरिक और मानसिक दोनों बदलाव शामिल होते हैं. उम्रदराज लोगों को कम सुनाई देता है तो वहीं कई लोग चीजों को भूलने लगते हैं. उनकी याद्दाश्त कमजोर हो जाती है ऐसे में चीजो को रखकर भूल जाना और नाम भूल जाना नॉर्मल है. लेकिन अपने करीबियों के नामों को भूलना डिमेंशिया के लक्षण हो सकते हैं. डिमेंशिया सोचने-समझने और सामाजिकता से जुड़े लक्षणों का एक ऐसा समूह है, जो रोजमर्रा के कामकाज पर असर करता है. डिमेंशिया किसी बीमारी का नाम नहीं है. यह याद रखने, सोचने या निर्णय लेने की क्षमता में कमी के लिए एक सामान्य शब्द है.

बता दें कि डिमेंशिया होने पर लोगों को बातचीत में शामिल होने या किसी बात पर लगाताक बात करने में भी परेशानी हो सकती है. वहीं बात करते-करते चुप हो जाना भी शामिल है. बता दें कि  कुछ पिछले महीने की प्रेसिडेंशियल डिबेट में देखने को मिला था, जब बाइडेन कुछ मौकों पर बोलते-बोलते चुप हो गए थे.

डायग्नोज अक्सर गलत हो सकता है

इस तरह हुए वाक्यों के बाद ऐसे अनुमान लगाए जा रहे हैं कि बिडने डिमेंशिया या अल्जाइमर जैसी बीमारी का शिकार हो गए हैं. वहीं यूके अल्जाइमर सोसाइटी में पब्लिश एक पोस्ट में इस तरह की कंडीशन पर बात की गई है. जिसमें बताया गया है कि इस तरह की समस्याएं होने का मतलब हमेशा ब्रेन से नहीं जुड़ा होता है कई बार इसके कोई दूसरे कारण भी हो सकते हैं. 

ऐसे कई कारण हो सकते हैं जिनकी वजह से कोई व्यक्ति क्षण भर के लिए भ्रमित या भुलक्कड़ दिखाई दे सकता है, खराब निर्णय दिखा सकता है या अजीब तरह से व्यवहार कर सकता है.

कभी-कभी कोई मेडिकल कंडीशन हो सकती है, लेकिन अक्सर एक सीधा स्पष्टीकरण होता है जिसके लिए उन्हें न्यूरोलॉजिकल स्थिति की आवश्यकता नहीं होती है. वे थके हुए या जेट-लैग का शिकार हो सकते हैं, उन्होंने एक ग्लास वाइन पी ली हो सकती है, उन्हें कोई संक्रमण हो सकता है, या उन्हें चर्चा किए जा रहे विषय की बहुत अच्छी समझ नहीं हो सकती है. ये सभी मनोभ्रंश को बढ़ाए बिना पूरी तरह से संभव हैं.

मनोभ्रंश संज्ञानात्मक हानि का एक बहुत ही विशिष्ट रूप है - कई संभावित कारणों में से एक है जिसकी वजह से कोई व्यक्ति स्पष्ट रूप से सोचने या चीजों को याद रखने में सक्षम नहीं हो सकता है.

मनोभ्रंश का निदान केवल एक हेल्थ प्रोफेशमल की जांच के बाद ही किया जा सकता है. इसमें डिटेल्ड मेडिकल हिस्ट्री चाहिए होती है और इसके बाद कई तरह के टेस्ट और ब्रेन का स्कैन किया जाता है.

किसी व्यक्ति को केवल टीवी पर देखकर उसका निदान करना संभव नहीं है. यह कहना ठीक है कि कोई उम्मीदवार संघर्ष कर रहा है, या वह भुलक्कड़ या भ्रमित लग रहा है.

कितना गंभीर होता है डिमेंशिया, क्या इसका कोई इलाज है?

WHO की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर में लगभग 5.5 करोड़ से ज्यादा लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं. हर साल, लगभग 1 करोड़ नए मामले इसके सामने आते हैं. जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती है, पीड़ित को स्पेशल देखभाल की जरूरत पड़ती है. वहीं कई केस ऐसे भी होते हैं जिसमें मरीज को खाने-पीने में भी परेशानी होने लगती है और उनके व्यवहार में भी बदलाव देखने को मिलता है. 

वहीं बात करें इसके इलाज की तो फिलहाल, डिमेंशिया का कोई इलाज नहीं है. दुनियाभर में यह मौत का सातवां प्रमुख कारण है.

Early Signs Of Dementia | डिमेंशिया के शुरूआती लक्षण

याददाश्त कमजोर होना:

डिमेंशिया में याददाश्त का कमजोर होना इसके सबसे पहले और बड़े लक्षण में से एक माना जाता है.  डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति को जानकारी या कोई चीज याद रखने में मुश्किल होती है. उन्हें रास्ते याद नहीं रहते, चीजों या लोगों को पहचानने में दिक्कत होती है, नंबरों से जुड़ी समस्याएं. जैसे जोड़ने या घटाने में परेशानी, या फिर गिनती याद न रहना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं. लेकिन जो लोग कभी-कभी किसी घटना या जानकारी को भूल जाते हैं और बाद में उन्हें वह याद आ जाता है, ऐसे स्थिती को डिमेंशिया नहीं कहा जा सकता.

भाषा को समझने और कहने में समस्या:

ऑक्सफोर्ड के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए रिसर्च के अनुसार, शोरगुल वाले माहौल में भाषा का पता लगाने में असमर्थता भी डिमेंशिया के बढ़ते जोखिम का संकेत दे सकती है. भाषा को नहीं समझ पाने के पीछे आमतौर पर सुनने की असक्षमता का संकेत माना जा सकता है, लेकिन ऑक्सफोर्ड के शोधकर्ताओं ने इसे डिमेंशिया से भी जोड़ा है. शोधकर्ताओं के अनुसार, जो लोग तेज वातावरण में सुनने के लिए संघर्ष करते थे, उनमें डिमेंशिया होने की संभावना उन लोगों की तुलना में दोगुनी थी, जिन्हें सुनने में कोई कठिनाई नहीं थी.

डेली रूटीन के काम में परेशानी आना:

डिमेंशिया के साथ, एक कप चाय बनाने से लेकर कंप्यूटर चलाने तक जैसे बुनियादी काम करने में मुश्किल हो सकती है. अपने डेली रूटीन के काम, जिन्हें आप सालों से करते आ रहे हैं, डिमेंशिया में उन्हीं कामों को पूरा करना चुनौतीपूर्ण लग सकता है. 

बातचीत करने में परेशानी होना:

डिमेंशिया से पीड़ित लोगों को बातचीत में शामिल होने या अपने विचारों को शब्दों में बयां करने में मुश्किल हो सकती है. वे भूल सकते हैं कि वे किस बारे में बात कर रहे थे या दूसरे व्यक्ति ने क्या कहा है. ऐसे व्यक्ति के साथ बातचीत करना मुश्किल हो सकता है. बहुत से लोग शब्दों का गलत उच्चारण करने लगते हैं या व्याकरण संबंधी गलतियां करते हैं या उनकी लिखावट को पढ़ना मुश्किल हो जाता है.

मूड स्विंग्स:

बार-बार मूड बदलने की आदत से भी आप डिमेंशिया के लक्षणों को आसानी से पहचान सकते हैं. कभी-कभी आप हंसमुख और जीवन से भरा हुआ महसूस कर सकते हैं जबकि कभी गंभीर दिख सकते हैं. डिमेंशिया होने पर व्यक्ति के व्यक्तित्व में धीरे-धीरे बदलाव आ सकता है, जिसे साफ पहचाना जा सकता है. डिप्रेशन से पीड़ित लोगों में भी डिमेंशिया होने का खतरा बना रहता है.


 

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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