केन्या के राष्ट्रीय सूखा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने कहा कि देश के 23 शुष्क क्षेत्रों में पांच वर्ष से कम आयु के लगभग 4,79,498 बच्चे गंभीर कुपोषण की समस्या का सामना कर रहे हैं और उन्हें उपचार की आवश्यकता है.
यद्यपि कुपोषण के मामले अभी भी ऊंचे स्तर पर हैं, लेकिन केन्या की राजधानी नैरोबी में जारी एनडीएमए के सितम्बर माह के अपडेट के अनुसार जुलाई माह के 7,60,488 की तुलना में यह संख्या कम हुई है. एनडीएमए ने कहा, ''मामलों में कमी का कारण दूध की उपलब्धता (हालांकि कम मात्रा में) है जिसे पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए प्राथमिकता दी गई है और परिवारों का पहले के मुकाबले विभिन्न आहारों का सेवन करना है.''
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, प्राधिकरण ने कहा कि 110 गर्भवती और 169 स्तनपान कराने वाली माताएं कुपोषित हैं और उन्हें देखभाल की आवश्यकता है. यह संख्या जुलाई के आंकड़ों से कम है. कुपोषण के मामले प्रतिकूल जलवायु घटनाओं, कम आय और खराब स्वास्थ्य सेवा-प्राप्ति व्यवहार से उत्पन्न हुए हैं. एनडीएमए ने यह भी नोट किया कि 10 लाख केन्याई लोगों को अभी भी मानवीय सहायता की आवश्यकता है, यह आंकड़ा भी जुलाई से बदला है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, जून के अंत तक हॉर्न ऑफ अफ्रीका में लगभग 1.08 करोड़ बच्चे और लगभग 10 लाख गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं गंभीर रूप से कुपोषित थीं और उन्हें उपचार की आवश्यकता थी. संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि यह संकट बढ़ते संघर्ष और जलवायु आपदाओं के कारण उत्पन्न हुआ है, जिसमें सूखा और हाल ही में अल नीनो वर्षा शामिल है, जिसके कारण भयंकर बाढ़ आई और हजारों लोग विस्थापित हुए.
कुपोषण क्यों होता है इसके कारण और लक्षण
कुपोषण तब होता है जब शरीर को उसकी ज़रूरत के अनुसार उचित पोषण नहीं मिलता. इसका मुख्य कारण असंतुलित या अपर्याप्त आहार है, जिससे शरीर को आवश्यक पोषक तत्व (प्रोटीन, विटामिन, खनिज, कार्बोहाइड्रेट, वसा आदि) नहीं मिल पाते. कुपोषण का परिणाम यह होता है कि शरीर की वृद्धि, विकास और सामान्य कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है. कुपोषण के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:
1. पर्याप्त मात्रा में भोजन न मिलना कुपोषण का सबसे बड़ा कारण है. यह विशेष रूप से गरीब क्षेत्रों या युद्धग्रस्त इलाकों में आम है, जहां लोगों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल पाता.
2. भले ही पर्याप्त मात्रा में भोजन हो, अगर वह संतुलित नहीं है (जैसे केवल कार्बोहाइड्रेट या वसा ज्यादा है, लेकिन प्रोटीन, विटामिन और खनिज नहीं हैं), तो शरीर को जरूरी पोषण नहीं मिलता और कुपोषण हो सकता है.
3. आर्थिक तंगी के कारण कई लोग पौष्टिक भोजन खरीद नहीं पाते. गरीब परिवारों में अक्सर पोषण की कमी होती है, जिससे बच्चों और वयस्कों में कुपोषण की समस्या बढ़ती है.
4. लंबे समय तक बीमार रहने वाले लोगों में शरीर को पोषक तत्वों का सही उपयोग करने में कठिनाई होती है. पेट से जुड़ी बीमारियाँ, दस्त, संक्रमण, या अन्य बीमारियाँ शरीर को पोषक तत्वों से वंचित कर सकती हैं, जिससे कुपोषण हो सकता है.
5. कुछ लोगों का पाचन तंत्र पोषक तत्वों को ठीक से अवशोषित नहीं कर पाता (मालएब्सॉर्प्शन सिंड्रोम), जिससे शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है.
कुपोषण के परिणाम
बच्चों में विकास रुकना: कुपोषण से बच्चों की शारीरिक और मानसिक विकास प्रक्रिया धीमी हो जाती है.
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: पोषक तत्वों की कमी से शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति कम हो जाती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
थकान और कमजोरी: ऊर्जा की कमी से व्यक्ति को थकान और कमजोरी महसूस होती है.
मांसपेशियों की कमजोरी: प्रोटीन की कमी से मांसपेशियों की मजबूती में कमी आती है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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