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खुद से बात करने की आदत को मत कीजिए नजरअंदाज! बन सकती है परेशानी, जानिए डॉक्टर की राय

कभी ना कभी, कहीं ना कहीं आपने किसी ना किसी को तो खुद से बात करते जरूर देखा होगा? अगर आपका जवाब हां है, तो बहुत मुमकिन है कि ऐसे शख्स को देखने के बाद आपके मन में एक या दो नहीं, बल्कि ढेर सारे सवाल उठते होंगे कि आखिर यह शख्स खुद से बात क्यों कर रहा है?

खुद से बात करने की आदत को मत कीजिए नजरअंदाज! बन सकती है परेशानी, जानिए डॉक्टर की राय

कभी ना कभी, कहीं ना कहीं आपने किसी ना किसी को तो खुद से बात करते जरूर देखा होगा? अगर आपका जवाब हां है, तो बहुत मुमकिन है कि ऐसे शख्स को देखने के बाद आपके मन में एक या दो नहीं, बल्कि ढेर सारे सवाल उठते होंगे कि आखिर यह शख्स खुद से बात क्यों कर रहा है? क्या इसे कोई बीमारी तो नहीं या फिर यह पागल तो नहीं? बातचीत दो लोगों के बीच ही मुमकिन है, लेकिन अगर कोई शख्स अकेले में ही खुद से बातें करे, तो उसके आसपास मौजूद लोगों का अचंभित होना स्वाभाविक है.

मनोवैज्ञानिक इसके पीछे की वजह बताते हुए कहते हैं कि जब कोई शख्स अपने दिल की बातों को खुलकर जाहिर ना कर सके, तो उसे खुद से बात करने की आदत हो जाती है. खुद से बात करना कोई बीमारी नहीं है, लेकिन अगर इसकी ज्यादा आदत पड़ जाए, तो निसंदेह यह आपके स्वास्थ्य के लिए चिंता की वजह बन सकता है. ऐसे में आपको किसी सॉइकोलॉजिस्ट से जरूर परामर्श लेनी चाहिए. इस संबंध में सर गंगा राम अस्पताल के मनोचिकित्सक और व्यवहार विज्ञान संस्थान के डॉ. (प्रो.) राजीव मेहता ने आईएएनएस से डीटेल में बताचीत की.

डॉ. (प्रो.) राजीव मेहता बताते हैं, “अपने आप से बात करना यह लक्षण कई जगहों पर मिलता है. कई बार नॉर्मल इंसान के अंदर भी यह देखने मिलता है. जब वह किसी चीज की प्लानिंग कर रहा होता है, या कुछ सोच रहा होता है या बहुत ज्यादा थका हुआ होता है. ऐसी स्थिति में लोग खुद से बात करते नजर आते हैं. कई बार जब इंसान ज्यादा तनावग्रस्त हो जाता है या किसी बात को लेकर चिंतित या वहमी होता है, तो वो आपको खुद से बातें करता हुआ नजर आ सकता है और या जब कोई इंसान साइकोसेस या सिजोफ्रेनिया से ग्रसित होता है. ऐसी स्थिति में भी इंसान अपने आप से बातें करता है. 

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डॉ. (प्रो.) राजीव मेहता बताते हैं, साइकोसेस या सिजोफ्रेनिया से ग्रसित व्यक्ति जब अपने आपसे बातें करता है, उसे देखकर ऐसा लगता है कि वो किसी अदृश्य चीज से बात कर रहा है. जैसे कि वो व्यक्ति ऊपर की ओर देखकर बात कर रहा होगा, हाथों से इशारा कर रहा होगा, अपने आप में हंस रहा होगा या फिर रो देगा. इस स्थिति में व्यक्ति डिप्रेशन और चिंता होने की अवस्था से अलहदा होकर बात कर रहा होता है.”

उन्होंने आगे बताया, “आमतौर पर वही लोग खुद से बात करते हैं, जो वहमी और तनावग्रस्त होते हैं. इसके अलावा, ज्यादा प्लानिंग और हर काम में परफेक्ट बनने की होड़ में शामिल होने वाले लोगों में भी ऐसे लक्षण पाए जाते हैं. आमतौर पर जिन्हें सिजोफ्रेनिया की बीमारी होती है, उनमें ही ऐसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं. अगर किसी व्यक्ति में सिजोफ्रेनिया की बीमारी है, तो उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, लेकिन दूसरे किस्म के लोग जिन्हें खुद से बातें करने की आदत है. अगर यह स्थिति उनके संबंधों में, उनके व्यवसायिक जीवन को बड़े पैमाने पर प्रभावित करने लग जाए, तो उन्हें जरूर डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए.”

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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