Convalescent Plasma Therapy (CPT): कोरोना वायरस का सटीक इलाज (Coronavirus Treatment) या टीका अभी तक तैयार नहीं किया जा सका है इस बात से हम सभी वाकिफ हैं. लेकिन फिर भी दुनिया भर में कोरोवायरस से संक्रमित (COVID-19 patient) लोगों को बचाने के लिए डॉक्टर्स अलग-अलग तरीकों से इलाज को तलाशने में लगे हैं. इन्हीं तरीकों में से एक है प्लाज्मा थेरेपी (Convalescent Plasma Therapy (CPT) या कॉनवेल्सेंट प्लाज्मा थेरेपी (Convalescent Plasma Treatment). खबरों के अनुसार सार्स-सीओवी (SARS-CoV), एच1एन1(H1N1) और मर्स सीओवी (MERS-CoV) जैसे खतरनाक वायरस के इलाज में भी इस थेरेपी का इस्तेमाल किया गया था.
मीडिया में आई खबरों के अनुसार दिल्ली के निजी अस्पताल में इस थेरेपी का इस्तेमाल जिस 49 वर्षीय गंभीर रूप से संक्रमित व्यक्ति पर किया गया वह कम समय में ही ठीक हो गया. इसके बाद से प्लाज्मा थेरेपी (Plasma Therapy ) को उम्मीद की किरण के तौर पर देखा जा रहा है. प्लाज्मा थेरेपी का जिक्र खूब हो रहा है. हो सकता है कि आपको लगे कि प्लाज्मा थेरेपी कोई नई थेरेपी है, लेकिन नहीं यह इलाज का एक पुराना तरीका है. तो चलिए आपको बताते हैं क्या है प्लाज्मा थेरीपी, कैसे करते हैं प्लाज्मा थेरेपी से इलाज और इससे जुड़े कई दूसरे सवालों के जवाब...
क्या है प्लाजमा थेरेपी, कैसे करते हैं इससे इलाज, क्या कोरोना वायरस में है फायदेमंद (What is Plasma Therapy, How It Works and Can It Be Helpful in Coronavirus?)
क्या होता है प्लाज्मा
द्वारका के मणिपाल हॉस्पिटल में रेस्पिरेटरी डिपार्टमेंट के हेड डॉ पुनीत खन्ना का कहना है कि "कोरोनावायरस से पीड़ित जो लोग अब पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं उनके ब्लड में जो एंटीबॉडीज बन जाती हैं उन्हें ही प्लाजमा कहते हैं. प्लाजमा थेरेपी से कोरोनावायरस से पीड़ित लोगों का इलाज करने की खबरें आजकल मीडिया में हैं. डॉक्टर पुनीत कहते हैं कि इस थेरिपी में ठीक हुए व्यक्ति के ब्लड से एंटीबॉडीज निकालकर कोरोनावायरस से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में डाली जाती हैं, जिससे कोरोनावायरस से पीड़ित व्यक्ति को ठीक किया जा सकता है. डॉक्टर पुनीत का ये भी कहना है कि हालांकि अभी तक इस थेरिपी का कोई प्रमाण नहीं है कि यह कोरोनावायरस का इलाज है लेकिन कई रिपोर्ट में प्लाजमा थेरिपी से कोरोनावायरस से पीड़ित व्यक्तियों के ठीक होने की बात सामने आई है. इसी वजह से आईसीएमआर ने इस थेरिपी को ट्रायल के तौर इस्तेमाल करने की सिफारिस की है."
इंसान के खून में 2 चीजें होती हैं, पहली रेड ब्लड सेल, दूसरी वाइट ब्लड सेल, तीसरी प्लेट्लेट्स और चौथी प्लाज्मा.प्लाज्मा खून का तरल यानी लिक्विड वाला हिस्सा होता है. शरीर में किसी वायरस के आ जाने पर प्लाज्मा ही एंटीबॉडी बनाने में मदद करता है. तो क्योंकि कोरोना भी शरीर में बाहर से आने वाला एक वायरस है, ऐसे में हमारा शरीर इससे लड़ने के लिए खुद-ब-खुद एंटीबॉडी बनाता है, जिसमें सबसे बड़ी भूमिका होती है रक्त में मौजूद प्लाज्मा. आपका शरीर कितना ज्यादा एंटीबॉडी बनाने में कारगर है यही बात कोरोना के हराने के लिए जरूरी है. शरीर अगर जरूरत के अनुसार एंटी बॉडी बना लेता है तो ठीक हो सकता है. अब दूसरी बात, जब आप एंटीबॉडी बना कर किसी वायरस को मात दे देते हैं, तो इसके बाद भी लंबे समय तक एंटीबॉडी प्लाज्मा के साथ आपके खून में मौजूद रहती हैं. आप चाहें तो इन्हें डोनेट कर सकते हैं.
कैसे लिए जाते हैं प्लाज्मा
खून से प्लाज्मा लेने के दो तरीके हैं.
पहला - जिसमें अपकेंद्रित्र तकनीक यानी सेंट्रिफ्यूज तकनीक (centrifuge technique) से. इसमें 180 मिलीलीटर से 220 मिलीलीटर तक कन्वेंशनल सीरा (convalescent sera) यानी प्लाज्मा पा सकते हैं.
दूसरा- एफ़्रेसिस मशीन / सेल सेपरेटर मशीन का उपयोग करके. इस तरीके से एक बार में 600 मिलीलीटर प्लाजमा लिया जा सकता है.
प्लाज्मा कितने समय तक स्टोर किया जा सकता है?
किसी डोनर के शरीर से प्लाज्मा लेने के बाद उसे तकरीबन एक साल तक -60 डिग्री सेल्सियस के तापमान में स्टोर करके रखा जा सकता है.
क्या है प्लाज्मा थेरेपी?
अब बड़ा सवाल यह उठता है कि प्लाज्मा थेरेपी क्या है. तो इसका जवाब भी समझ लेते हैं. असल में जब किसी इंसान को कोरोना का संक्रमण होता है, तो उसका शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए खून में एंटीबॉडी बनाता है. यह एंटीबॉडी संक्रमण को खत्म करने में मदद करती हैं. और ज्यादातर मामलों में जब पर्याप्त एंटी बॉडी बन जाती हैं तो वायरस नष्ट हो जाता है. ऐसे में वह व्यक्ति, जो वायरस को मात देकर स्वस्थ हो गया है, अगर ब्लड डोनेट करता है, तो उसके खून से प्लाज्मा में मौजूद एंटीबॉडी को दूसरे मरीज में डाला जा सकता है. और बीमार या संक्रमित शरीर में जाकर ये एंटीबॉडी फिर से अपना काम शुरू करते हैं और मरीज को ठीक होने में मदद करते हैं.
एक प्लाज्मा डोनर से कितनों का इलाज किया जा सकता है
डॉक्टर्स के मुताबिक एक इंसान से खून के प्लाजमा की मदद से दो लोगों का इलाज किया जा सकता है.
क्या कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हुआ व्यक्ति प्लाज्मा डोनर बन सकता है?
जी हां, अगर किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस का संक्रमण होता है और वह इससे जंग में जीत जाता है, तो वह भी प्लाज्मा डोनेट कर सकता है. ऐसा इंसान कोरोना नेगेटिव आने के दो हफ्ते बाद ही प्लाज्मा डोनेट बन सकता है.
प्लाज्मा ट्रीटमेंट से पक्का ठीक होगा कोरोना?
कोरोना वायरस के इलाज के लिए भारत के दिल्ली और पंजाब जैसे राज्य में इसको ट्रायल के तौर पर मंजूरी मिली है. फिर भी कोरोना के इलाज में प्लाज्मा ट्रीटमेंट कितना कारगर है यह कह पाना अभी मुश्किल है. लेकिन चीन में इससे इस्तेमाल से मरीजों की सेहत में सुधार देखा गया था. कई दूसरे देशों से भी इस ट्रिटमेंट से फायदा मिलने की खबरें मिली हैं. बहरहाल, भारत में आईसीएमआर और डीजीसीआई के ट्रायल के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
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