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भारत में 'टीबी' के खिलाफ बड़ा कदम, डॉक्टरों ने दी लोगों को सतर्क रहने की सलाह

भारत में क्षय रोग (टीबी) आज भी एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बना हुआ है. विश्व भर में टीबी के सबसे अधिक मामले भारत में दर्ज किए जाते हैं, इससे यह बीमारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण विषय बनी हुई है.

भारत में 'टीबी' के खिलाफ बड़ा कदम, डॉक्टरों ने दी लोगों को सतर्क रहने की सलाह
भारत में टीबी को बढ़ने से रोकने के लिए उठाए गए बड़े कदम.

भारत में क्षय रोग (टीबी) आज भी एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बना हुआ है. विश्व भर में टीबी के सबसे अधिक मामले भारत में दर्ज किए जाते हैं, इससे यह बीमारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण विषय बनी हुई है. इस गंभीर मुद्दे को सुलझाने और टीबी उन्मूलन की दिशा में प्रभावी कदम उठाने के लिए शिविंग्स फाउंडेशन और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) ने विश्व क्षय रोग दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम का मुख्य विषय "टीबी मुक्त विश्व की ओर एक कदम – बदलाव का हिस्सा बनें" था. कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों ने टीबी के निदान और उपचार से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की. पैनल में मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉ. प्रवीन कुमार, मूलचंद अस्पताल के क्रिटिकल केयर निदेशक डॉ. राजेश मिश्रा, हेल्थकेयर रणनीतिकार अंशुमान और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ मीनाक्षी सक्सेना शामिल थे. 

चर्चा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की भूमिका, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की खाई को कम करने और दवा प्रतिरोधी टीबी की बढ़ती चुनौती जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से बात की गई. विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि टीबी उन्मूलन के लिए केवल सरकारी प्रयास ही पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि इसमें विभिन्न क्षेत्रों के सामूहिक सहयोग की आवश्यकता है. इस अवसर पर सफल टीबी उन्मूलन योजनाओं का भी अध्ययन प्रस्तुत किया गया.

कार्यक्रम में उपस्थित इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) के कार्यकारी निदेशक हेमंत राठौर ने कहा, "हम 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने की इस मुहिम का समर्थन करते हैं." वहीं, शिविंग्स फाउंडेशन के संस्थापक मदन मोहित भारद्वाज ने कहा कि "हम जमीनी स्तर पर टीबी की जांच और रोकथाम के लिए प्रयासों को और बढ़ा रहे हैं, जिससे यह आंदोलन घर-घर तक पहुंचे."

दवाएं कम कर रहीं असर, सबसे बड़ी चुनौती बढ़ता ड्रग रेजिस्टेंस

कार्यक्रम के दौरान डॉक्टरों ने टीबी के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की और लोगों को इसके लक्षणों के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी. मूलचंद अस्पताल के क्रिटिकल केयर निदेशक डॉ. राजेश मिश्रा ने कहा, "यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय तक बुखार, खांसी और कमजोरी बनी रहती है, तो उसे तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए."

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीषा सक्सेना ने गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं में टीबी के प्रसार को रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया. इस महत्वपूर्ण आयोजन में 20 से अधिक डॉक्टरों ने भाग लिया और अपने मरीजों के अनुभवों को साझा किया. विशेषज्ञों ने बताया कि हर 3 मिनट में 2 लोगों की मौत टीबी के कारण हो रही है, जो इस बीमारी की गंभीरता को दर्शाता है. कार्यक्रम में यशोदा अस्पताल की एमडी उपासना अरोड़ा, मेडिकेयर के सीईओ कमांडर नवनीत बाली, अमेरिका से आईं डॉ. प्रेरणा शर्मा, आईओसीएल के महाप्रबंधक आलोक श्रीवास्तव और नोएडा के डीएफओ पी. के. श्रीवास्तव ने भी विचार व्यक्त किए.

इस कार्यक्रम से स्पष्ट संदेश मिला कि टीबी उन्मूलन केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इसमें हर नागरिक, उद्योग जगत, और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की भागीदारी आवश्यक है. यह प्रयास तभी सफल हो सकता है, जब जागरूकता बढ़ाई जाए, जांच और उपचार की सुविधाएं हर व्यक्ति तक पहुंचाई जाएं और सभी मिलकर इस वैश्विक समस्या के समाधान के लिए काम करें.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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