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ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के सोशल मीडिया यूज करने पर लगा बैन, जानिए मेंटल हेल्थ पर कितना असर डालता है इसका इस्तेमाल

बच्चों की हेल्थ की तरफ ये नियम काफी फायदेमंद माना जा रहा है. इसे समझने के लिए ये जान लेना जरूरी है कि सोशल मीडिया किस तरह से बच्चों की सेहत को प्रभावित करता है.

ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के सोशल मीडिया यूज करने पर लगा बैन, जानिए मेंटल हेल्थ पर कितना असर डालता है इसका इस्तेमाल
जानिए बच्चों के मेंटल हेल्थ पर कितना असर डालता है सोशल मीडिया

How Social Media Can Negatively Affect Your Child: ऑस्ट्रेलिया ने बच्चों की फिजिकल और मेंटल हेल्थ को देखते हुए एक बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले के मुताबिक अब सोलह साल से कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स यूज नहीं कर सकेंगे. यानि अब इस उम्र से कम उम्र के बच्चों को इंस्टाग्राम, टिक टॉक और स्नेपचैट जैसे प्लेटफॉर्म पर अकाउंट बनाने और उन्हें एक्सप्लोर करने की इजाजत नहीं होगी. हालांकि इस नियम से फिलहाल यूट्यूब को बाहर ही रखा गया है. हालांकि अभी इस पर चर्चा जारी है कि किस तरह से एज को रिस्ट्रिक्ट करने के मामले को सख्ती से लागू किया जाए.

बच्चों की हेल्थ की तरफ ये नियम काफी फायदेमंद माना जा रहा है. इसे समझने के लिए ये जान लेना जरूरी है कि सोशल मीडिया किस तरह से बच्चों की सेहत को प्रभावित करता है.

बच्चों की सेहत पर सोशल मीडिया का असर | Social Media Effects On Kids Health

कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया पर एक्टिव

कई सोशल मीडिया एप्स ऐसी हैं जिन्होंने ये स्पष्ट किया है कि उन्हें तेरह साल से कम उम्र के बच्चे उपयोग न करें. लेकिन यूएस सर्जन जर्नल की रिपोर्ट इस मामले में अलग है. इस रिपोर्ट के मुताबिक 8 से 12 साल के 40 फीसदी बच्चे और 13 से 17 साल के 95 फीसदी बच्चे सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं. इस  रिपोर्टे के बाद इस जर्नल ने ये भी बताया है कि किस तरह सोशल मीडिया बच्चों की मेंटल हेल्थ को नुकसान पहुंचा रहा है. खासतौर से उन बच्चों को जो एक दिन में तीन घंटे से ज्यादा का वक्त सोशल मीडिया पर बिताते हैं वो डिप्रेशन और एंजाइटी के शिकार होने के डबल रिस्क पर होते हैं.

सोशल मीडिया यूज करने के नेगेटिव इफेक्ट्स (Negative effects of using social media)

शरीर पर असर 

ज्यादा देर सोशल मीडिया का उपयोग करने से शरीर पर उसका असर पड़ता है. बच्चे इटिंग डिसऑर्डर के शिकार हो सकते हैं साथ ही वो सेल्फ कॉन्फिडेंस की कमी भी महसूस कर सकते हैं. खासतौर से टीनएज गर्लस में ये असर देखा गया है.

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साइबर बुलिंग का शिकार

सायबर बुलिंग के केसेस भी अब बढ़ रहे हैं. सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने की वजह से बच्चे खराब भाषा आसानी से सीख जाते हैं. साथ ही वीडियोज और इमेजेस भी देखते हैं जो उनकी उम्र के अनुकूल नहीं होती है. हेट बेस्ड कंटेंट को ज्यादा देखने की वजह से खुद बुलिंग का शिकार हो सकते हैं या फिर बुलिंग करने वाले बन सकते हैं.

ऑनलाइन मॉलेस्टेशन

ऑनलाइन ऐसे बहुत से प्लेटफॉर्म्स हैं जो बच्चों को आसानी से सेक्सुअली एक्सप्लोइट करते हैं. बच्चे बिना जाने पहले उनकी बातों में आ जाते हैं. जब तक उसका असर दिखना शुरू होता है और वो मेंटली तनाव में रहते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.

खतरनाक वायरल ट्रेंड्स

कुछ वायरल ट्रेंड्स ऐसे होते हैं जो बच्चों को खतरनाक टास्क परफॉर्म करने के लिए उकसाते हैं. अगर बच्चों को अनदेखा छोड़ दिया जाए तो वो इस रिस्क तक भी पहुंच सकते हैं. इसलिए बच्चों में समझ आने के बाद ही उन्हें सोशल मीडिया यूज करने का मौका मिलना चाहिए. 

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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