दुनिया भर के डॉक्टरों और हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स ने एक याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें सभी COVID-19 mRNA प्रोडक्ट्स को तत्काल निलंबित करने की मांग की गई है, क्योंकि उन्हें चिंता है कि ये टीके अतिरिक्त मौतों में योगदान दे सकते हैं. "बढ़ते हुए नए कोविड-19 mRNA वैक्सीन प्रोडक्ट्स का रोलआउट दिव्यांगता और अतिरिक्त मौतों में योगदान दे रहा है," होप एकॉर्ड याचिका में लिखा है. होप एकॉर्ड के नाम से जानी जाने वाली इस याचिका पर कई हेल्थ प्रोफेशनल्स ने हस्ताक्षर किए हैं और टीकों के व्यापक रिवैल्युएशन की जरूरत पर बल दिया है.
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याचिका में क्या कहा गया...?
टीके "जीन-बेस्ड तकनीक" का उपयोग करते हैं और उन्हें COVID-19 महामारी से निपटने के लिए इमरजेंसी मेडिकल अथॉरिटी दिया गया था. "इस नई तकनीक को इमरजेंसी यूज ऑर्गेनाइजेशन दिया गया था ताकि ऐसी स्थिति का समाधान किया जा सके जो अब मौजूद नहीं है. सबूत का बोझ उन लोगों पर पड़ता है जो अभी भी इन प्रोडक्ट्स की वकालत कर रहे हैं, ताकि वे यह साबित कर सकें कि इनसे नुकसान नहीं हो रहा है. जब तक ऐसे सबूत पेश नहीं किए जाते, नियामकों को मानक चिकित्सा एहतियात के तौर पर इनके इस्तेमाल को निलंबित कर देना चाहिए," याचिका में कहा गया है.
इसमें सरकारी निकायों और फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री से पूर्ण पारदर्शिता की मांग की गई है, जिसमें क्लिनिकल ट्रायल और मॉनिटरिंग प्रोग्राम से पहले से अज्ञात अनाम रोगी-स्तरीय डेटा तक पहुंच शामिल है. यह प्रकाशन पूर्वाग्रह को कम करने की जरूरत पर भी बल डालता है, जहां प्रतिष्ठा को नुकसान के डर से प्रतिकूल परिणामों को अक्सर अस्वीकार कर दिया जाता है या रोक दिया जाता है.
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"टीके लाभ की तुलना में ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं"
ब्रिटिश भारतीय सलाहकार कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. असीम मल्होत्रा ने यू.के. की जनरल मेडिकल काउंसिल (जी.एम.सी.) को एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि टीके लाभ की तुलना में ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं.
"टीके से होने वाले गंभीर नुकसान की पुष्टि क्लिनिकल, मैकेनिकल, रेंडमाइज्ड कंट्रोल ट्रायल, ओवरव्यू, फार्माकोविजिलेंस और ऑटोप्सी डाटा के संयोजन से की गई है. इन अध्ययनों में टीका लेने के दो हफ्ते के भीतर होने वाली ज्यादा मौतें mRNA प्रोडक्ट्स की वजह से हुईं," उन्होंने लिखा.
याचिका के अनुसार, सभी कोविड-19 वैक्सीन प्रोडक्ट्स के व्यापक रिवैल्युएशन की अनुमति देने के लिए स्वतंत्र जांच के लिए उचित संसाधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए.
"मानव शरीर पर टीकों के प्रभाव की होनी चाहिए जांच"
याचिका में कहा गया है, "मानव शरीर पर उनके प्रभाव के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए नुकसान के तंत्र की पूरी तरह से जांच होनी चाहिए, चाहे वह अल्पकालिक हो या दीर्घकालिक."
यह मॉडल की गई मान्यताओं के आधार पर सिंथेटिक परिणामों पर निर्भर रहने के बजाय बीमारी और मृत्यु दर पर वास्तविक क्लिनिकल इफेक्ट की व्यापक समीक्षा का भी आग्रह करता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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