शिमला:
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार की मतगणना से एक दिन पहले बुधवार को सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस, दोनों ने जीत की आशा जाहिर की है।
मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल सत्ता पर कब्जा बरकरार रखने की आस लगाए हुए हैं, जबकि पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके कांग्रेस के वीरभद्र सिंह अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।
कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष वीरभद्र सिंह ने कहा, "इस बार हमें एक निर्णायक बढ़त मिलेगी। मैं यह बात अपने 50 वर्षों की सक्रिय राजनीति के बाद कह रहा हूं।"
आत्मविश्वास से भरे धूमल ने कहा कि वह लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए जीत हासिल कर इतिहास रचेंगे। यदि उन्होंने वाकई में ऐसा कर लिया तो पहली बार ऐसा होगा जब कोई सत्ताधारी पार्टी राज्य विधानसभा चुनाव जीतेगी।
धूमल ने कहा, "4 नवम्बर को भारी मतदान एंटी इनकम्बेंसी का एक स्पष्ट संकेत है, कांग्रेस नेतृत्व वाली संप्रग सरकार की नीतियों के खिलाफ लोग गुस्से में हैं।"
कांग्रेस के एक नेता ने कहा, "एक करिश्माई नेता के रूप में अपनी छवि को फिर से स्थापित करने हेतु वीरभद्र सिंह के लिए यह अंतिम चुनाव साबित हो सकता है।"
इस चुनाव का केंद्र कांगड़ा जिला रहा है, जहां राज्य में सर्वाधिक 15 विधानसभा सीटें हैं। कांगड़ा में फिलहाल भाजपा का वर्चस्व है।
नेताओं का कहना है कि भाजपा और कांग्रेस के कुछ विद्रोही खेल बिगाड़ सकते हैं।
कांग्रेस के बागियों में विधायक योगराज (देहरा), पूर्व मंत्री ईश्वर दास (एनी) और धर्मवीर धामी (मनाली) शामिल हैं।
जबकि भाजपा विधायक रूप सिंह (सुंदरनगर), और पूर्व नेता राजिंदर राणा (सुजानपुर) और सांसद राजन सुशांत की पत्नी सुधा सुशांत (फतेहपुर) ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा है।
46 लाख मतदाताओं में से लगभग 75 प्रतिशत ने चार नवम्बर को मतदान में हिस्सा लिया था।
मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल सत्ता पर कब्जा बरकरार रखने की आस लगाए हुए हैं, जबकि पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके कांग्रेस के वीरभद्र सिंह अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।
कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष वीरभद्र सिंह ने कहा, "इस बार हमें एक निर्णायक बढ़त मिलेगी। मैं यह बात अपने 50 वर्षों की सक्रिय राजनीति के बाद कह रहा हूं।"
आत्मविश्वास से भरे धूमल ने कहा कि वह लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए जीत हासिल कर इतिहास रचेंगे। यदि उन्होंने वाकई में ऐसा कर लिया तो पहली बार ऐसा होगा जब कोई सत्ताधारी पार्टी राज्य विधानसभा चुनाव जीतेगी।
धूमल ने कहा, "4 नवम्बर को भारी मतदान एंटी इनकम्बेंसी का एक स्पष्ट संकेत है, कांग्रेस नेतृत्व वाली संप्रग सरकार की नीतियों के खिलाफ लोग गुस्से में हैं।"
कांग्रेस के एक नेता ने कहा, "एक करिश्माई नेता के रूप में अपनी छवि को फिर से स्थापित करने हेतु वीरभद्र सिंह के लिए यह अंतिम चुनाव साबित हो सकता है।"
इस चुनाव का केंद्र कांगड़ा जिला रहा है, जहां राज्य में सर्वाधिक 15 विधानसभा सीटें हैं। कांगड़ा में फिलहाल भाजपा का वर्चस्व है।
नेताओं का कहना है कि भाजपा और कांग्रेस के कुछ विद्रोही खेल बिगाड़ सकते हैं।
कांग्रेस के बागियों में विधायक योगराज (देहरा), पूर्व मंत्री ईश्वर दास (एनी) और धर्मवीर धामी (मनाली) शामिल हैं।
जबकि भाजपा विधायक रूप सिंह (सुंदरनगर), और पूर्व नेता राजिंदर राणा (सुजानपुर) और सांसद राजन सुशांत की पत्नी सुधा सुशांत (फतेहपुर) ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा है।
46 लाख मतदाताओं में से लगभग 75 प्रतिशत ने चार नवम्बर को मतदान में हिस्सा लिया था।
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