गुजरात चुनाव ग्राउंड रिपोर्ट : जहां से शुरू हुई उज्ज्वला योजना, वहां कई घरों में अब भी जलता है चूल्हा

2016 में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की शुरुआत आदिवासी बहुल दाहोद से हुई. लेकिन साल भर बाद भी घूमणी गांव में विनोद के घर चूल्हा ही जलता है, गैस कनेक्शन नहीं है.

गुजरात चुनाव ग्राउंड रिपोर्ट : जहां से शुरू हुई उज्ज्वला योजना, वहां कई घरों में अब भी जलता है चूल्हा

आदिवासी बहुल इलाकों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव दिखता है

खास बातें

  • 'पानी की समस्या है, अस्पताल नहीं है, स्कूल के लिये दूर जाना पड़ता है'
  • लीमखेड़ा से शैलेषभाई सुमनभाई भाभोर बीजेपी उम्‍मीदवार हैं
  • अमित शाह समेत कई भारी भरकम नेता इन इलाकों में रैली कर चुके हैं
वडोदरा:

गुजरात चुनाव में विकास को बड़ा मुद्दा नहीं माना जाता है, ये कहा जाता है कि विकास का गुजरात मॉडल पूरे देश के सामने नजीर है. पर क्या ये हकीकत है? क्या गुजरात का हर जिला अहमदाबाद, सूरत या राजकोट जैसा है? गुजरात के आदिवासी बहुल जिलों में तस्वीर थोड़ी अलग नज़र आती है. यहां विकास बड़ा मुद्दा है.

2016 में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत आदिवासी बहुल दाहोद से हुई. लेकिन साल भर बाद भी घूमणी गांव में विनोद के घर चूल्हा ही जलता है, गैस कनेक्शन नहीं है. गांव में काम नहीं है लिहाजा राजमिस्त्री विनोद सवा सौ किलोमीटर दूर रोज़ी कमाने 7 लोगों का परिवार पालने वडोदरा जाते हैं. गांव में पानी की भी भारी किल्लत है, जब हैंडपंप चलता है तो ठीक, नहीं तो पीने का पानी भी मुश्किल से मिल पाता है. यहां रहने वाली सुमित्रा ने कहा दूर से पानी लाना पड़ता है, नहाने-धोने, पीने के लिये पानी लाना पड़ता है, थोड़ा-थोड़ा पानी है. वहीं गढ़ी चासिखा ने कहा हमारा गांव बड़ा है, बोर है यहां, लाइट रही है तो आता है... नहीं तो लिमखेड़ा फोन करना पड़ता है.

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इन आदिवासी बहुल इलाकों में सड़कें सरपट नहीं दौड़तीं, स्कूल भी दूर हैं. उम्मीदों का दामन यहां फिर सड़क-पानी-स्कूल जैसे बुनियादी मुद्दों का ही है. जिनेश का कहना है, 'यहां काम के लिये बाहर जाना पड़ता है, पानी की दिक्कत है, हैंडपंप बिगड़ जाए तो दिक्कत है, सड़कें टूटी हैं. सड़क बहुत साल हो गए नहीं बनी है.' वहीं दीपक ने कहा कि पानी की समस्या है, अस्पताल नहीं है. स्कूल के लिये दूर जाना पड़ता है.

VIDEO: GROUND REPORT : आदिवासी बहुल दाहोद का हाल

बीजेपी ने लीमखेड़ा से जीते हुए विधायक का टिकट काटकर शैलेषभाई सुमनभाई भाभोर को दिया है, जिनके सामने कांग्रेस के महेशभाई तडवी हैं चुनाव प्रचार चल रहा है. कांग्रेस की पकड़ वाली दाहोद जैसे इलाके के सीटों को छीनने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत कई भारी भरकम नेता इन इलाकों में रैली कर चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने 66वें जन्मदिन पर दाहोद जैसे आदिवासी बहुल इलाकों को 3800 करोड़ रुपये की सौगात दी थी. आदिवासी बहुल इन ज़िलों में मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग 14 दिसंबर को करेंगे.


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