
नई दिल्ली:
बच्चे के जन्म लेने के बाद से ही उसे बीमारियों से बचाए रखने के लिए पूरे साल न जाने कितने टीके लगवाए जाते हैं। ताकि साल भर वे हेल्दी और स्वस्थ रह सके। लेकिन क्या आप जानते हैं, ऐसा बुजुर्गों के लिए भी जरूरी हो गया है। जी हां, अगर आप चाहते हैं कि आप खुद या आपके माता-पिता रोग मुक्त जीवन जीएं, तो उनके लिए टीकाकरण जरूरी है।
यह टीका हर साल होने वाली जानलेवा बीमारियों से बचाने में बेहद मदद करता है। आज भी 50 फीसदी वरिष्ठ नागरिकों को इस टीकाकरण और इसे न लगवाने पर होने वाले नुकसानों के बारे में जानकारी नहीं है। आप जो बोते हैं, वही काटते हैं- यह एक पुरानी कहावत है। यह हमारी सेहत पर भी उतनी ही लागू होती है। जब हम युवा होते हैं तो अपनी सेहत का ध्यान न रखने से होने वाले नुकसानों को नजरअंदाज कर देते हैं। और जब हम बूढ़े हो जाते हैं, तो हमें बहुत सारी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। उस वक्त हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। कई बार हम यह भी सोचते हैं कि एक बार टीका लेना काफी है। लेकिन जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है इस टीकाकरण का असर कम होने लगता है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि, "उम्र बढ़ने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती जाती है। इस वजह से युवाओं के मुकाबले बड़ी उम्र वालों में रोकी जा सकने वाली बीमारियां होने की संभावना ज्यादा हो जाती है।"
उन्होंने कहा, "अगर वह पहले से जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों जैसे कि दिल की बीमारियां, हाईपरटेंशन, डायबिटीज या ऑब्स्ट्रक्टिव प्लमनरी डिजीज से जुड़ जाती हैं तो यह जानलेवा साबित हो सकता हैं। आम तौर पर होने वाली बीमारियां फ्लू, हैपेटाइटिस-ए, हैपेटाइटिस-बी होती हैं। इन हालतों को देखते हुए कुछ टीका 65 साल की उम्र के बाद देनी जरूरी हो जाता है। बच्चों को चाहिए कि उनके अभिभावक यह टीका लें ताकि वह लंबी और सेहतमंद जिंदगी जी सकें।"
इन बातों का रखें ध्यान
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
यह टीका हर साल होने वाली जानलेवा बीमारियों से बचाने में बेहद मदद करता है। आज भी 50 फीसदी वरिष्ठ नागरिकों को इस टीकाकरण और इसे न लगवाने पर होने वाले नुकसानों के बारे में जानकारी नहीं है। आप जो बोते हैं, वही काटते हैं- यह एक पुरानी कहावत है। यह हमारी सेहत पर भी उतनी ही लागू होती है। जब हम युवा होते हैं तो अपनी सेहत का ध्यान न रखने से होने वाले नुकसानों को नजरअंदाज कर देते हैं। और जब हम बूढ़े हो जाते हैं, तो हमें बहुत सारी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। उस वक्त हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। कई बार हम यह भी सोचते हैं कि एक बार टीका लेना काफी है। लेकिन जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है इस टीकाकरण का असर कम होने लगता है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि, "उम्र बढ़ने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती जाती है। इस वजह से युवाओं के मुकाबले बड़ी उम्र वालों में रोकी जा सकने वाली बीमारियां होने की संभावना ज्यादा हो जाती है।"
उन्होंने कहा, "अगर वह पहले से जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों जैसे कि दिल की बीमारियां, हाईपरटेंशन, डायबिटीज या ऑब्स्ट्रक्टिव प्लमनरी डिजीज से जुड़ जाती हैं तो यह जानलेवा साबित हो सकता हैं। आम तौर पर होने वाली बीमारियां फ्लू, हैपेटाइटिस-ए, हैपेटाइटिस-बी होती हैं। इन हालतों को देखते हुए कुछ टीका 65 साल की उम्र के बाद देनी जरूरी हो जाता है। बच्चों को चाहिए कि उनके अभिभावक यह टीका लें ताकि वह लंबी और सेहतमंद जिंदगी जी सकें।"
इन बातों का रखें ध्यान
- फ्लू वैक्सीन 6 महीने या उससे बड़े सभी व्यक्तियों को देने की सलाह दी जाती है।
- निमूनिया वैक्सीन 65 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों को दी जानी चाहिए।
- टेटनस टॉक्साईड हर 10 साल बाद देते रहना चाहिए।
- अगर पहले ना लगी हो तो सभी को हैपेटाइटिस-बी की वैक्सीन देनी चाहिए।
- 60 साल या उससे ज्यादा उम्र वाले को डायबिटीज है तो उन्हें हैपेटाइटिस-बी की वैक्सीन देनी चाहिए। आगे चल कर ब्लड ग्लूकोज की मॉनीटरिंग की अधिक आवश्यकता के लिए यह वैक्सीन लगवाने की सलाह दी जाती है।
- जिन लोगों को क्रॉनिक लीवर डिसीज है उन्हें भी हैपेटाइटिस-बी की वैक्सीन देनी चाहिए।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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