
How To Use Indian Spices: जब हम खाना बनाते हैं तो अक्सर सोचते हैं कि कौन-सा मसाला कितना डालना है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मसाला कब डालना चाहिए (Khana Banate Samay Masala Kab Daalen). इसका भी बहुत फर्क पड़ता है? जी हां, अगर मसाले गलत समय पर डाल दिए जाएं, तो स्वाद बिगड़ सकता है और उनका फायदा (Sabzi Me Masala Kab Add Karen) भी कम हो जाता है. हर मसाले की अपनी खुशबू, स्वाद और सेहत के लिए फायदा होता है. चलिए जानते हैं कि कौन सा मसाला कब और क्यों डालना चाहिए.
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हींग (Hing)कब डालें: सबसे पहले, गरम तेल में डालें.
क्यों: इससे इसकी खुशबू अच्छी तरह तेल में फैलती है और दाल-सब्जी का स्वाद और पाचन क्षमता दोनों बढ़ती है.
फायदा: हींग गैस, इनडाइजेशन और पेट दर्द में राहत देता है.

कब डालें: हींग के बाद, जब तेल थोड़ा गर्म हो जाए.
क्यों: जब जीरा चटकने लगे तो बाकी मसाले डालें. इससे स्वाद गहरा होता है.
फायदा: जीरा पाचन को ठीक करता है और शरीर को ठंडक भी देता है.
कब डालें: प्याज के साथ शुरुआत में डालें और अच्छे से भूनें.
क्यों: इससे कच्चा स्वाद चला जाता है और खाना खुशबूदार बनता है.
फायदा: लहसुन इम्युनिटी बढ़ाता है और अदरक सूजन व सर्दी-जुकाम में फायदेमंद है.
कब डालें: सब्जी या दाल में शुरुआत में, प्याज-टमाटर के बाद.
क्यों: जल्दी डालने से उसका रंग और गुण बरकरार रहते हैं.
फायदा: हल्दी एंटीसेप्टिक है, इम्युनिटी बढ़ाती है और सूजन कम करती है.
कब डालें: हल्दी के बाद या जब प्याज-टमाटर अच्छे से भुन जाएं.
क्यों: इससे इसका पूरा स्वाद और खुशबू बनी रहती है.
फायदा: धनिया पाचन शक्ति बढ़ाता है और ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है.
कब डालें: धनिया पाउडर के साथ या थोड़ा बाद में.
क्यों: सही समय पर डालने से इसका तीखापन और रंग दोनों अच्छे से आते हैं.
फायदा: लाल मिर्च मेटाबॉलिज्म बढ़ाती है और विटामिन C से भरपूर होती है.
कब डालें: धीमी आंच पर हल्का भूनें.
क्यों: ज्यादा भुनने से इसका स्वाद कड़वा हो सकता है.
फायदा: मेथी डायबिटीज में मददगार है और पाचन में भी फायदेमंद है.
कब डालें: सबसे अंत में, जब खाना लगभग बन जाए.
क्यों: इससे उसका तेज और खुशबूदार स्वाद बरकरार रहता है.
फायदा: गरम मसाला शरीर को गर्म रखता है और पाचन सुधारता है.
कब डालें: सब्जी पकने के बाद, आखिरी में डालें.
क्यों: इसे पहले डालने से इसका खट्टापन खत्म हो सकता है.
फायदा: अमचूर विटामिन C से भरपूर होता है और पाचन में मदद करता है. ये स्वाद बढ़ाने में भी माहिर है.
कब डालें: जीरे या राई के साथ शुरुआत में तेल में तड़काएं.
क्यों: इससे पत्तों की खुशबू तेल में अच्छी तरह समा जाती है.
फायदा: कड़ी पत्ता बालों और पाचन के लिए बहुत फायदेमंद होता है.
कब डालें: सब्जी या ग्रेवी बनते समय बीच में या गरम मसाले के साथ अंत में डालें.
क्यों: ज्यादा पकाने से इसका तीखापन कम हो सकता है.
फायदा: काली मिर्च इम्युनिटी बढ़ाती है और सर्दी-खांसी से बचाव करती है.
कब डालें: सबसे पहले तेल में तड़काएं, खासकर दाल या साउथ इंडियन डिशेज में.
क्यों: तड़कने से इसका फ्लेवर अच्छे से निकलता है.
फायदा: राई एंटीबैक्टीरियल होती है और पाचन में सहायक होती है.
कब डालें: शुरुआत में तेल या घी में डालें, खासकर पुलाव या दाल-चावल में.
क्यों: पकने के दौरान इसका फ्लेवर धीरे-धीरे रिलीज होता है.
फायदा: ये गैस और बदहजमी में राहत देता है, और खाने को सुगंधित बनाता है.
कब डालें: कई बार इसे धीमी आंच पर पकने के अंत में हल्का भूनकर डाला जाता है.
क्यों: ज्यादा भूनने से इसका स्वाद कमजोर पड़ सकता है.
फायदा: सौंफ पेट के लिए बहुत अच्छी है और मुंह की बदबू भी दूर करती है.
कब डालें: पकने के बाद, सर्व करने से पहले.
क्यों: पकाने से इसका खट्टा-तीखा स्वाद खत्म हो सकता है.
फायदा: ये पाचन को बेहतर करता है और खाने का स्वाद एकदम चटपटा बना देता है.
कब डालें: शुरू में तेल में हल्का भूनें, खासकर पराठों या पूरी के आटे में भी मिला सकते हैं.
क्यों: भूनने से इसकी खुशबू और औषधीय गुण बेहतर काम करते हैं.
फायदा: अजवायन गैस और पेट दर्द के लिए रामबाण है.
कब डालें: बिलकुल अंत में, हाथ से मसलकर डालें.
क्यों: इससे इसकी खुशबू और स्वाद अच्छी तरह बना रहता है.
फायदा: ये खाने में स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ डाइजेशन में भी मदद करती है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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