विज्ञापन
This Article is From Sep 12, 2017

Shradh 2017: तो इस वजह से श्राद्ध के दौरान नहीं खाया जाता मांसाहारी भोजन

श्राद्ध (पितृ पक्ष) का हिन्दुओं के लिए विशेष महत्व होता है. श्राद्ध (पितृ पक्ष) 16 दिन की अवधि होती है जो हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद महीने में आते हैं. इस दौरान हिन्दू अपने पूर्वजों को श्रद्धाजंलि देते हैं.

Shradh 2017: तो इस वजह से श्राद्ध के दौरान नहीं खाया जाता मांसाहारी भोजन
Shradh 2017: श्राद्ध का हिन्दुओं के लिए विशेष महत्व होता है.
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
श्राद्ध (पितृ पक्ष) का हिन्दुओं के लिए विशेष महत्व होता है.
श्राद्ध (पितृ पक्ष) 16 दिन की अवधि होती है.
इस दौरान हिन्दू अपने पूर्वजों को श्रद्धाजंलि देते हैं.
श्राद्ध (पितृ पक्ष) का हिन्दुओं के लिए विशेष महत्व होता है. श्राद्ध 16 दिन की अवधि होती है जो हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद महीने में आते हैं. इस दौरान हिन्दू अपने पूर्वजों को श्रद्धाजंलि देते हैं. श्राद्ध के इस 16 दिन के चरण में लोग अपने मृतक पूर्वजों के लिए पूजा का आयोजन कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं, इसी के साथ पंडित और ब्राह्मणों  को खाना और कपड़े आदि दान करते हैं. इस बार 5 सितंबर से श्राद्ध की शुरूआत हो चुकी हैं. हिन्दू पंचाग के अनुसार श्राद्ध  पितृ पक्ष अश्विन मास  की पहली तिथि से शुरू होकर अमावस्या तक जारी रहते हैं जिसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है जो इस साल 19 सितंबर को पढ़ेगी.

ऐसा माना जाता है कि मृत्यु के देवता यम ने पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध के महत्व के समझाया था. हिन्दू शास्त्र जैसे अग्नि पुराण, गरुड़ पुराण और वायु पुराण में भी श्राद्ध से जुड़ी जानकारी दी गई है, इतना ही नहीं उसके महत्व को बताया गया है कि श्राद्ध उनके पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए क्यों जरूरी है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, हमारी तीन पूर्ववर्ती पीढ़ियां पितृ लोक में रहती हैं, जिसे स्वर्ग और पृथ्वी के बीच का एक क्षेत्र माना जाता है. जिस पर मृत्यु के देवता यम का अधिकार होता है. ऐसा माना जाता है कि अगली पीढ़ी में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो पहली पीढ़ी उनका श्राद्ध करके उन्हें भगवान के करीब ले जाती है. सिर्फ आखिरी तीन पीढ़ियों को ही श्राद्ध करने का अधिकार होता है. इसी के साथ यह भी माना जाता है कि श्राद्ध की प्रक्रिया सही ढंग से न होने पर उनके पूर्वज नाराज हो सकते हैं और अगली पीढ़ी को श्राप दे सकते हैं जिसके परिणामस्वरूप पितृदोष हो सकता है और उनके काम में बाधा आती है.
 
shradh

श्राद्ध की इस अवधि के दौरान हिन्दू शाकाहारी भोजन ही खाते हैं और पितृ पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन दान करते हैं. इसके अलावा कई लोग 'महादान' करते हैं जिसमें नए कपड़े, फल, मिठाई और दक्षिणा शामिल होती है, क्योंकि माना जाता है कि ब्राह्मणों को जितना दान किया जाता है वह आपके पूर्वजों तक पहुंचता है. श्राद्ध के दौरान गरीबों और जरूरतमंदों को भी दान करने की प्रथा है. आमतौर पर बड़े बेटे या परिवार के बड़े पुरूष सदस्य द्वारा ही श्राद्ध का अनुष्ठान किया जाता है.

Shradh 2017: श्राद्ध के दौरान आखिर लोग क्यों नहीं खाते मांसाहरी भोजन

श्राद्ध की अवधि में मांस और चिकन का आदि का सेवन नहीं किया जाता है. यह अवधि पूर्ण रूप से पूर्वजों को समर्पित होती है, जिसमें मांस, मछली, अंडा और शराब का सेवन अशुभ माना जाता है. पूर्वजों को मृत्युचक्र से मुक्ति दिलाने के इस अनुष्ठान के बीच किसी तरह की बांध उत्पन्न न हो इसलिए इन चीजों का सेवन नहीं किया जाता. ऐसा माना जाता है इस दौरान इन रीति रिवाजों का सही ढंग से अनुसरण न करने पर पूर्वज नाराज हो सकते हैं जिसके बाद कई बार पितृदोष स्थिति का सामना करना पड़ता है.

कुछ हिन्दू धार्मिक शास्त्रों में इन दिनों प्याज और लहसुन को खाना भी वर्जित माना गया है, दरअसल प्याज और लहसुन ‘तामसिक’ प्रकृति के हैं जिन्हें खाने से व्यक्ति की इंद्रियां प्रभावित होती हैं. इसलिए श्राद्ध के दौरान प्याज और लहसुन के बिना भोजन बनाने की सलाह दी जाती है.

पितृ पूजा के दौरान पूर्वजों और ब्राह्मणों को भोजन देने से पहले भगवान विष्णु को उसका भोग लगाया जाता और उसके बाद ही वह ब्राह्मणों को दिया जाता है. कहा जाता है भगवान को अंडा, मांस और शराब जैसी चीजें नहीं चढ़ाई जाती, ऐसा करने वाला पाप का भागीदार होता है. श्रीमद भागवत गीता जैसे कई धार्मिक शास्त्रों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि किसी को भी श्राद्ध के दौरान मांस आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दौरान केवल शाकाहारी भोजन ही अपने पूर्वजों का अर्पित करें, क्योंकि मांस जानवरों को मारकर प्राप्त किया जाता है जोकि एक प्रकार का 'अधर्म' है. इसके अलावा कई शास्त्रों में कहा गया है कि शुद्ध शाकाहारी भोजन शुद्ध मक्खन, देसी घी, दूध और चीनी से तैयार किया जाता है और इन्हीं चीजों से बनाया गया भोजन ही आप अपने पूर्वजों को अर्पित करें. इसलिए श्राद्ध अवधि के दौरान  मांस, मछली आदि खाने से बचें और शुद्ध शाकाहारी भोजन का ही सेवन करें.





 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com