महाराष्ट्र के मल्टीप्लेक्से में मराठी फ़िल्मों को मिले प्राइम टाइम के बाद अब स्वतंत्र सिनेमा या यूं कहें छोटे बजट की फ़िल्मों के लिए भी फ़िल्मकारों में आरक्षण की उम्मीद जगने लगी है।
बड़ी कमर्शियल फ़िल्मों के सामने इन फ़िल्मों को बॉक्स ऑफ़िस पर वजूद तलाशने में बड़ी मुश्किल पेश आती है। लिहाज़ा मराठी फ़िल्मों पर महाराष्ट्र सरकार की मेहरबानी के बाद उम्मीदें उन फ़िल्मकारों की भी जगी हैं जो कम बजट की फ़िल्मों और दमदार कहानी पर विश्वास रखते हैं।
छोटी फ़िल्मों को भी सिनेमाघर नसीब हों इसलिए जाने माने फ़िल्मकार दिबाकर बनर्जी और संजय पूरण सिंह चौहान जैसे फ़िल्मकारों ने एनडीटीवी से कहा कि कम बजट की अच्छी फ़िल्मों को भी स्क्रीन मिले इसलिए हर ज़रूरत मदद उन्हें मिलनी चाहिए।
टीवी अभिनेता जय भानूशाली ने भी इस मुहिम में शामिल होकर कहा कि ऐसा करने से नए निर्माताओं को आगे आने का मौका मिलेगा साथ ही इंडस्ट्री में एक्टर्स को एक्टिंग के अच्छे मौके मिलेंगे। हर साल करीब 150 मराठी फ़िल्में रिलीज़ होती हैं वहीं 100 के करीब स्वतंत्र फ़िल्में, जिन्हें बड़े बैनर और बड़े स्टार का कोई सहारा नहीं मिलता।
लिहाज़ा मराठी फ़िल्मों को दी जा रही तवज्जो पर जारी आलोचना के बाद देखना होगा क्या सरकार इस नई उम्मीद पर ग़ौर फ़रमाती है या नहीं?
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