चेन्नई:
मद्रास हाईकोर्ट द्वारा बैन हटाए जाने के बावजूद विश्वरूपम की मुश्किलें बरकरार है। बैन हटाए जाने के फैसले खिलाफ तमिलनाडु सरकार की अपील पर आज मद्रास हाईकोर्ट सुनवाई करेगी।
इससे पूर्व प्रख्यात अभिनेता कमल हासन को बड़ी राहत देते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने उनकी फिल्म ‘विश्वरूपम’ पर लगे प्रतिबंध को हटाने का आदेश दिया था।
‘विश्वरूपम’ पर यह प्रतिबंध तमिलनाडु सरकार ने लगाया था। फिल्म में कथित तौर पर मुस्लिम-विरोधी सामग्री होने के कारण इसे प्रतिबंधित किया गया था। इस फिल्म के निर्माण पर कथित तौर पर 100 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार ने इस फिल्म को दिए गए ‘यू..ए’ प्रमाण-पत्र पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि फिल्मों का प्रमाणन अपने आप में बहुत बड़ा घोटाला है। राज्य सरकार ने इसकी जांच कराए जाने की मांग की। महाधिवक्ता ए नवनीतकृष्णन ने कहा कि ‘विश्वरूपम’ का ‘यू..ए’ प्रमाण-पत्र सेंसर बोर्ड की ओर से जारी नहीं किया गया था, बल्कि महज एक परीक्षण समिति की ओर से जारी किया गया, जिसे संविधान के प्रावधानों के तहत ऐसा करने का अधिकार नहीं है।
इस आरोप को खारिज करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विल्सन ने कहा कि उचित प्रक्रिया के तहत ही प्रमाणन किया गया। प्रमाणन के लिए आवेदन सेंसर बोर्ड के पास 4 अक्तूबर 2012 को आया। 8 अक्तूबर को फिल्म देखी गई और 10 अक्तूबर को फिल्म से कुछ दृश्य काटने के लिए नोटिस भेजे गए, जिन दृश्यों को काटने के लिए कहा गया, उन्हें काट दिया गया और अंतिम तौर पर फिल्म को प्रमाण-पत्र जारी किया गया।
इससे पूर्व प्रख्यात अभिनेता कमल हासन को बड़ी राहत देते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने उनकी फिल्म ‘विश्वरूपम’ पर लगे प्रतिबंध को हटाने का आदेश दिया था।
‘विश्वरूपम’ पर यह प्रतिबंध तमिलनाडु सरकार ने लगाया था। फिल्म में कथित तौर पर मुस्लिम-विरोधी सामग्री होने के कारण इसे प्रतिबंधित किया गया था। इस फिल्म के निर्माण पर कथित तौर पर 100 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार ने इस फिल्म को दिए गए ‘यू..ए’ प्रमाण-पत्र पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि फिल्मों का प्रमाणन अपने आप में बहुत बड़ा घोटाला है। राज्य सरकार ने इसकी जांच कराए जाने की मांग की। महाधिवक्ता ए नवनीतकृष्णन ने कहा कि ‘विश्वरूपम’ का ‘यू..ए’ प्रमाण-पत्र सेंसर बोर्ड की ओर से जारी नहीं किया गया था, बल्कि महज एक परीक्षण समिति की ओर से जारी किया गया, जिसे संविधान के प्रावधानों के तहत ऐसा करने का अधिकार नहीं है।
इस आरोप को खारिज करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विल्सन ने कहा कि उचित प्रक्रिया के तहत ही प्रमाणन किया गया। प्रमाणन के लिए आवेदन सेंसर बोर्ड के पास 4 अक्तूबर 2012 को आया। 8 अक्तूबर को फिल्म देखी गई और 10 अक्तूबर को फिल्म से कुछ दृश्य काटने के लिए नोटिस भेजे गए, जिन दृश्यों को काटने के लिए कहा गया, उन्हें काट दिया गया और अंतिम तौर पर फिल्म को प्रमाण-पत्र जारी किया गया।
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