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This Article is From Oct 19, 2012

अदालत ने कहा, क्या गाने से कम हो जाएगी जूतों की बिक्री!

अदालत ने कहा, क्या गाने से कम हो जाएगी जूतों की बिक्री!
नई दिल्ली: 'चक्रव्यूह' फिल्म के गाने से अपना नाम हटवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची बाटा कंपनी की याचिका ख़ारिज हो गई है। इस मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि क्या इस गीत से आपके जूतों की बिक्री कम हो जाएगी।

हालांकि अदालत ने प्रकाश झा की फिल्म को ‘टाटा, बिरला और बाटा’ शब्दों के साथ शामिल गाने के साथ सशर्त प्रदर्शन की अनुमति दी है। इस फिल्म में गाने के प्रदर्शन के दौरान डिस्क्लेमर भी दिखाना होगा।

प्रधान न्यायाधीश अलतमस कबीर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि रेडियो पर इस गाने के प्रसारण से पहले भी ऑडियो डिस्क्लेमर प्रसारित करना होगा। न्यायालय ने फिल्म निर्माता को आगाह किया कि वह भविष्य में यह ध्यान रखें कि इससे दूसरे लोगों की भावनाएं आहत न हों।

न्यायालय ने प्रमुख जूता निर्माता कंपनी बाटा की याचिका पर यह आदेश दिया। बाटा ने आरोप लगाया था कि यह गाना अपमानजनक है और इसमें उसकी कंपनी को गलत तरीके से पेश किया गया है। इससे पहले कंपनी ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिलने पर बाटा कंपनी ने उच्चतम न्यायालय की शरण ली थी।

बाटा कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार का कहना था कि गाने के बोल आहत करने वाले हैं और इससे कंपनी की प्रतिष्ठा और साख पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि गाने में कहा गया है कि कंपनी गरीब का शोषण करती है और लाभ कमाने के लिए उन्हें चूस लेती है।

रंजीत कुमार का कहना था कि कंपनी 46 देशों में कारोबार करती है और यह गाना दुनियाभर में उसकी छवि को नुकसान पहुंचाएगा।

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