श्याम बेनेगल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
ऐसा प्रतीत होता है कि विवादों से घिरा सेंसर बोर्ड दूरगामी परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है क्योंकि सरकार ने शुक्रवार को जाने-माने फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया जो एक व्यवस्था सुझाएगा जिसमें कलात्मक स्वतंत्रता को दबाया नहीं जाए।
समिति को अपनी रिपोर्ट दो महीने में सौंपनी है। इस समिति में फिल्म निर्माता राकेश ओमप्रकाश मेहरा, विज्ञापन निर्माता पीयूष पांडेय और फिल्म समीक्षक भावना सोमैया, प्रबंध निदेशक, राष्ट्रीय फिल्म विकास परिषद नीना लाठ गुप्ता और संयुक्त सचिव (फिल्म) संजय मूर्ति होंगे।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि समिति का गठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘‘दृष्टि के अनुरूप’’ किया गया है।
बयान में कहा गया है, ‘‘उम्मीद है कि समिति अपनी चर्चा के दौरान विश्व के विभिन्न हिस्सों में अपनायी जाने वाली सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं पर गौर करेगी, विशेष तौर पर वहां जहां फिल्म को रचनात्मकता एवं कलात्मक अभिव्यक्ति का पर्याप्त मौका दिया जाता है।’’ मंत्रालय ने कहा कि अधिकतर देशों में फिल्मों एवं वृत्तचित्र के प्रमाणन की एक व्यवस्था है, ‘‘लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसा करते समय कलात्मक रचनात्मकता एवं स्वतंत्रता को दबाया नहीं जाए या काटा नहीं जाए और प्रमाणन के कार्य में लगे लोग इन बारीकियों को समझते हैं।’’
समिति अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों के लाभ के लिए सिनेमाटोग्राफ कानून, नियमों के तहत व्यापक दिशानिर्देश, प्रक्रियाओं की सिफारिश करेगी। बयान में कहा गया है कि सीबीएफसी के स्टाफ ढांचे पर भी गौर किया जाएगा ताकि एक तंत्र की सिफारिश की जा सके जो प्रभावी, पारदर्शी एवं उपयोगकर्ता अनुकूल सेवाएं मुहैया कराये।
आज की घोषणा से कुछ दिन पहले सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि सेंसर बोर्ड के कामकाज पर फिर से गौर करने का ‘‘समय आ गया है’’ क्योंकि वह चाहते हैं कि प्रमाणन बोर्ड ‘‘विवाद मुक्त’’ हो। फिल्मनिर्माताओं ने बोर्ड द्वारा हाल के समय में मनमाने ढंग से आपत्तियां करने और सीन काटने को लेकर शिकायत की है। इसमें जेम्स बांड की नवीनतम फिल्म ‘स्पेक्ट्रा’ के वे सीन काटने को लेकर आलोचनाएं भी शामिल हैं जिन्हें फिल्म को भारत में प्रदर्शन से पहले हटाना पड़ा था। सीबीएफसी प्रमुख पहलाज निहलानी की ओर से जारी प्रतिबंधित शब्दों की सूची भी विवादों का विषय बनी थी।
सम्पर्क किये जाने पर बेनेगल ने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ‘‘मुझसे कुछ दिन पहले बात की थी.. अभी मुझे यह जानना बाकी है कि प्रस्ताव वास्तव में है क्या। यह समिति सरकार द्वारा गठित की गई है जिसका काम यह देखना है कि व्यवस्था कितनी प्रभावी, पारदर्शी और संतोषजनक है।’’ निहलानी ने सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘समिति में कुछ अच्छे लोग हैं और मुझे भरोसा है कि वे नये सुधार लाएंगे। सरकार के निर्णय का स्वागत है। जो भी नये दिशानिर्देश होंगे और रेटिंग प्रणाली होगी, हम उसका स्थिति के अनुसार पालन करेंगे।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें त्यागपत्र देने के लिए कहा जाएगा, निहलानी ने कहा, ‘‘मुझे इस संबंध में कुछ भी नहीं कहना है। मैं टिप्पणी नहीं करना चाहता।’’
समिति को अपनी रिपोर्ट दो महीने में सौंपनी है। इस समिति में फिल्म निर्माता राकेश ओमप्रकाश मेहरा, विज्ञापन निर्माता पीयूष पांडेय और फिल्म समीक्षक भावना सोमैया, प्रबंध निदेशक, राष्ट्रीय फिल्म विकास परिषद नीना लाठ गुप्ता और संयुक्त सचिव (फिल्म) संजय मूर्ति होंगे।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि समिति का गठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘‘दृष्टि के अनुरूप’’ किया गया है।
बयान में कहा गया है, ‘‘उम्मीद है कि समिति अपनी चर्चा के दौरान विश्व के विभिन्न हिस्सों में अपनायी जाने वाली सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं पर गौर करेगी, विशेष तौर पर वहां जहां फिल्म को रचनात्मकता एवं कलात्मक अभिव्यक्ति का पर्याप्त मौका दिया जाता है।’’ मंत्रालय ने कहा कि अधिकतर देशों में फिल्मों एवं वृत्तचित्र के प्रमाणन की एक व्यवस्था है, ‘‘लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसा करते समय कलात्मक रचनात्मकता एवं स्वतंत्रता को दबाया नहीं जाए या काटा नहीं जाए और प्रमाणन के कार्य में लगे लोग इन बारीकियों को समझते हैं।’’
समिति अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों के लाभ के लिए सिनेमाटोग्राफ कानून, नियमों के तहत व्यापक दिशानिर्देश, प्रक्रियाओं की सिफारिश करेगी। बयान में कहा गया है कि सीबीएफसी के स्टाफ ढांचे पर भी गौर किया जाएगा ताकि एक तंत्र की सिफारिश की जा सके जो प्रभावी, पारदर्शी एवं उपयोगकर्ता अनुकूल सेवाएं मुहैया कराये।
आज की घोषणा से कुछ दिन पहले सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि सेंसर बोर्ड के कामकाज पर फिर से गौर करने का ‘‘समय आ गया है’’ क्योंकि वह चाहते हैं कि प्रमाणन बोर्ड ‘‘विवाद मुक्त’’ हो। फिल्मनिर्माताओं ने बोर्ड द्वारा हाल के समय में मनमाने ढंग से आपत्तियां करने और सीन काटने को लेकर शिकायत की है। इसमें जेम्स बांड की नवीनतम फिल्म ‘स्पेक्ट्रा’ के वे सीन काटने को लेकर आलोचनाएं भी शामिल हैं जिन्हें फिल्म को भारत में प्रदर्शन से पहले हटाना पड़ा था। सीबीएफसी प्रमुख पहलाज निहलानी की ओर से जारी प्रतिबंधित शब्दों की सूची भी विवादों का विषय बनी थी।
सम्पर्क किये जाने पर बेनेगल ने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ‘‘मुझसे कुछ दिन पहले बात की थी.. अभी मुझे यह जानना बाकी है कि प्रस्ताव वास्तव में है क्या। यह समिति सरकार द्वारा गठित की गई है जिसका काम यह देखना है कि व्यवस्था कितनी प्रभावी, पारदर्शी और संतोषजनक है।’’ निहलानी ने सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘समिति में कुछ अच्छे लोग हैं और मुझे भरोसा है कि वे नये सुधार लाएंगे। सरकार के निर्णय का स्वागत है। जो भी नये दिशानिर्देश होंगे और रेटिंग प्रणाली होगी, हम उसका स्थिति के अनुसार पालन करेंगे।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें त्यागपत्र देने के लिए कहा जाएगा, निहलानी ने कहा, ‘‘मुझे इस संबंध में कुछ भी नहीं कहना है। मैं टिप्पणी नहीं करना चाहता।’’
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं