विज्ञापन
This Article is From Jun 10, 2011

शैतान : एंटरटेनमेंट की कोई गांरटी नहीं

फिल्म शैतान पांच दोस्तों पर है जो बेलगाम होकर अय्याशी कर रहे हैं। जिंदगी में कोई रूल्स नहीं।
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
Mumbai: फिल्म शैतान पांच दोस्तों पर है जो बेलगाम होकर अय्याशी कर रहे हैं। जिंदगी में कोई रूल्स नहीं। एक ही उसूल है लाइफ बोरिंग है तो क्या हुआ। उसे फास्ट फॉरवर्ड किया जा सकता है। तभी इन दोस्तों से होता है एक एक्सीडेंट जिसे छिपाने के लिए ये गलती पर गलती करते हैं। भरोसे पर टिकी दोस्ती ताश के महल की तरह ढह जाती है क्योंकि मुसीबत में खुद को बचाने का शैतान जाग उठता है। इन्हें पकड़ने का ज़िम्मा सौंपा जाता है पुलिस फोर्स से सस्पेंड हुए ऑफिसर राजीव खंडेलवाल को। प्रोडूसर अनुराग कश्यप और डायरेक्टर बिजॉय नांबियार की शैतान बहुत एवरेज कहानी पर टिकी है जहां पैसे के लिए लोग खुद को किडनैप कराते हैं। रील और रीयल लाइफ में ये किस्से आम हैं। फिल्म स्टाइलिश है लेकिन सिर्फ स्टाइल की खातिर एनकाउंटर के सीन में खोया खोया चांद…खुला आसमान जैसे गाने की क्या ज़रूरत थी। रिसर्च की कमी भी झलकती है। कैसे कोई गवर्मेंट ऑफिसर पुलिस ऑफिसर को एक हफ्ते में तलाक कराने का भरोसा दे सकती है जबकि हमारे देश में छह महीने से एक साल लग जाते हैं। प्रशांत पिल्लई और रंजीत बारोट का बेहतरीन म्यूज़िक। कल्कि कोचलिन, गुलशन नील और राजीव खंडेलवाल की अच्छी एक्टिंग। कई बोल्ड डायलॉग्स युवाओं को लुभा सकते हैं जैसे कुछ दोस्तों को मदद के लिए रात दो बजे भी बुलाया जा सकता है और कुछ को सिर्फ दो बजे ही बुलाया जाता है। स्टोरी ट्रीटमेंट के मामले में शैतान अलग तरह का सिनेमा ज़रूर है लेकिन इंटरटेनमेंट की गारंटी नहीं। शैतान के लिए मेरी रेटिंग है 2.5 स्टार।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
शैतान, समीक्षा, फिल्म
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com