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This Article is From Apr 10, 2015

'धर्म संकट में' : विषय अच्छा, कहानी कमजोर

'धर्म संकट में' : विषय अच्छा, कहानी कमजोर
मुंबई:

इस शुक्रवार रिलीज़ हुई फ़िल्म 'धर्म संकट में' परेश रावल, नसीरुद्दीन शाह और अन्नू कपूर मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म को डायरेक्ट किया है, सिनेमेटोग्राफ़र से डायरेक्टर बने फवाद खान ने।

फिल्म की कहानी में धरम पाल यानी परेश रावल एक ऐसे रोल में हैं, जिन्हें धर्म में कोई दिलचस्पी नहीं है और उन्हें एक दिन पता चलता है कि उनका जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। यह जानकर धरम पाल की दुनिया बदल जाती है। धरम अपने असली पिता से मिलना चाहते हैं, जिसके लिए उन्हें इस्लाम के कायदे क़ानून सीखने पड़ते हैं।

दूसरी ओर अपने बेटे की शादी करने के लिए उन्हें हिन्दू धर्म की बारीकियां सीखनी पड़ती हैं, जिसकी वजह से परेश रावल धर्म संकट में पड़ जाते हैं।

फिल्म में नसीर बने हैं, बाबा नील आनंद और अन्नू कपूर बने हैं नवाब महमूद शाह, जो फ़िल्म में वकील हैं। धर्म संकट एक ऐसी फ़िल्म है, जिसका विषय अच्छा है, पर लेखक निर्देशक उसे ठीक से फैला नहीं पाए।

फ़िल्म थोड़ा हंसाती है पर कई जगह उबाऊ लगती है। फिल्म में बजट की कमी साफ नजर आती है। तकनीक हो और संगीत विभाग कोई भी अपनी छाप छोड़ने में कामयाब नहीं हो पाया। फिल्म में अभिनय की बात करें तो परेश रावल ठीक हैं, पर नसीरुद्दीन शाह और अन्नू कपूर का किरदार पर्दे पर थोड़ा शोर मचाता हुआ दिखा।

ये तीनो मंझे हुए कलाकार हैं पर इस फ़िल्म में इनके हुनर का इस्तेमाल नहीं हुआ। सिर्फ़ फ़िल्म का विषय प्रभावित करता है। मेरी ओर से फिल्म को 2 स्टार्स।

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